tag:blogger.com,1999:blog-3347952622162097882.post1398981685171059007..comments2024-02-22T16:01:17.360+05:30Comments on नया जमाना: राष्ट्रवादी नंगई के प्रतिवाद मेंनया जमानाhttp://www.blogger.com/profile/07265292209310274504noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3347952622162097882.post-28150464948924100232016-09-30T13:53:58.009+05:302016-09-30T13:53:58.009+05:30महाशय,
सादर नमन. मैंने कल हिन्दी समारोह जो कि...महाशय,<br /> सादर नमन. मैंने कल हिन्दी समारोह जो कि 15 वुड स्ट्रीट में आयोजित की गयी थी में बतौर मुख्य अतिथि आपको सुना और आपसे काफी प्रभावित हुआ. फिर इंटरनेट पर आपको ढूंढते—ढूंढते यहां तक आ पहुंचा. परंतु आपके इस लेख ने मुझे काफी निराश किया. यहां आपने लिखा है कि <br />'हमारे लिए राष्ट्र,राष्ट्रवाद,सेना आदि से शांति का दर्जा बहुत ऊपर हैं। जेनुइन लेखक कभी भी सेना ,सरकार और युद्ध के साथ नहीं रहे।जेनुइन लेखकों ने हर अवस्था में आतंकियों और साम्प्रदायिक ताकतों का जमकर विरोध किया।सिर्फ भाड़े के कलमघिस्सु ही युद्ध और उन्माद के पक्ष में हैं ।' <br /><br />परंतु आज की परिस्थिति में शांति से अधिक सुरक्षा आवश्यक प्रतीत होती है। जैसा कि समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि वे सभी 38 आतंकी त्योहार के दौरान देश के भीतर कुछ खतरनाक घटनाओं को अंजाम देने वाले थे, तो समय रहते उनका समाधान करना उचित था। यह सब भी शांति के लिए ही किया गया। यदि सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह कदम नहीं उठाया गया होता तो शायद देश के भीतर शांति—व्यवस्था कायम रख पाना मुश्किल होता। मैं कोई मोदी जी का अंधभक्त नहीं हूं और न ही उनकी हर बातों से सहमति रखता हूं। कल आपके द्वारा विमोचित की गई पुस्तक में मैंने भी एक रचना प्रस्तुत करने का साहस किया है, इससे आपको इस बात की पुष्टि हो सकेगी। मैं उस रचना से सम्बंधित एक लिंक भी यहां शेयर कर रहा हूं आशा है आप इसे अवश्य पढेंगे — http://apnedilki.blogspot.in/2016/08/seventh-pay-commission.html<br />जहां तक मैं मोदी जी के व्यावसायिक नीतियों व कर्मचारी विरोधी नीतियों का घोर विरोधी हूं। परंतु देशहित में उनके द्वारा उठाया गया ये कदम आलोचना के लायक नहीं बल्कि सराहना और प्रोत्साहन के लायक है।<br />इस लेख में आपने लिखा है कि कोई भी जेनुइन लेखक युद्ध का समर्थक नहीं होगा। फिर आप डॉ0 हरिओम पंवार के बारे में क्या कहेंगे वे तो वीर रस के कवि हैं और कम से कम इस प्रकार की शांति के समर्थक तो नहीं हैं। युद्ध हमेशा विध्वंश के लिए ही नहीं होता है, शांति कायम रखने के लिए भी होता है।<br /><br />आपके आशीषों का आकांक्षी<br /><br />शुभेश कुमार<br />sk_bhasker@yahoo.inShubhesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/04435370045035232573noreply@blogger.com