tag:blogger.com,1999:blog-3347952622162097882.post3681007720304125674..comments2024-02-22T16:01:17.360+05:30Comments on नया जमाना: कलकत्ते के खट्टे-मीठे अनुभव-नया जमानाhttp://www.blogger.com/profile/07265292209310274504noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3347952622162097882.post-54504369768408285382016-02-03T10:11:55.344+05:302016-02-03T10:11:55.344+05:30बात केवल हिंदी की नहीं है. मैं शिक्षकों के बीच रहा...बात केवल हिंदी की नहीं है. मैं शिक्षकों के बीच रहा हूँ. दूसरे विषयों में भी यही हाल है. केवल 5-10 प्रतिशत शिक्षक ही अपडेट होते हैं, बाकी तो सब ढर्रे पर चलने वाले, टाइम काटने वाले ही होते हैं. बल्कि कई तो विद्यार्थियों को हतोत्साहित करने में ही लगे रहते हैं.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3347952622162097882.post-23031813256553831802016-02-03T08:33:01.280+05:302016-02-03T08:33:01.280+05:30बहुत प्रेरक वक्तव्य !
हम आज भी सोचते हैं काश जे ए...बहुत प्रेरक वक्तव्य ! <br />हम आज भी सोचते हैं काश जे एन यू में पढ़े होते ! Dr. Rajrani Sharmahttps://www.blogger.com/profile/16260807586444192043noreply@blogger.com