tag:blogger.com,1999:blog-3347952622162097882.post5366587120173316093..comments2024-02-22T16:01:17.360+05:30Comments on नया जमाना: ममता सरकार की आर्थिक चुनौतियांनया जमानाhttp://www.blogger.com/profile/07265292209310274504noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3347952622162097882.post-23162020593872434042011-07-04T07:00:52.294+05:302011-07-04T07:00:52.294+05:30जेएनयू में दाखिले का विज्ञापन पूरे देश के लिए निकल...जेएनयू में दाखिले का विज्ञापन पूरे देश के लिए निकलता है ऑलइण्डिया टेस्ट होता है इसके बाबजूद सीएजी का यह निष्कर्ष पूर्वाग्रहग्रस्त है। आईआईटी में जाने वालों में बिहार-यूपी के लोग ज्यादा हैं ,संसद में भी ज्यादा हैं,बड़े नेता भी ज्यादा है,संस्कृति-सभ्यता और असभ्यता में भी ज्यादा हैं यू.पी.-बिहार के लोग।देश की 25 प्रतिशत आबादी इन दो राज्यों में है।यू.पी-बिहार के लोग हर मामले में क्यों ज्यादा हैं यह तो भगवान ही जाने,लेकिन वे उत्पादक हैं।एक अन्य चीज वह यह कि यू.पी-बिहार के शिक्षक कम हैं जेएनयू में,कर्मचारी भी कम हैं।<br />यू.पी.-बिहार लोगों का अनुपात आवेदन की तुलना में क्या है यह तो देखने पर पता लगेगा लेकिन पुराने अनुभव के आधार पर कह रहा हूँ आवेदन और चयन किए छात्रों में में पश्चिम बंगाल और आंध्र का प्रतिशत ज्यादा था उसके बाद बिहार हुआ करता था। पुरानी अनेक पब्लिक एकाउंट कमेटी की रिपोर्ट में यही आंकड़ा रहा है<br />अभी 6500हजार छात्रों में 1500से अधिक संभवतः दिल्ली से हैं,जब हम लोग पढ़ते थे तब 3हजार में 700-800 दिल्ली से थे।<br />हम लोगों ने नई दाखिला नीति के लागू किए जाने के पहले 7 साल के आंकड़े जेएनयू में इकट्ठा किए थे। उन दिनों के जेएनयूएसयू के पर्चों में हैं,कई पीएसी रिपोर्ट में भी हैं।नया जमानाhttps://www.blogger.com/profile/07265292209310274504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3347952622162097882.post-5231350551442943372011-07-02T23:09:02.698+05:302011-07-02T23:09:02.698+05:30आज टाईम्स में खबर है कि जनेवि राष्ट्रीय स्तर का प्...आज टाईम्स में खबर है कि जनेवि राष्ट्रीय स्तर का प्रतिष्ठान नहीं बन पाया ,एक मूल कारण यह बताया गया कि बिहार का प्रतिनिधित्व यहाँ बहुत अधिक है। इस डिस्प्रोपोरशन को दूर करना चाहिये। आप इस खबर को साथियों तक पहुँचायें,और उनकी राय माँगें।यह रिपोर्ट कैग के हवाले से दी गई है।<br />कल सीताराम येचुरी ने कहा कि 1. भूमि सुधार से जमीन की जोत (युनिट) इतनी कम हो गयी कि किसानी ससटेनेवल रोजगार नहीं रहा।2.मारकेट इकनामि इनएविटेवेल है,किया केवल यह जा सकता है कि इससे दोनो पक्षों का लाभ हो,यह इकतरफा लूट न बनने पाये। .....[अब कर लो छठ की चौदस]..विजय शर्माCSCKhttps://www.blogger.com/profile/05222136012928319124noreply@blogger.com