इंटरनेट पर अफवाह लिखने से सामाजिक तनाव पैदा
नहीं होता ,सामाजिक तनाव और सामजिक विद्वेष तो पहले से मन
में और समाज में मौजूद है इसको इंटरनेट, एसएमएस,वीडियो,एमएमएस
की अफवाहों और बोडो जातीय हिंसाचार ने हवा दी है।
भारतीय जीवन में बैठी जातीय दुर्भावनाएं और
जातीय घृणा उत्तर-पूर्व के लोगों के पलायन की जड है । मुसलमानों और उत्तर-पूर्व के
लोगों के प्रति हमारे समाज में परायाभाव पहले से ही है।यह परायापन विभिन्न
माध्यमों के जरिए पोषित होता रहा है। उसकी विस्फोटक अभिव्यक्ति है हाल का पलायन ।
अफवाहें पलायन का गौण कारण है मूल कारण है सामाजिक विभाजन, सामाजिक घृणा की
विचारधाराओं का विभिन्न माध्यमों के जरिए हमारे बीच में किया जा रहा प्रचार। इसका
सचेत रूप से प्रतिवाद किया जाना चाहिए।
हाल में अफवाह फैलाने में नेट पर सक्रिय 80बेवसाइट
के कंटेंट को अपराधजनक पाया गया है और उनको ब्लॉक करने के आदेश दिए गए हैं। इस
समूचे घटनाक्रम से भारत सरकार सबक ले और प्रत्येक बेवसाइट की छानबीन और निगरानी
करे,यदि ऐसा नहीं करते तो दोबारा इंटरनेट का शरारती तत्व इस्तेमाल करने
से बाज नहीं आएंगे। पीटीआई के अनुसार -
Government is learnt to have ordered blocking of
80 more Internet pages and user-accounts on Sunday on social networking sites
including Facebook, Google and Twitter to avoid panic among people of
northeastern region living across India.
All these sites were found hosting inflammatory
and hateful content, spreading rumours and inciting violence targeting the
people from north-east, government sources said.
Yesterday, the government had issued
instructions to block 76 Internet sites, which included web-pages and some
websites, and had said that bulk of the rumours that triggered panic among
people of North-eastern states in Karnataka, Tamil Nadu and Maharashtra were
sourced from Pakistan.
“We have found inflammatory and objectionable
contents on some pages of Facebook and Google. Some user-accounts at Twitter
were also found spreading similar contents. All together, around 80 such pages
and accounts have been ordered to be blocked on Sunday,” the sources said.
The rumours about a possible attacks have led to
mass exodus of people from northeast from many places including Bangalore,
Chennai, Mumbai and Pune.
Home Minister Sushil Kumar Shinde on Sunday asked
his Pakistani counterpart Rehman Malik to crackdown on elements based in that
country that were using social media networking sites to whip up communal
sentiments and spreading hate in India.
According to a report prepared by the Home
Ministry, a Pakistan-based hardline group is suspected to have been involved in
doctoring images and spreading them across social networking sites to create
panic among people of northeastern region living across India.
पाक
के षड़यंत्रकारियों के द्वारा भेजे गए विभाजनकारी एसएमएस ,एमएमएस और नेट
वीडियो के द्वारा पैदा हुए बबाल से डरकर संसद में और उसके बाहर अनेक लोग समूचे सोशल
साइटस पर पाबंदी लगाने की मांग करने लगे हैं। यह मांग सही नहीं है। असल में ,इंटरनेट
के 4 बड़े फायदे हैं,पहला, इसने सूचना का
लोकतांत्रिकीकरण किया है। यह सस्ता और मुफ्त मीडियम है। दूसरा, इंटरनेट
पर बार बार निजी और सार्वजनिक का भेद नष्ट होता है। तीसरा,यह सार्वजनिक
स्तर पर व्यक्ति की इमेज को नए आयाम में ले जाकर खोलता है। चौथा ,यहां
पर बिना चुने प्रतिनिधि हर समय मौजूद रहते हैं। इस तरह के लोगों की संप्रेषण
क्षमता बहुत ज्यादा होती है। वे नेट पर कभी कभी प्रतीकपुरूष बन जाते हैं। जैसे
अन्ना हजारे ।
भारत
में फे,बुक.यू-ट्यूब आदि नए माध्यम हैं और नेट पर षडयंत्रकारियों और अज्ञानिययों
का तांता लगा है,ये लोग इस माध्यम के उपयोग-दुरूपयोग को लेकर विभ्रम और धूर्तता के
शिकार है। षडयंत्रकारी धूर्तता से काम ले
रहे हैं।जबकि अज्ञानी लोग भोलेपन के मारे हैं। सच यह है कि मुसलमानों के बर्मा में उत्पीड़न के फेक वीडियो
पाक से नेट पर भेजे गए और उसका हमारे मुसलमानों
के मन पर बुरा असर पड़ा।मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि इस तरह के भडकाऊ वीडियो पाक
स्थित आतंकी गिरोहों और आईएसआई की भारतीय उपमहाद्वीप में सामाजिक अस्थिरता पैदा
करने की कोशिश का हिस्सा हैं। ये वीडियो नेट पर विगत एक माह से चल रहे थे।सरकार ने कोई पहल नहीं कीष नेट
सर्वर कंपनियों ने कोई पहल नहीं की,की। नेट सर्वर मालिकों ने भी भारत सरकार के
दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया। आतंकियों
ने अपने निर्मित वीडियो में मुसलमानों के
साथ भारत में हो रहे अत्याचारों के निजी वीडियो क्लिपिंग को भी शामिल कर लिया। यह वीडियो
तकनीक का विभाजनकारी दुरूपयोग है ।
नई कम्युनिकेशन तकनीक कितनी विश्वसनीय और
खतरनाक है कि लोग अपरिचितों के मैसेज पर भरोसा कर रहे हैं। भयाक्रांत हैं।अफवाहों
से डरे हुए हैं।हर कम्युनिकेशन विश्वसनीय नहीं होता। कम्युनिकेशन पर सब समय
विश्वास न करें। खासकर अपरिचित स्रोत से भेजा कम्युनिकेशन खतरनाक भी हो सकता है।
वह आपकी खुशियां छीन सकता है।
असम
और म्यांमार की घटनाओं की फेक इमेजों के जरिए मुसलमानों के खिलाफ घृणा पैदा की गयी।
कायदे से इस तरह की फेक इमेजों पर विश्वास न करें। फेसबुक आदि वर्चुअल कम्युनिकेशन
में सक्रिय यूजरों से अपील है कि वे जिस व्यक्ति को नहीं जानते उसके संदेश पर
विश्वास न करें। जिसे नहीं जानते उसके एसएमएस पर भरोसा न करें और न डरें। सामाजिक
घृणा पैदा करने वाले मैसेज,फोटो आदि की तुरंत पुलिस को खबर करें
या संबंधित नेटवर्क में शिकायत करें। अपरिचितों के संदेश जोड़ते कम हैं तोड़ते
ज्यादा हैं। सावधान रहें,कम्युनिकेट करें और समाज को जोड़ें।
भारत
की अविकसित मानसिकता का संघ परिवार , नई संचार तकनीक ,कम्प्यूटर,इंटरनेट,सोशल
साइटस आदि का भी संघ परिवार , फेसबुक
पर संघ परिवार ने नियोजित ढ़ंग से विचारधारात्मक जहर फैला आरंभ कर दिया है। इस जहर
के कुछ रूप हैं। मसलन् आप ज्योंही कोई धर्मनिरपेक्ष , बहुलतावादी ,साम्प्रदायिक
सदभाव वाला विचार रखेंगे ये लोग आएंगे और समूची शक्ति के साथ इस्लाम विरोध और
मुस्लिमविरोधी घृणा का प्रचार करने लगते हैं । तथ्यहीन और भडकाऊ बातें लिखते हैं।
भाजपा-संघपरिवार के अलावा इनलोगों ने तमाम नेताओं के कैरीकेचर और चरित्रहनन वाले
फोटो भी पेस्ट किए हैं। साम्यवाद विरोध और धर्मनिरपेक्ष विचारों का विरोध करना
इनकी नियमित दिनचर्या है। इस तरह की चीजें भारत के राजनीतिक-सांस्कृतिक वातावरण
में जहर घोल रही हैं।
असल में फेसबुक को उदारमंच बनाने के लिए
मित्रों को सचेत प्रयास करना होगा। फेसबुक पर उदार विचारों और परिवर्तनकामी
विचारों का स्वागत है और जो लोग संकीर्णतावाद,फंडामेंटलिज्म
(सभी रंगत का),आतंकवाद और सामाजिक घृणा फैलाने वाले विचारों
को लिख रहे हैं उन्हें ब्लॉक करें। हिन्दी में यह बीमारी नासूर की शक्ल अख्तियार
करती जा रही है। उत्तर-पूर्वी जनजातियों के लोगों को असम के हिंसाचार को लेकर
अफवाह और आतंक की खबरों से घबड़ाने , पूना और बंगलौर शहर छोड़ने की जरूरत
नहीं है। इस संदर्भ में इन लोगों को अपने घरवालों को भी भरोसा देना चाहिए ,क्योंकि
अफवाहों का बाजार असम और उसके बाहर खासकर महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ शहरों में
गर्म है। अफवाह फैलाने वाले समाजभंजक लोग हैं और वे जल्द ही सामने आ जाएंगे कि वे
कौन लोग हैं। कर्नाटक -महाराष्ट्र राज्य प्रशासन की यह जिम्मेदारी है कि वह पूना
और बंगलौर में रहने वाले नार्थःईस्ट के लोगों में भरोसा पैदा करे। साथ ही संघ
परिवार की भी यह जिम्मेदारी है कि वह असम की दुखद घटनाओं के आधार पर अफवाह और
पूर्वाग्रहों का प्रचार करने से बाज आए और शांति बनाए रखने में मदद करे।
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