केजीबी सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी है,यह लंबे समय तक
समाजवादी सोवियत संघ का ,आज
अंग है रूस का। इस संस्था ने कला-साहित्य का कोई आंदोलन प्रमोट नहीं किया लेकिन
साहित्य-कला के क्षेत्र में सोवियत संघ में काफी बड़ी संख्या में लेखकों को
उत्पीडित किया। इनमें बड़े नाम हैं सोल्जेनित्सिन , सखारोव आदि।
--------
सोवियत संघ ने समाजवाद का जो मॉडल चुना यह वह
मॉडल नहीं है जिसकी कल्पना मार्क्स-एंगेल्स ने की थी। समाजवादी सोवियत संघ में
मानवाधिकारों को लेकर कोई समझ ही नहीं थी। खासकर व्यक्तिगत स्वतंत्रता,अभिव्यक्ति की
स्वतंत्रता आदि के लिए संविधान से लेकर सामाजिक संरचनाओं में कोई जगह नहीं दी
गयी।फलतः विभिन्न किस्म की विचारधाराओं के माननेवाले लेखन और लेखकों के लिए भी कोई
जगह नहीं थी। इसके विपरीत भारत में लोकतंत्र है और सभी नागरिकों को मानवाधिकारों
की संविधान प्रदत्त गारंटी है। यहां पर कम्युनिस्टलेखक, विरोधी
विचारधारा की आलोचना का संवैधानिक हक रखते हैं। इसके बाबजूद वे सोवियतसंघ आदि
देशों के लेखकों के अभिव्यक्ति की आजादी के दर्द को महसूस करने में असमर्थ रहे।
-----
कार्ल मार्क्स -एंगेल्स के विचारों में
क्रांतिकारी भावबोध इसलिए विकसित हुआ क्योंकि वे पूंजीवाद की उदार परंपराओं में
विकसित हुए और क्रांतिकारी परंपराओं की खोज में सफल रहे । उन्हें उदार पूंजीवादी
माहौल मिला। यदि सोवियत संघ में मार्क्स-एंगेल्स होते तो उनके साथ वही होता जो
प्लेखानोव के साथ हुआ। प्लेखानोव को रूसी मार्क्सवाद का जनक माना जाता है।
--
माइकेल एंजेलो ने एक बार स्वयं अपने विषय में
कहा था " मेरा उपदेश ज्ञानी होने का दावा करने वाले अनेक अज्ञानियों को जन्म
देगा।" इस पर प्लेखानोव ने कहा दुर्भाग्यवश यह भविष्यवाणी पूरी हो गयी है।
आजकल मार्क्स का ज्ञान ऐसे अनेक अज्ञानियों को जन्म दे रहा है,जो ज्ञानी होने
का दावा करते हैं।स्पष्ट रूप से इसमें मार्क्स का कोई कसूर नहीं है,बल्कि कसूर उन
लोगों का है जो उनके नाम पर मूर्खता की बातें कर रहे हैं।ऐसी मूर्खताओं से बचने के
लिए हमें भौतिकवाद की प्रणाली के महत्व को समझना आवश्यक है।
---
सोवियत संघ के पतन में जिन कारकों ने
महत्वपूर्ण भूमिका अदा की उनमें KGB की भूमिका प्रधान कारक है। अर्सा पहले
इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली ने सोवियत संघ के पतन पर एक विशेषांक निकाला था उसमें
केजीबी के पूर्वप्रधान ने यह बात रेखांकित की थी। इसके अलावा केजीबी का काम था
सोवियत नागरिकों की इलैक्ट्रोनिक नजरदारी करना और आंतरिक प्रतिवाद का दमन करना।
इसके कारण घर-घर में जासूस पैदा हो गए,बाप अपने बेटे
पर, बीबी अपने पति पर केजीबी के लिए जासूसी कर रहे थे। यह सीधे नागरिकों
के जीवन को नरक बनाने के प्रयास थे जो अंत में सोवियत संघ के विघटन और समाजवाद के
पतन तक ले गए।
CIA and KGB are two sides of the same coin.
जवाब देंहटाएं