रविवार, 23 अप्रैल 2017

आम्बेडकर और हिन्दूधर्म


       हाल ही में आम्बेडकर के बहाने आरएसएस ने जो प्रचार किया उसमें आम्बेडकर के प्रति आस्था और विश्वास कम और वैचारिक अपहरण का भाव ज्यादा था।आरएसएस और आम्बेडकर के नजरिए में जमीन-आसमान का अंतर ही नहीं बल्कि शत्रुभाव है।दोंनों के लक्ष्य ,विचारधारा और हित अलग हैं। आम्बेडकर का व्यक्तित्व स्वाधीनता संग्राम और परिवर्तनकामी विचारों से बना था,जबकि संघ इस आंदोलन के बाहर था,उसे परिवर्तनकामी विचारों से नफरत है।वह अंग्रेजों की दलाली कर रहा था।
   आम्बेडकर धर्मनिरपेक्ष थे,संघ को धर्मनिरपेक्षता से नफरत है।आम्बेडकर हर स्तर पर समानता के हिमायती थे,संघ हर स्तर पर भेदभाव का पक्षधर है। आम्बेडकर दलितों की मुक्ति चाहते थे,संघ दलितों को दलित बनाए रखना चाहता है।आम्बेडकर को भगवान नहीं इंसान से प्रेम था,संघ को इंसान नहीं भगवान से प्रेम है।आम्बेडकर धर्मनिरपेक्ष भारत चाहते थे,संघ हिन्दू भारत चाहता है।इतने व्यापक भेद के बाद भी संघ के लोग आम्बेडकर को माला इसलिए पहनाते हैं जिससे आम्बेडकर प्रेम का ढोंग हना रहे।संघ में ढोंग और नाटक करने की विलक्षण क्षमता है।यह क्षमता इसे हिंदू धर्म से विरासत में मिली है।हिंदू माने नकली और अवसरवादी भाव में जीने वाला।


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