फेसबुक पर सक्रिय ''हिन्दू परंपरा ज्ञानी''मित्रों के लिए हम सुश्रुत रचित चरक संहिता से एक कहानी दे रहे हैं और यह कहानी बहुत कुछ कहती है।कहानी इस प्रकार है-
चरक संहिता में अतिसार यानी दस्त की बीमारी के प्रसंग में यह कहानी आई है- (अतिसार विषयक अग्निवेश की जिज्ञासा का उत्तर देते हुए भगवान पुनर्वसु आत्रेय कहते हैं कि हे अग्निवेश! सुनोः) आदिकाल में यज्ञों में पशु समालभनीय(यज्ञ में पशु आमंत्रित और पूजित करके छोड़ दिए जाते थे) होते थे किंतु यज्ञ में पशुओं का वध नहीं किया जाता था।इसके बाद दक्ष प्रजापति के बाद के समय में मनु के पुत्रों ने यज्ञों में पशुओं की हत्या करने की प्रथा शुरु की तथा पशुओं को आमंत्रित कर वधकिया जाने लगा ।पशुओं के वध की यह क्रिया वेदाज्ञा के अनुसार ही होती थी।इसके बाद के समय में राजा पृषध्र ने एक बहुत दिन चलने वाले यज्ञ का समारंभ किया। यज्ञ में निरंतर अन्य पशुओं का वध होता रहा।जब यज्ञ में बहुत अधिक पशुओं की हत्या हो जाने के कारण पशु नहीं मिलने लगे तो गौओं का वध आरंभ किया। यह देखकर जगत के प्राणी मात्र अत्यंत दुखी हुए।जब इन वध की गई गौओं का मांस खाया गया तो लोगों को अतिसार यानी दस्त की बीमारी हो गयी ।
सुश्रुत की चरक -संहिता में आहार के रुप में खाए जाने वाले पशु-पक्षियों की एक वर्गीकृत सूची दी गयी है और इसमें शामिल पशु-पक्षियों के आहार को स्वास्थ्यप्रद बताया गया है उस सूची में गौ मांस भी शामिल है। संदर्भ से यह भी पता चलता है कि हमारे आज के शिक्षित मध्ययवर्ग के फेसबुक भगवा बटुकों से सुश्रुत ज्यादा समझदार विद्वान थे। चरक संहिता में वर्णित गौ मांस सेवन के दो रुप हैं एक है आहार के रुप में और दूसरा है औषधि के रुप में।
चरक-संहिता के 'सूत्र स्थान' के सत्ताइसवें अध्याय में प्रसह पशु-पक्षी गण की सूची दी गयी है इस सूची में गाय भी शामिल है।जो प्राणी अपने भोजन को दूसरों से जबर्दस्ती छीनकर या फाड़कर खाते हैं उन्हें प्रसह-गण पशु-पक्षी की संज्ञा दी गयी है। ये हैं- गाय,गधा,ऊंट,घोड़ा,चीता,सिंह,भालू,बंदर,भेड़िया,बाघ,लकड़बग्घा,बिल्ली,कुत्ता,कौवा,बाज,गिद्ध आदि। इसके अलावा अन्यवर्ग के पशु-पक्षियों का भी उल्लेख है।ये हैं बिल में रहने वाले-तेरह जीव,दलदल में रहने वाले9जीव,जल में निवास करने वाले 10जीव,जल में चलने वाले 29जीव, इसके अलावा 17 जांगल पशु ,चोंच या पैर से कुरेदकर खाने वाले 19जीव ,इसके अलावा जो जीव चोंच या पैर से आघात करके आहार खाते हैं उनकी संख्या 30 बतायी गयी है। कुल मिलाकर आठ वर्गों में 156 पशु-पक्षियों की सूची सुश्रुत ने पेश की है जिनका मांस आहार के लिए उपयुक्त पाया गया है और इनमें से प्रत्येक के मास के बीमारी सम्बन्धी लाभों का भी जिक्र किया गया है। पोषक मांस आहार में गाय शामिल है।
चरक संहिता के अनुसार गौ मांस के विशिष्ट गुण क्या हैं ? आत्रेय के शब्दों में '' गौ मांस केवल वातजन्य रोगों में ,विषम ज्वर में,पीनस रोग में, सूखी खाँसी में,परिश्रमजन्य थकावट में,भस्मक रोग में और मांसक्षयजन्य रोगों में हितकारी होता है।'' इसके अलावा भी गौ मांस खाने अनेक फायदे चरक संहिता में गिनाए गए हैं। ये बातें लिखने का मकसद है हिन्दुत्ववादियों द्वारा किए जा रहे अनर्गल प्रचार का खण्डन करना। इस बात को रखने का मकसद गौमांस भक्षण को बढ़ावा देना नहीं है। हम यही चाहते हैं खान-पान के मामलों में न तो राजसत्ता और न राजनीतिक दल और न अन्य कोई हस्तक्षेप करे।खान-पान का मामला निजी मामला है और इस प्रसंग में स्वास्थ्यप्रद खान-पान को बढ़ावा देना चाहिए।
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