देश में भ्रष्टाचार,बेईमानी और घूसखोरी के खिलाफ जून १९७५ को लाए गए आपातकाल को भारत की जनता भूली नहीं है। इंदिरा गांधी के उन दिनों के भाषणों को देखना चाहिए। मोदीजी इन दिनों जो भाषा बोल रहे हैं वह अधिनायकवाद की भाषा है,जब आपातकाल लगा तो उस समय भी इंदिराजी के साथ एक योगी था नाम था धीरेन्द्र ब्रह्मचारी , तकरीबन वैसा ही इस समय हो रहा है, मोदी के साथ योगी रामदेव हैं।आपातकाल को विनोवा भावे ने अनुशासन पर्व कहा था और इस समय अन्ना हजारे वही भाषा बोल रहे हैं। आरएसएस ने उस समय इंदिराजी को सहयोग देने के लिए तीनपत्र लिखे थे।आज संयोग से वे देश की केन्द्र सरकार चला रहे हैं उनका नायक पीएम है।
मोदी वही भाषा बोल रहे हैं जो आपातकाल लगाते समय श्रीमती इंदिरा गांधी बोल रही थी। वे भी कठोर फैसले लेने के लिए जानी जाती हैं ,मोदीजी भी सख्त हैं।
आपातकाल में सभी अरबपति इंदिरा के साथ थे, मोदी के साथ भी कारपोरेट घराने हैं।जनता पर नसबंदी , राजनीतिक कारणों से गिरफ्तारी के बहाने बेशुमार जुल्म किए गए।
मोदीजी ने नोटबंदी के बहाने जनता जनजीवन और शांति पर सीधे हमला किया है। यह संयोग है बिडला की एक कंपनी ने "एक्टिव एप "के नाम से फासिस्ट नजरिए का विज्ञापन जारी किया है। आपातकाल में १जुलाई१९७५ को घनश्याम दास बिडला के नेतृत्व में देश के सभी अमीरों ने दिल्ली में आपातकाल और बीस सूत्री कार्यक्रम के समर्थन में जुलूस निकाला था।
जनता ने आपातकाल में असीम धैर्य का परिचय दिया था,लेकिन मन में वह कांग्रेस से नफरत करने लगी,किसी को अंदाजा नहीं लगा कि जनता नाराज है। सारा सरकारी तंत्र पीएम को यही कह रहा था जनता आपके साथ है, लेकिन चुनाव होने पर कांग्रेस बुरी तरह हार गयी। ठीक वैसा ही माहौल इन दिनों है, मोदीजी की योजना है कि जनता भडक जाए तो फिर सीधे सेना की मदद लेकर कुचल दिया जाए, मोदीजी ने जिस दिन नोटनीति घोषित की उसी दिन तीनों सेनाध्यक्षों के साथ बैठक की। हमारा अनुमान है यह बैठक पाक के सीमापर हो रहे हमलों को लेकर नहीं हुई।
आपातकाल को अध्यादेश के जरिए लागू किया गया।नोटबंदी को भी सरकारी आदेश के जरिए लागू किया गया है।दोनों ही मामलों में संसद की अवहेलना की गयी।
हम जनता के विवेक और संयम पर भरोसा करते हैं ,किसी भी अवस्था में जनता को संयम और विवेक को छोडना नहीं चाहिए।जरूरत है मोदी सरकार और आरएसएस के प्रति नफरत को और भी गहरा बनाएं और वोट और शांतिपूर्ण प्रतिवाद के जरिए अपना मन वोट में व्यक्त करें।
मोदी वही भाषा बोल रहे हैं जो आपातकाल लगाते समय श्रीमती इंदिरा गांधी बोल रही थी। वे भी कठोर फैसले लेने के लिए जानी जाती हैं ,मोदीजी भी सख्त हैं।
आपातकाल में सभी अरबपति इंदिरा के साथ थे, मोदी के साथ भी कारपोरेट घराने हैं।जनता पर नसबंदी , राजनीतिक कारणों से गिरफ्तारी के बहाने बेशुमार जुल्म किए गए।
मोदीजी ने नोटबंदी के बहाने जनता जनजीवन और शांति पर सीधे हमला किया है। यह संयोग है बिडला की एक कंपनी ने "एक्टिव एप "के नाम से फासिस्ट नजरिए का विज्ञापन जारी किया है। आपातकाल में १जुलाई१९७५ को घनश्याम दास बिडला के नेतृत्व में देश के सभी अमीरों ने दिल्ली में आपातकाल और बीस सूत्री कार्यक्रम के समर्थन में जुलूस निकाला था।
जनता ने आपातकाल में असीम धैर्य का परिचय दिया था,लेकिन मन में वह कांग्रेस से नफरत करने लगी,किसी को अंदाजा नहीं लगा कि जनता नाराज है। सारा सरकारी तंत्र पीएम को यही कह रहा था जनता आपके साथ है, लेकिन चुनाव होने पर कांग्रेस बुरी तरह हार गयी। ठीक वैसा ही माहौल इन दिनों है, मोदीजी की योजना है कि जनता भडक जाए तो फिर सीधे सेना की मदद लेकर कुचल दिया जाए, मोदीजी ने जिस दिन नोटनीति घोषित की उसी दिन तीनों सेनाध्यक्षों के साथ बैठक की। हमारा अनुमान है यह बैठक पाक के सीमापर हो रहे हमलों को लेकर नहीं हुई।
आपातकाल को अध्यादेश के जरिए लागू किया गया।नोटबंदी को भी सरकारी आदेश के जरिए लागू किया गया है।दोनों ही मामलों में संसद की अवहेलना की गयी।
हम जनता के विवेक और संयम पर भरोसा करते हैं ,किसी भी अवस्था में जनता को संयम और विवेक को छोडना नहीं चाहिए।जरूरत है मोदी सरकार और आरएसएस के प्रति नफरत को और भी गहरा बनाएं और वोट और शांतिपूर्ण प्रतिवाद के जरिए अपना मन वोट में व्यक्त करें।
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