फेसबुक के सर्जक मार्क जुकेरबर्ग ने सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन के सामने एस- 1 के तहत सन् 2012 के आरंभ में जो बयान दिया है उसमें उसने कहा है कि फेसबुक का लक्ष्य है विश्व में ज्यादा खुलापन और संपर्क पैदा करना । यानी ज्यादा खुला और कनेक्टेड संसार निर्मित करना फेसबुक का लक्ष्य है। फेसबुक ने अपने इस लक्ष्य के लिए लगातार अपनी तकनीकी और फेसबुक सुविधाओं में निरंतर सुधार करके अपडेटिंग और सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया को तेज किया है। फेसबुक का दूसरा बड़ा लक्ष्य है अंतहीन साझेदारी। विचार से लेकर वीडियो तक सभी चीजों की सीमाहीन साझेदारी का ऐसा सुंदर मंच मानव सभ्यता में पहले कभी नहीं दिखा । इस क्रम में अनेक मामलों में कॉपीराइट के अनेक नियम भी टूटे हैं।
फेसबुक ने मात्र 8सालों में 75करोड़ लोगों को अपने से जोड़ लिया है। किसी अकेले मीडियम का इतनी बड़ी संख्या में जुड़ना स्वयं में बहुत बड़ी बात है।इतने कम समय में टीवी ने भी यह सफलता नहीं पाई थी। आज फेसबुक पर प्रतिमाह व्यक्ति 7 घंटे खर्च करता है।सन् 2009 में प्रति व्यक्ति प्रतिमाह 4घंटे खर्च करता था। मनुष्यों को एक साथ जोड़ने वाला कोई और प्लेटफॉर्म नहीं है।
फेसबुक पर नाराजगी जताने या उसके यूजरों पर नाराज होने से फेसबुक कम्युनिकेशन की समस्या हल होने वाली नहीं है। इंटरनेट में आज सभी किस्म के कम्युनिकेशन समाहित हो चुके हैं। फोन से लेकर डाकूमेंटस तक,रेडियो से लेकर वीडियो तक।
पहले लोग सोच रहे थे बेव और इंटरनेट की दुनिया महान है लेकिन फेसबुक ने अब इस सबको चुनौती दे दी है। फेसबुक पर हम सब वैसे ही विचरण कर रहे हैं जैसे भाड़े की जमीन पर किसान खेती करता है।वह जितनी मेहनत करता है उतनी बेहतर फसल पैदा होती है। ठीक वैसे ही हम फेसबुक पर हम जितनी मेहनत करेंगे फेसबुक को उतना ही सुंदर बना सकते हैं। प्लेटफॉर्म किसी और का है, लेकिन हम सब उसके किराएदार हैं । कल तक फेसबुक पर विचरण करने को समय की बर्बादी कहा जाता था,लेकिन आज ऐसा नहीं है।जबकि आज कहा जा रहा है कि यह सबसे सस्ता माध्यम है। यह भी कहा जा रहा है कि फेसबुक से समाज के बुनियादी मूल्यों और प्राइवेसी को खतरा है। असल में फेसबुक आक्रामक और प्रभावशाली मीडियम है, इससे खतरे कम हैं फायदे ज्यादा हैं।
फेसबुक ने 8 साल में 75करोड़ लोगों को जोड़ा है,लेकिन इंटरनेट जिस गति से लोगों से जुड़ रहा है उसके अनुसार इतने लोग जोड़ने में उसे 30 साल लगेंगे।पूंजीवाद के इतिहास में कम्युनिकेशन और संपर्क की फेसबुक महानतम उपलब्धि है। इस उपलब्धि को हम सभी बेहतर सभ्य भाषा में इस्तेमाल करें तो ज्यादा स्थायी दोस्त बना सकते हैं।
फेसबुक ने मात्र 8सालों में 75करोड़ लोगों को अपने से जोड़ लिया है। किसी अकेले मीडियम का इतनी बड़ी संख्या में जुड़ना स्वयं में बहुत बड़ी बात है।इतने कम समय में टीवी ने भी यह सफलता नहीं पाई थी। आज फेसबुक पर प्रतिमाह व्यक्ति 7 घंटे खर्च करता है।सन् 2009 में प्रति व्यक्ति प्रतिमाह 4घंटे खर्च करता था। मनुष्यों को एक साथ जोड़ने वाला कोई और प्लेटफॉर्म नहीं है।
फेसबुक पर नाराजगी जताने या उसके यूजरों पर नाराज होने से फेसबुक कम्युनिकेशन की समस्या हल होने वाली नहीं है। इंटरनेट में आज सभी किस्म के कम्युनिकेशन समाहित हो चुके हैं। फोन से लेकर डाकूमेंटस तक,रेडियो से लेकर वीडियो तक।
पहले लोग सोच रहे थे बेव और इंटरनेट की दुनिया महान है लेकिन फेसबुक ने अब इस सबको चुनौती दे दी है। फेसबुक पर हम सब वैसे ही विचरण कर रहे हैं जैसे भाड़े की जमीन पर किसान खेती करता है।वह जितनी मेहनत करता है उतनी बेहतर फसल पैदा होती है। ठीक वैसे ही हम फेसबुक पर हम जितनी मेहनत करेंगे फेसबुक को उतना ही सुंदर बना सकते हैं। प्लेटफॉर्म किसी और का है, लेकिन हम सब उसके किराएदार हैं । कल तक फेसबुक पर विचरण करने को समय की बर्बादी कहा जाता था,लेकिन आज ऐसा नहीं है।जबकि आज कहा जा रहा है कि यह सबसे सस्ता माध्यम है। यह भी कहा जा रहा है कि फेसबुक से समाज के बुनियादी मूल्यों और प्राइवेसी को खतरा है। असल में फेसबुक आक्रामक और प्रभावशाली मीडियम है, इससे खतरे कम हैं फायदे ज्यादा हैं।
फेसबुक ने 8 साल में 75करोड़ लोगों को जोड़ा है,लेकिन इंटरनेट जिस गति से लोगों से जुड़ रहा है उसके अनुसार इतने लोग जोड़ने में उसे 30 साल लगेंगे।पूंजीवाद के इतिहास में कम्युनिकेशन और संपर्क की फेसबुक महानतम उपलब्धि है। इस उपलब्धि को हम सभी बेहतर सभ्य भाषा में इस्तेमाल करें तो ज्यादा स्थायी दोस्त बना सकते हैं।
बिलकुल यही मुझे भी लगता है
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