मंगलवार, 25 जून 2013

फेसबुक विचार वैतरणीः भाजपा और 2014 का लोकसभा चुनाव




-1-
BJP अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भाजपा को असली भगवा रंग में पेश करके भाजपा का राजनीतिक भविष्य अंधकारमय कर दिया है। राजनाथ सिंह ने धर्मनिरपेक्षता को बीमारी कहा है और उसे बुरा माना है। उन्होंने कहा- “You know there is a disease called encephalitis which is very bad .....similarly there is another disease called secularitis from which the Congress and its allies are suffering in the manner they have been trying to create a divide on the lines of secularism and communalism in the country,”( हिन्दू,24जून 2013)

राजनाथ सिंह ने इस बयान के जरिए धर्मनिरपेक्षता पर हमला किया है। कल मोदी ने राष्ट्रवादीभावबोध से हमला किया था।आज धर्मनिरपेक्षता पर हमला किया गया,अगला हमला संभवतः राष्ट्रीयएकता पर होगा।
धर्मनिरपेक्षता भारतीय जीवन का महासच है, और साम्प्रदायिकता लघुसच है, यह देखना होगा कि देश की जनता किस सच को स्वीकार करती है।
साम्प्रदायिक भाजपा-संघ परिवार-मोदी को देश की जनता लगातार ठुकराती रही है। भाजपा को अपनी राजनीतिक महत्ता का अहसास हो जाएगा यदि वे इसबार अकेले चुनाव लड़ लें।
-2-
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा है- “Our country must be saved from this disease (secularitis),” he said and urged all political parties to oppose it.
यानी देश को फंडामेंटलिज्म और प्रतिक्रियावादी राजनीति की ओर ले जाने का आह्वान किया है राजनाथ सिंह ने। राजनाथ सिंह जबाव दें कौन सा देश है जो फंडामेंटलिज्म या अनुदारवादी नीतियों के आधार पर अपना प्रगतिशील ढ़ंग से विकास कर पाया है ? आधुनिक होने के लिए धर्मनिरपेक्ष होना जरूरी है।
-3-
जो लोग गुजराती अस्मिता और गुजराती जातीयता को आगामी चुनाव में भाजपा के वोटबैंक का आधार बनाकर मोदी को नेता बनाना चाहते हैं वे जानलें कि आंध्र में क्या हो रहा है।
आंध्र में आज विभाजन का खतरा साक्षात खड़ा है,यह तेलुगू जातीयता के राज्य विभाजन की नई दिशा है। यह वैसे ही है जैसे राममंदिर आंदोलन के बाद हिन्दू उन्माद पैदा करके भाजपा-कांग्रेस आदि ने मिलकर यूपी-मध्यप्रदेश और बिहार को विभाजित किया।
कहने का मतलब है जातीयता और राष्ट्रवाद के आधार मोदी जो राजनीति कर रहे हैं वह विभाजनकारी है और इसके कभी भी कहीं पर भी सुखद परिणाम नहीं निकले हैं। यह बात योरोप से लेकर भारत तक सही है।
-4-
भाजपा -संघ परिवार और मोदी को इस सवाल का जबाव देना होगा कि उनका आगामी लोकसभा 2014 चुनाव में एजेण्डा राष्ट्रवाद है या राष्ट्रीय विकास है ?
-5-
जो राजनेता अपने तुच्छ राजनीतिक स्वार्थ के लिए राष्ट्रीयता का इस्तेमाल करते हैं वे यह भूल जाते हैं कि राष्ट्रीयता में अंतर्गृथित तौर पर विभाजनकारी तत्व शामिल रहता है। राष्ट्रीयता कभी भी साम्प्रदायिकता या पृथकतावाद या आतंकवाद में रूपांतरित हो सकती है।
नरेन्द्र मोदी ने गुजराती अस्मिता और गुजराती जातीयता के सवाल को जिस शक्ति के साथ उठाया उसने स्वाभाविकतौर पर साम्प्रदायिक हिंसाचार में रूपान्तरण किया, यह हिंसा तब भी होती यदि गोधराकांड न होता।
पंजाब में अकालियों की पंजाबी जातीयता का हश्र हम देख चुके हैं.शिवसेना के मराठी जातीयता के विभाजनकारी रूपान्तरण से हम बाकिफ हैं।
सवाल यह है कि मोदी,भाजपा या संघ परिवार जातीय उन्माद और राष्ट्रवाद को छोड़कर आगामी चुनाव लड़ता है या नहीं ? ये दोनों ही प्रवृत्तियां आधुनिक भारत के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा हैं।
-6-
मोदी और भाजपा को यह बात समझ में आ गयी है कि गुजरात महान,गुजराती जातीयगर्व आदि के आधार पर मोदी राष्ट्रीयनेता नहीं बन सकते। यह राष्ट्रीयता की सीमा है। नरेन्द्र मोदी ,संघ परिवार और भाजपा को यह बात समझनी होगी कि राष्ट्रीयता के ईंधन से देश की अन्य राष्ट्रीयताओं में अपील पैदा नहीं की जा सकती।
राष्ट्रीयता का उन्माद एक सीमा के बाद राजनीतिक बेड़ी बन जाता है और यही कष्ट इनदिनों मोदी का है। वे गुजराती राष्ट्रीयता की जंजीरों में बंधे हैं। ये बेडियां उन्होंने ही डाली हैं, अब वे इनको तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं इसमें उनको शायद ही सफलता मिले। क्योंकि वे अपना राष्ट्रीयताप्रेम खारिज कर नहीं सकते और बिना राष्ट्रीयताप्रेम खारिज किए राष्ट्रप्रेम पैदा नहीं होता। डर है कि गुजराती राष्ट्रीयता और राष्ट्रवाद के द्वंद्व में भाजपा अपनी गुजरात के संसदीय आधार से हाथ न धो बैठे.
-7-
कल (22जून2013 )जब नरेन्द्र मोदी पंजाब से अपना चुनाव अभियान शुरू कर रहे थे तो अचानक उन्हें कश्मीर के युवाओं का खूब ख्याल आया, सवाल यह है कि चुनावी प्रचारसभा में ही ख्याल क्यों आया ,पहले कभी मोदी को कश्मीर के युवा नजर क्यों नहीं आए ? असल में युवाओं को मोदी राष्ट्रवादी उन्माद का ईंधन बनाने की कोशिश कर रहे थे। जो नेता युवाओं को राष्ट्रवाद का ईंधन बनाता है वह उनका सबसे ज्यादा नुकसान करता है। आज के दौर में राष्ट्रवाद कैंसर है।
-8-
कोई ये बता सकता है कि गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी ने किस फार्मूले से केवल गुजरातियों को चुनचुनकर सड्क और हवाई मार्ग से राहत सुविधाएं मुहैया करवाई होंगी। क्‍या प्रांतीयता पूछकर राहत कार्य संभव है्।(सुधासिंह का स्टेटस)
-9-
केदारनाथ आपदा में फंसा है वहां मदद की जरूरत है ,सन् 2014 के लोकसभा चुनाव अभी बहुत दूर हैं ,लेकिन नरेन्द्र मोदी चुनावप्रचार पर निकल दिए हैं। इसे क्या कहें -चुनावप्रेम या देशप्रेम ?
-10-
बिहार के मुख्यमंत्री ने नरेन्द्र मोदी को कारपोरेट घरानों के साथ जोड़ा है और इसी प्रसंग में मुझे आडवाणी की सबसे रोचक टिप्पणी याद आ रही है। उन्होंने लिखा है- "देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार के बारे में सन 2008 के राष्ट्रमंडल खेलों से सुना जा रहा है जिसके चलते हमारे राष्ट्र की काफी बदनामी हुई है। परन्तु वर्तमान के दौर में अलग श्रेणी के नायकों के शामिल होने से यही तथ्य उभरता है कि इस सभी गिरावट की जड़ में पैसा मुख्य है।

किसी ने सही ही कहा है: धन रखना बहुत अच्छा है; यह एक मूल्यवान चाकर हो सकता है। लेकिन धन आपको रखे तो यह ऐसा है जैसे कोई शैतान आपको पाल रहा है, और यह सर्वाधिक स्वार्थी और खराब किस्म का शैतान है!"
यहां जोडें यदि धनवान पाले तो हैवान हो सकता है।
-11-
मोदी के नवरत्न अदालत के जरिए पुरस्कृत- एनडीए के टूटने की खबरों के बीच बीजेपी कैंपेन कमिटी के अध्यक्ष और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को करारा झटका लगा है। गुजरात में नरेंद्र मोदी सरकार में सीनियर मंत्री बाबूभाई बुखेरिया को अवैध खनन मामले में पोरंबदर की एक अदालत ने सजा सुनाई है। अदालत ने गुजरात के जल संसाधन मंत्री बुखेरिया और 3 अन्य लोगों के साथ 3 साल कैद की सजा सुनाई है। बुखेरिया पर 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
-12-
आज आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और लालकृष्ण आडवाणी के बीच मुलाकात हुई और तकरीबन 45 मिनट बातें हुईं। इस बातचीत में आडवाणी ने मोदी के खिलाफ एक पूरी चार्जशीट दी है और अपनी राय रखकर समझाने की कोशिश की है संघ का नया दांव भाजपा का देश में राजनीतिक अलगाव बढ़ाएगा। इस पर मोहन भागवत सहमत नहीं थे। अंत में दोनों में मोदी पर कोई सहमति नहीं बन पायी है। संभावना यह है कि मीडिया और इंटरनेट में आडवाणी अपने हमले और तेज करेंगे।
-13-
भाजपानेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपने ब्लॉग में एक सुंदर उद्धरण दिया है,
डेविडसन की टिप्पणी है: पैसा नगण्य है। लेकिन इससे जो सिध्दान्त स्थापित हुआ है, और जो इतिहास फिर से लिखा गया है, वह अथाह है।
-14-
भाजपा का पुनःहिन्दुत्व की शरण में लौटना इस बात का संकेत है कि भाजपा के पास 21वीं सदी का कोई सपना नहीं है। वे हिन्दुओं को गरमाकर कुछ समय बाद अलकायदा टाइप दिशा ग्रहण करेंगे। यह बात आडवाणी पहचान रहे हैं और यही वह बिंदु है जहां पर उनको चुप रहने को कहा गया है।
आज भाजपा के सामने दो रास्ते हैं -1.एनडीए का रास्ता और 2.अलकायदा रास्ता। अलकायदा रास्ता प्रकारान्तर से कांग्रेस की सेवा है और भारत की सत्ता राहुल गांधी को सौंपने की एक तरह से प्रच्छन्न घोषणा भी है।
मोदी वैसे ही लड़ रहे हैं कांग्रेस से ,जैसे विन लादेन कभी अमेरिका से लड रहा था ,और अंत में अमेरिका के हाथों अफगानिस्तान सौंपकर ही मरा।
-15-
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मेरठ में मोदी की हिमायत करते हुए जो बयान दिया है उससे साफ हो जाना चाहिए कि मोदी को अगुवा बनाकर संघ परिवार देश में विकास का नहीं विभाजनकारी एजेंडा लागू करना चाहता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बीजेपी में राष्ट्रीय भूमिका दिए जाने का समर्थन करते हुए कहा कि "हिन्दुत्व ही वह रास्ता है जिससे देश में परिवर्तन लाया जा सकता है।"

मोदी का कद बढ़ाए जाने का विरोध कर रहे बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि" कोई पसंद करे या नहीं करे, हिन्दुत्व ही वह मार्ग है जो देश में परिवर्तन लाएगा। इसी में देश का सम्मान निहित है"।

भागवत ने सोमवार की शाम संघ के प्रशिक्षण शिविर में कहा कि" हमने नेता और एजेंडा बदल कर देख लिया, कुछ काम नहीं आया। राजनीति के द्वारा भारत को महाशक्ति नहीं बनाया जा सकता है, ऐसा सिर्फ हिन्दुत्व से किया जा सकता है।"

यानी भाजपा में जो कुछ बदलाव आए हैं वे संघ के आदेश पर आए हैं। संघ का इससे चरित्र फिर से साफ हुआ है कि वह सांस्कृतिक संगठन का मुखौटा लगाए राजनीतिक संगठन है।
दूसरी बात यह कि जब सारी दुनिया साइबरयुग में जाने की सोच रही है देश,नस्ल,राष्ट्र,राष्ट्रवाद आदि की सीमाओं का अतिक्रमण कर रही है ऐसी स्थिति में हिन्दुत्व के नाम पर एकजुट करना देश को 14वीं सदी में ले जाने की कोशिश ही कही जाएगी।
तीसरी बात यह कि मोदी के बहाने आनेवाले समय में विकास का नहीं हिन्दुत्व का एजेण्डा आने वाला है।
-16-
कांग्रेस के नेताओं के विलक्षण बयान आने लगे हैं। एक नेता ने कहा है कि धर्मनिरपेक्ष भारत कभी भी नरेन्द्र मोदी को अपना नेता नहीं मानेगा। यह बयान धर्मनिरपेक्षता की गलत समझ पर आधारित है।
धर्मनिरपेक्ष भारत में साम्प्रदायिक व्यक्ति भी प्रधानमंत्री -मंत्री-मुख्यमंत्री आदि हो सकता है। अटल-आडवाणी-नानाजी देशमुख -कल्याण सिंह आदि खांटी साम्प्रदायिक नेता इसके आदर्श उदाहरण हैं। यहां तक कि कागज पर नियमानुसार भाजपा धर्मनिरपेक्ष दल है और यह बात उसने अपने दलीय संविधान में मानी है। यह दीगर बात है कि उसके नेता अहर्निश साम्प्रदायिक प्रचार करते रहते हैं। कांग्रेस के नेताओं को इस तरह के बयानों से बचना चाहिए। धर्मनिरपेक्ष भारत में अनिश्वरवादी भी मंत्री आदि हो सकता है।
-17-
भाजपा या किसी भी दल को साम्प्रदायिक है या धर्मनिरपेक्ष है ,उसके अल्पसंख्यकों के प्रति नजरिए के आधार पर देखना चाहिए।
-18-
भाजपा क्या है और कांग्रेस क्या है,यह मुद्दा यहां बहस तलब नहीं है।एक घटना केन्द्र में है और उसकी संभावित परिणतियों पर अनुमान हमसब लगा रहे हैं। कानूनन भाजपा धर्मनिरपेक्षदल है।हमारा संविधान किसी साम्प्रदायिकदल को चुनावी मान्यता नहीं देता। लेकिन उसकी विचारधारात्मक समझ उसे साम्प्रदायिक बनाती है।इसी तरह कांग्रेस कहने को धर्मनिरपेक्षदल है विचारधारा के आधार पर ,लेकिन उसने अनेकमर्तबा निहितदलीय स्वार्थों के लिए साम्प्रदायिक पत्ते खेले हैं।
-19-
एनडीए का बिखरना लोकतंत्र के लिए अशुभ है,उसमें से धर्मनिरपेक्ष जदयू का निकल जाना और भी अशुभ है,क्योंकि अब यह मोर्चा और भी ज्यादा कंजरवेटिव और विभाजनकारी मुद्दों के आधार पर लोगों में उन्माद पैदा करेगा। जदयू ने अलग होकर साम्प्रदायिक ताकतों के लिए उन्मादी रास्ते तलाशने की मोड़ दिया है।
-20-
नरेन्द्र मोदी -भाजपा के जंजाल से मुक्त होकर नीतीश कुमार ने ठीक वही काम किया है जो किसी जमाने में वीपी सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर किया था। भारत की नई लीडरशिप अब नीतीश-अखिलेश यादव -राहुल गांधी और मायावती के चतुष्कोण पर केन्द्रित है और नई लोकसभा की संभावनाओं में वाममोर्चा इनके पूरक होंगे। यह काम यूपीए से अलग तीसरा मोर्चा बनाकर हो या अन्य किसी शक्ल में,वामदलों का आगामी कन्वेंशन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। नए समीकरण में नीतीश महत्वपूर्ण हैं।
-21-
भाजपा के लोग नीतीश के पुराने भाषणों को बांट रहे हैं, वे नहीं जानते कि उनके नेताओं के पुराने भाषण यदि बंटेंगे तो मोदी,भाजपा और संघ परिवार की क्या गत होगी ? चुनाव में पुराने भाषण कम जाति, नए भाषण और नए मुद्दे ज्यादा काम करते हैं,खासकर बिहार और यूपी में।
-22-
नीतीश कुमार ने मोदी को एक ही एक्शन में नायक से खलनायक बना दिया है और भावी रणनीति अब यादवों और नीतीश कुमार पर निर्भर है। बिहार-यूपी में गणित साफ दिख रहा है कि भाजपा हाशिए के बाहर है।
-23-
नरेन्द्र मोदी बड़े नसीब वाले हैं,कांटे निकालने में माहिर हैं,भाजपा की उलझी जुल्फें संवारने में लगे हैं,इस पर पढ़ें-

उलझी थी ज़ुल्फ़ उस ने सँवारा सँवर गई
शाने को क्या ख़बर ये बला किस के सर गई।।जमील मजहरी।।
-24-
भाजपा-जदयू विवाद में अंदर खाते की बातें आनी बाकी हैं,लेकिन बात बिगड गयी है तो इसका कोई समाधान संभव नहीं है.रहीम ने क्या कहा है पढ़ें-

बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय ।
रहिमन बिगरै दूध को, मथे न माखन होय ॥
-25-
आज भाजपा के सभी नेता चैन की नींद सोएंगे,कई दिनों से नीतीश कुमार से परेशान थे।
कांटा निकल गया और दर्द बंद अब आराम से देश में रामरथ दौडाएंगे,कोई न रोकनेवाला है और न साथ से भागनेवाला।
हमें तो लगता है नीतीश बाबू ने भाजपा का साथ रामजी की कृपा के कारण ही छोड़ा है. राजनाथ सिंह की भगवान ने जिस तरह मदद की है,ईश्वर यूपीए की भी इसी तरह मदद करे।
-26-
नरेन्द्र मोदी के नाम पर भाजपा-संघ परिवार और कारपोरेट मीडिया सुनियोजित प्रचार चला रहा है । कहा जा रहा है भारत की सब बीमारियों की रामबाण दवा है मोदी। मोदी को गद्दी दो और देश की तकदीर बदलो।मोदी को लाने का अर्थ है हिन्दुस्तान को मूर्खिस्तान बनाना। मूर्खिस्तान पर काका की कविता पढ़ें-

मूर्खिस्तान ज़िंदाबाद / काका हाथरसी

स्वतंत्र भारत के बेटे और बेटियो !
माताओ और पिताओ
आओ, कुछ चमत्कार दिखाओ। 
नहीं दिखा सकते ?
तो हमारी हाँ में हाँ ही मिलाओ। 
हिंदुस्तान, पाकिस्तान अफगानिस्तान
मिटा देंगे सबका नामो-निशान
बना रहे हैं-नया राष्ट्र मूर्खितान
आज के बुद्धिवादी राष्ट्रीय मगरमच्छों से
पीड़ित है प्रजातंत्र, भयभीत है गणतंत्र
इनसे सत्ता छीनने के लिए
कामयाब होंगे मूर्खमंत्र-मूर्खयंत्र
कायम करेंगे मूर्खतंत्र।

हमारे मूर्खिस्तान के राष्ट्रपति होंगे-
तानाशाह ढपोलशंख
उनके मंत्री (यानी चमचे) होंगे-
खट्टासिंह, लट्ठासिंह, खाऊलाल, झपट्टासिंह
रक्षामंत्री-मेजर जनरल मच्छरसिंह
राष्ट्रभाषा हिंदी ही रहेगी, लेकिन बोलेंगे अँगरेजी। 
अक्षरों की टाँगें ऊपर होंगी, सिर होगा नीचे
तमाम भाषाएँ दौड़ेंगी, हमारे पीछे-पीछे।
सिख-संप्रदाय में प्रसिद्ध हैं पाँच ककार’-
कड़ा, कृपाण, केश, कंघा, कच्छा। 
हमारे होंगे पाँच चकार’-
चाकू, चप्पल, चाबुक, चिमटा और चिलम।

इनको देखते ही भाग जाएँगी सब व्याधियाँ
मूर्खतंत्र-दिवस पर दिल खोलकर लुटाएँगे उपाधियाँ
मूर्खरत्न, मूर्खभूषण, मूर्खश्री और मूर्खानंद।

प्रत्येक राष्ट्र का झंडा है एक, हमारे होंगे दो
कीजिए नोट-लँगोट एंड पेटीकोट 
जो सैनिक हथियार डालकर 
जीवित आ जाएगा
उसे परमूर्ख-चक्रप्रदान किया जाएगा। 
सर्वाधिक बच्चे पैदा करेगा जो जवान
उसे उपाधि दी जाएगी संतान-श्वान
और सुनिए श्रीमान-
मूर्खिस्तान का राष्ट्रीय पशु होगा गधा
राष्ट्रीय पक्षी उल्लू या कौआ
राष्ट्रीय खेल कबड्डी और कनकौआ। 
राष्ट्रीय गान मूर्ख-चालीसा
राजधानी के लिए शिकारपुर, वंडरफुल !
राष्ट्रीय दिवस, होली की आग लगी पड़वा। 

प्रशासन में बेईमान को प्रोत्साहन दिया जाएगा
ईमानदार सुर्त होते हैं, बेईमान चुस्त होते हैं। 
वेतन किसी को नहीं मिलेगा
रिश्वत लीजिए
सेवा कीजिए !

कीलर कांडने रौशन किया था
इंगलैंड का नाम
करने को ऐसे ही शुभ काम-
खूबसूरत अफसर और अफसराओं को छाँटा जाएगा
अश्लील साहित्य मुफ्त बाँटा जाएगा। 

पढ़-लिखकर लड़के सीखते हैं छल-छंद
डालते हैं डाका
इसलिए तमाम स्कूल-कालेज 
बंद कर दिए जाएँगे काका
उन बिल्डिगों में दी जाएगी हिप्पीवादकी तालीम 
उत्पादन कर से मुक्त होंगे
भंग-चरस-शराब-गंजा-अफीम
जिस कवि की कविताएँ कोई नहीं समझ सकेगा
उसे पाँच लाख का अज्ञानपीठ-पुरस्कार मिलेगा। 
न कोई किसी का दुश्मन होगा न मित्र
नोटों पर चमकेगा उल्लू का चित्र !

नष्ट कर देंगे-
धड़ेबंदी गुटबंदी, ईर्ष्यावाद, निंदावाद। 
मूर्खिस्तान जिंदाबाद !
-26-
नीतीश कुमार-मोदी प्रसंग में-

पत्ता बोला वृक्ष से, सुनो वृक्ष बनराय ।
अब के बिछुड़े ना मिले, दूर पड़ेंगे जाय ॥
-27-
नरेन्द्र मोदी पर कबीर ये पंक्तियां पढ़ें-

जहाँ आप तहाँ आपदा, जहाँ संशय तहाँ रोग ।
-28-
मोदीपंथी मीडिया पर-

फूटी आँख विवेक की, लखे ना सन्त असन्त ।
जाके संग दस-बीस हैं, ताको नाम महन्त ॥कबीर।।
-29-


1 टिप्पणी:

  1. आप रचनाकार कम और भविष्य वक्ता अधिक प्रतीत होते हैं... जो ऐसी भयानक कल्पना कर रहे हैं। मौका सभी को दिना चाहिए क्योंकि ये लोकतंत्र है। जिस प्रकार आप मोदी का केवल विरोध ही कर रहे हैं इस से ऐसा प्रतीत होता है कि आप केवल मोदी का विरोध करने के लिए लिख रहे हैं। रचनाकार को स्वतंत्र होना चाहिये।
    आशावादी बने... राष्ट्रीयता राष्ट्र के लिए कभी भी खतरनाक नहीं हो सकती. धर्मनिर्पेक्षता भारत की पहचान है इसे कोई नहीं मिटा सकता न कांग्रेस न भाजपा।

    जवाब देंहटाएं

विशिष्ट पोस्ट

मेरा बचपन- माँ के दुख और हम

         माँ के सुख से ज्यादा मूल्यवान हैं माँ के दुख।मैंने अपनी आँखों से उन दुखों को देखा है,दुखों में उसे तिल-तिलकर गलते हुए देखा है।वे क...