सुनने में अटपटा लगता है लेकिन सच है कि
पश्चिम बंगाल निरंतर बर्बरता की ओर कदम बढ़ा रहा है। गांवों से लेकर कस्बों तक
प्रेम करने वाले युवाओं पर संगठित हमले हो रहे हैं। इन संगठित हमलों में संस्था के
रुप में सालिसी सभाएं अग्रणी भूमिका अदा कर रही हैं। पश्चिमी बंगाल में वाम जमाने
में बनायी गयी सालिसी सभाएं इन दिनों बर्बरता के मामले में चरम पर हैं,सालिसी सभाओं के जरिए गांवों में तमाम किस्म के यंत्रणादायी दण्ड नियमित
दिए जा रहे हैं,कल एक तरुण की सभा की पब्लिक सुनवाई में सरेआम हत्या कर
दी गयी, बांकुड़ा में
कल सालिसी सभा में लड़की के पिता ने लड़के की चाकू मारकर हत्या कर दी,बंगाल में अब तक सालिसी सभा ने हजारों प्रेमियों को बर्बर दण्ड दिए हैं,हम मांग करते हैं ये सभाएं तुरंत खत्म की जाएं, अब तक सैंकडों
प्रेमियों को ये सभाएं विभिन्न किस्म के बर्बर दण्ड दे चुकी हैं,लेकिन राजनीतिकदलों के मुँह पर ताला लगा है,वे सालिसी सभाओं
के फैसलों के खिलाफ कभी नहीं बोलते।
उल्लेखनीय है वामशासन में बर्बर यंत्रणा के
लिए बनायी गयी ये सालिसी सभाएं वाम के कलंकित कर्म का आदर्श प्रमाण हैं,टीएमसी ने शासन में आने के बाद सालिसी सभाओं को भंग नहीं किया। यह उसने गलत
किया। अब समय आ गया है कि सालिसी सभाओं को भंग किया जाय,पश्चिम बंगाल
के गांवों में यह तालिबानी सिस्टम का एक रुप है।
सालिसी सभाओं के जरिए आए दिन प्रेम करने वाले
युवाओं से लाखों रुपये जुर्माने के तौर पर वसूले गए हैं। गांव निष्कासन के कारण सैंकड़ों
युवा शिकार हुए हैं। दर्जनों युवाओं को मौत के घाट उतारा गया है। इसके बावजूद
सालिसी सभाओं के खिलाफ राजनीतिक दलों का मिलकर कोई कदम न उठाना चौंकाने वाली चीज
है। मुश्किल यह है कि सालिसी सभाओं के जरिए पहले माकपा हमदर्द दण्ड देते थे इन दिनों टीएमसी के समर्थक यह काम
कर रहे हैं। यही वजह है सालिसी सभाओं के खिलाफ राज्य में कोई आंदोलन तक नजर नहीं
आता। सालिसी सभा के किसी फैसले की मीडिया में खबर जब भी आती है तो ध्यान जाता है
लेकिन आमतौर पर अधिकांश फैसले मीडिया में खबर नहीं बन पाते। लोकतंत्र की मांग है
कि सालिसी सभाओं को तुरंत प्रतिबंधित किया जाय।
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