पिछले तीन सालों से देश में जो कुछ चल रहा है उसके प्रतिवाद के संदर्भ में सोनिया गांधी की राजनीतिक भूमिका फिर से महत्वपूर्ण हो उठी है।सोनिया गांधी ने मोदी की आँधी में जिस तरह लोकसभा का चुनाव जीता और नियोजित ढंग से कांग्रेस के मूल स्वभाव को बदलने की दिशा में कदम उठाए हैं वे इस बात को पुष्ट करते हैं कि सोनिया गांधी देश की राजनीति में सामान्य नेत्री नहीं हैं।सोनिया गांधी में कांग्रेस को जोड़े रखने की क्षमता है।साथ ही देश के विकास का एजेण्डा भी तय करने की क्षमता है। यह सच है कांग्रेस को जितना आक्रामक होना चाहिए वह उतनी आक्रामक नजर नहीं आ रही लेकिन यह भी बडा सच है कि कांग्रेस के नए कलेवर के निर्माण के लिए सोनिया गांधी का नेतृत्व में बने रहना भी जरूरी है। पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा राजनीतिक हमले सोनिया गांधी झेलती रही हैं लेकिन उन्होंने कभी उफ़ तक नहीं की। उन्होंने जितनी बार बोला है देश के सच को बयां किया है।लोकतंत्र के लिए वह नेता मूल्यवान होता है जो सच बोलता है, सोनिया गांधी सच बोलती हैं और सच में जीती हैं यह उनकी सबसे बडी ताकत है।
सोनियागांधी के चरित्र हनन की जिस तरह कोशिशें हुई हैं उससे उनके व्यक्तित्व पर कोई असर नहीं पडा उलटे वे ताकतवर होकर निकली हैं। सोनिया गांधी कम बोलती हैं लेकिन प्रासंगिक बोलती हैं। वे नियमित संसद जाती हैं वहाँ बैठकर सारी बहस सुनती हैं, इसके विपरीत मोदीजी संसद में न्यूनतम समय भी नहीं बैठते। संसद उनके लिए फालतू चीज है। मोदी के लिए संसदीय परंपराओं और संवैधानिक मान्यताएँ अवसरवादियों के खेल की तरह है वहीं सोनिया के लिए ये प्राणवायु हैं।
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