कश्मीर के बारे में जब भी बातें होती हैं तो मीडिया निर्मित मिथ हमेशा दिमाग़ में छाए रहते हैं। अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान जिस कश्मीर को क़रीब से देखा है वह मीडिया निर्मित धारणाओं से एकदम मेल नहीं खाता।यह भी कह सकते हैं कश्मीर अपनी नई पहचान बना रहा है। मसलन्, कश्मीर के विभिन्न जिलोंके इलाक़ों और मुहल्लों आदि में घूमते हुए , आम लोगों से बातें करते हुए यह एहसास पैदा हुआ कि हम कश्मीर के बारे में जो कुछ जानते हैं वह इकतरफ़ा और स्टीरियोटाइप है, इस स्टीरियोटाइप समझ को बनाने में मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका रही है।
इस प्रसंग में पहली धारणा मुसलमान की है। कश्मीर के मुसलमानों को कठमुल्ला और पृथकतावादी के रूप में जमकर चित्रित किया गया है जो कि एक सिरे से ग़लत है। हमने गलियों और मुहल्लों से लेकर श्रीनगर के हलचल भरे इलाक़ों में घूमकर देखा और पाया कि अधिकतर मुसलमान दिखने में वैसे नहीं हैं जैसी इमेज हमारे ज़ेहन में मीडिया ने बनायी है। ज़्यादातर कश्मीरी युवा मुसलमान फ़ैशन की ओर बढ़ रहे हैं। वे फ़ैशनेबल बालों को रखते हैं।बढ़ी हुई दाढी और टिपिकल मुस्लिम ड्रेस अब गुज़रे ज़माने की चीज़ हो गयी है,बहुत कम लोग हैं जो दाढी रखते हैं या पठान ड्रेस पहनते हैं।अधिकतर मुसलमान पैंट शर्ट , टी शर्ट आदि पश्चिमी कपड़े पहनते हैं। यह वह ड्रेस है जो आम हिन्दुस्तानी पहनता है।
यही हाल औरतों का है,अधिकांश औरतें बुर्क़ा नहीं पहनतीं। बहुत कम संख्या में मुस्लिम लड़कियाँ बुर्क़ा पहनती हैं। हाँ औरतें चुन्नी से सिर ज़रूर ढकती हैं।मजेदार बात यह है कि मुस्लिम लड़कियों में कपड़ों के फ़ैशन दिखाने का चलन बढ़ रहा है, ख़ासकर उन औरतों में यह चलन ज़्यादा है जो बुर्क़ा पहनती हैं।बुर्क़ा पहनने वाली मुस्लिम औरतें कीव पहनती हैं जिसमें काले कीव से सिर्फ़ मुँह ढका रहता है लेकिन बाक़ी शरीर के वस्रों के फ़ैशन को सभी देख सकते हैं।
कश्मीर में विभिन्न इलाक़ों में मुस्लिम लड़कियों में प्रेम विवाह करने का रूझान बढ़ा है। श्रीनगर- पहलगाम-गुलबर्ग में मोटर साइकिल में प्रेमी युगलों को सहज ही देखा जा सकता है।देर रात गए रेस्टोरेंट में खाना खाते मुसलिम युवक- युवतियों को देखा जा सकता है। यह वह मुसलमान है जो लिबरल है। जिसकी दिलचस्पी अस्मिता की राजनीति में नहीं है बल्कि उसकी रूचि इच्छाओं में है। पहचान की राजनीति से निकलकर कश्मीरी मुसलमान इच्छाओं की राजनीति करने लगा है।उपभोग करना और शांति से रहना उसकी स्वाभाविक प्रकृति है।वह हर तरह के झगड़ों से दूर इच्छाओं और आकांक्षाओं के सवालों पर बातें कर रहा है।यह बुनियादी तौर पर लिबरल मुसलमान है और यही आज के कश्मीर का सच है।
अच्छा लगा जानकर कि कश्मीर के हालात में प्रगतिशीलता आ रही है।
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