भारत में नव्य आर्थिक उदार नीतियों के गंभीर दुष्परिणाम आने लगे हैं। बाजार की चालक शक्तियों के कामकाज में सरकार की हस्तक्षेप न करने की नीति का यह परिणाम निकला है कि अब एक ही क्षेत्र में व्यापार करने वाली बड़ी कंपनियां आपस मिलकर समूह या कार्टेल बनाकर कारोबार कर रही हैं। इस तरह का कारोबार एकाधिकार विरोधी भारतीय कानूनों की नजर में अवैध है। लेकिन बड़े पूंजीपतियों का कार्टेल बनाकर कारोबार करना जारी है। इसके जरिए वे अवैध ढ़ंग से आम उपभोक्ता से मनमाने दाम वसूल रहे हैं। कायदे से कार्टेल बनाकर काम करने वाली कंपनियों पर भारी जुर्माना ठोंकने के साथ दंड़ स्वरूप उनके कारोबार को बंद कर दिए जाने का कानूनी प्रावधान होना चाहिए।
भारत की यह ठोस वास्तविकता है कि यहां इजारेदारी एवं एकाधिकार विरोधी कानून हैं इन पर निगरानी और दंड देने वाली न्यायिक व्यवस्था भी है इसके बावजूद एकाधिकार के विस्तार को रोकने में सरकार और कानून असफल रहे हैं। हाल ही में सीमेंट कंपनियों का कार्टेल बनाकर व्यापार करने का मामला सामने आया है।जिसके तहत कम्पटीशन कमीशन ऑफ इण्डिया ने 11 सीमेंट कंपनियों के ऊपर 6,300 करोड़ रूपये का जुर्माना किया है। इनमें प्रमुख हैं-एसीसी,अंबुजा सीमेंट,अल्ट्राटेक सीमेंट और श्री आदि ।
उल्लेखनीय है मई-जून में पिछले साल जितनी सीमेंट बिकी थी उससे 14 फीसदी ज्यादा सीमेंट इस साल बिकी है। इस साल 16.26 मिलियन टन सीमेंट की खपत दर्ज की गयी है। जबकि विगत वर्ष इस अवधि में 14.20 मिलियन टन सीमेंट की बिक्री हुई थी। यह भी देखा गया है कि राष्ट्रीयस्तर पर सीमेंट के उपभोग की प्रकृति में बुनियादी तौर पर परिवर्तन आया है। सीमेंट के सकल उत्पादन का मई महिने में 79फीसद उपभोग किया गया जबकि इसी अवधि में पिछले साल मात्र 76 फीसदी अंश का ही उपभोग हो पाया था। सीमेंट की सबसे ज्यादा खपत आंध्र, कर्नाटक,केरल ,तमिलनाडु ,दिल्ली,उत्तराखंड,हरियाणा,पंजाब,राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में दर्ज की गयी।
जिन 11 सीमेंट कंपनियों पर कम्पटीशन कमीशन ऑफ इण्डिया ने जुर्माना ठोका है वे कई सालों से निर्बाध ढ़ंग से कार्टेल बनाकर काम करती रही हैं। कम्पटीशन कमीशन ऑफ इण्डिया ने इन कंपनियों को विगत 3 सालों में कमाए मुनाफे में से आठ फीसद अंश जुर्माने के तौर पर तुरंत जमा करने का आदेश दिया है। कमीशन ने अपने फैसले में कहा है ये सीमेंट कंपनियां कार्टेल बनाकर काम करती रही हैं जोकि कानूनन जुर्म है। साथ ही इन कंपनियों ने सीमेंट का उत्पादन घटाया है और मनमाने दाम बढ़ाए हैं। फैसले में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान सीमेंट की मांग घटी है। मांग घटने की स्थिति में सीमेंट के दाम में गिरावट आनी चाहिए लेकिन हुआ है उलटा। बाजार में सीमेंट की मांग घटने बावजूद सीमेंट के दाम बढ़ाए गए।
कमीशन ने सन् 2011 में की गयी जांच के दौरान पाया कि सन् 2008-10 के दौरान एसीसी सीमेंट ने 8,150करोड़ रूपये का कारोबार किया ,इस पर आठ फीसद जुर्माना 652करोड़ रूपये बैठता है। अंबुजा सीमेंट ने 6,896 करोड़ रूपये का कारोबार किया जिसके आधार पर 552 करोड़ रूपये जुर्माना देने और इसी तरह अल्ट्राटेक सीमेंट ने 9,142करोड़ रूपये का कारोबार किया है और उसे 731करोड़ रूपये का जुर्माना देने आदेश दिया है। उल्लेखनीय है आदित्य बिड़ला ग्रुप ने सन् 2010 में अपने सीमेंट व्यापार को अल्टाटेक में समाहित कर दिया था। इसके अलावा लघु सीमेंट उत्पादक कंपनियों पर कम जुर्माना लगाया गया है। कमीशन ने अपनी जांच में पाया कि 39प्रतिशत सीमेंट निर्माताओं ने मिलकर कार्टेल बनाया है।
भारत में सीमेंट के 183 बड़े और 360 छोटे प्लांट हैं। इनमें तकरीबन 40 प्लांट की उत्पादन क्षमता 330 मिलियन टन है। यह सकल सीमेंट उत्पादन का 97 प्रतिशत है। कमीशन के अनुसार सीमेंट उद्योग का सकल राष्ट्रीय कारोबार 37,500 करोड़ रूपये का है।
उल्लेखनीय है सन् 1989 में सीमेंट को वि-नियंत्रित किया गया और सन् 1991 में इन कंपनियों ने कार्टेल बनाकर काम आरंभ किया । सन् 2007 में सबसे पहले मोनोपॉली एंड रिस्ट्रक्टिव ट्रेड प्रैक्टिस कमीशन (एमआरटीपीसी) ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि सीमेंट कंपनियां कार्टेल बनाकर कारोबार कर रही हैं और अपने एक फैसले में उस समय उसने सभी सीमेंट निर्माता कंपनियों को कार्टेल बनाकर काम करने के लिए दोषी करार दिया था। इस फैसले के आने के आने के बाद से केन्द्र सरकार ने कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाया जिससे सीमेंट कंपनियों को कार्टेल बनाकर काम करने से रोका जाए।
हाल ही में कम्पटीशन कमीशन ऑफ इण्डिया ने 11सीमेंट कंपनियों के खिलाफ जो फैसला दिया है उसके खिलाफ ये कंपनियां कंपटीशन एप्लीटेड ट्रिब्यूनल में जल्द ही अपील करेंगी।
उल्लेखनीय है इन कंपनियों के खिलाफ विगत एक साल से जांच चल रही थी। एक विश्लेषक के अनुसार जिन 11कंपनियों पर तीन साल के कारोबार के आधार जुर्माना लगाया गया है वह इन कंपनियों के कुल मुनाफे का 40 प्रतिशत बैठता है। इससे सीमेंट क्षेत्र में नकारात्मक संकेत जाने का खतरा भी है और ऐसी स्थिति में सीमेंट उद्योग में मंदी के आने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं ,जबसे सीमेंट कंपनियों पर भारी जुर्माना ठोका गया है तब से सीमेंट कंपनियों के शेयरों में 15 प्रतिशत तक की गिरावट आयी है।
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