बुधवार, 21 नवंबर 2012

फेसबुक और लंपटगिरी

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कुंठा और छद्म में जीनेवाला व्यक्ति बेहद कमजोर और आत्मपीड़क होता है।इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो फेसबुक लंपट किसी भी स्त्री के साथ दुर्व्यवहार करके या उससे गंदी बातें कहकर स्त्री का तो अपमान करते हैं साथ ही आत्मपीड़ा से भी गुजरते हैं। ऐसे आत्मपीडकों के लिए इंटरनेट विष की तरह है।



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फेसबुक लंपट की विशेषता है कि वह छद्म में जीता है, छद्मभाषा लिखता है,पहचान छिपाता है।

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फेसबुक पर लड़कियों के साथ बदसलूकी और लंपटगिरी करने वाले लोग वस्तुतः बीमार मन के कुण्ठित लोग हैं। स्त्री के साथ अपमान या हेय या उसे कम करके देखने वाली भाषा वस्तुतःकुण्ठा की उपज है। इन लोगों को किसी मनोचिकित्सक के पास जाना चाहिए और फेसबुक -चैटिंग से दूर रहना चाहिए।

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फेसबुक लंपटों में एक लक्षण यह भी देखा गया है कि जो लड़की मित्रता के प्रस्ताव का जबाव नहीं देती तो उसके मैसेज बॉक्स को अश्लील तस्वीरों, गालियों और सेक्सुअल भाषा से भर देते हैं । ऐसे लंपटों के नामों को लड़कियों को फेसबुक पर वॉल पर दे देना चाहिए।

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फेसबुक लंपटों से कहना है कि कामुकता को स्त्री में न खोजें ,कामुकता का श्रेष्ठ कलारूपों में आनंद लें।

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फेसबुक लंपटों की इश्कमिजाजी का आलम यह है कि यदि कोई लड़की उनसे चैटिंग में बात नहीं करती तो वे फिर उसकी पोस्ट को लाइक तक नहीं करते,इसके पहले वे खूब लाइक करते थे।

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फेसबुक लंपटों का आलम यह है कि वे किसी लड़की की वॉल पर प्रेम की अभिव्यक्ति या उन्मुक्त अभिव्यक्ति की पंक्तियां देखते ही बिछ जाते हैं और उस लड़की को तत्काल मैसेज देने शुरू कर देते हैं ,गोया भारतीय लड़कियों को अपने को उन्मुक्त होकर व्यक्त करने का हक ही न हो। इन लंपटों की नजर में इसके बाद वो लड़की अच्छी लड़की नहीं रह जाती,वह उपभोग की लड़की हो जाती है। बाबा नागार्जुन के शब्दों में मुझे घिन आती है ऐसी मानसिकता पर।

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फेसबुक लंपट की फेसबुक या चैटिंग में लंपटगिरी असल में आत्मालाप है।

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फेसबुक लंपट बेहद डरपोक होता है। वह गलती करता है और फिर दुम दबाकर भागता है।

1 टिप्पणी:

  1. लंपटई के विरुद्ध प्रकार्यात्मक अभियानों में आपकी पूरी तरह अनुपस्थिति बहुत खलती रही।

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