शुक्रवार, 13 मार्च 2015

बलात्कार को भूलो और माफ़ करो के नज़रिए से न देखो !



आज अख़बार से पता चला कि कोलकाता के पार्कस्ट्रीट बलात्कार कांड की पीड़िता की मृत्यु हो गयी , अफ़सोस है कि अपराधी मस्त हैं और पीड़िता चल बसी। यह न्याय और राज्य सरकार दोनों के लिए चिंता का विषय होना चाहिए कि बलात्कार तो बर्बरता है, औरत पर सामाजिक हमला है। वह कोई 
सामान्य घटना नहीं ।यह शारीरिक हिंसा है, बलात्कार इससे भी जघन्य शारीरिक -मानसिक हिंसाचार के साथ सामाजिक हत्या है।  
   सामान्य हिंसाचार जैसे चांटा मारने का प्रतिकार हो सकता है, बदले में चांटा मार सकते हैं,या सहन करके रह सकते हैं। चांटा मारना सामान्य उत्पीड़न है। फिर भी हिंसा है।निंदनीय है।सामान्य हिंसा या अपमान को एक अवधि के बाद औरत भूल सकती है ,लेकिन बलात्कार तो स्त्री की सामाजिक हत्या है। बलात्कार के बाद औरत मर जाती है। उसका मन , तन और सामाजिक परिवेश नष्ट हो जाता है। 
   हम याद करें द्रौपदी के अपमान को जिसके कारण उसने पांडवों से कह दिया था कि जाओ पहले मेरा अपमान करने वालों का वध करके आओ। मैं फिर में केश बाँधूँगी ।स्त्री का अपमान वह छोटे रुप में हो या बलात्कार जैसे बर्बर रुप में हो , उसे"भूलो और माफ़ करो ", के नज़रिए से नहीं देखना चाहिए। 
      बलात्कार बर्बरता है यह सभ्यता के सभी  मानकों का उल्लंघन है। बलात्कार कभी सामान्य रुप में घटित नहीं होता . वह स्त्री की योनि,मन और सामाजिक ज़िंदगी को हमेशा के लिए नष्ट कर देता । बलात्कार पीड़िता स्वयं तो पीडित होती ही है उसका परिवार भी पीडित होता है, यातनाएँ झेलता है। बलात्कारी को कभी न तो लिंग में कष्ट होता है , न मन में तकलीफ़ होती और न सामाजिकतौर पर उसकी कोई क्षति होती है। 
     हमारे समाज का पुंसवादी ढाँचा , नेतागण और मीडिया का पुंसवादी परिवेश हमेशा बलात्कारी के पक्ष में खडा रहता है। मीडिया में आएदिन औरतों पर हमलों को महिमामंडित किया जाता है, बलात्कार को जायज़ ठहराते हुए फ़िल्में और सीरियल बड़ी संख्या में आते रहते हैं। यहाँ तक कि हमारे तमाम स्वनाम धन्य बडे कलाकार ऐसी फ़िल्मों में अभिनय भी करते हैं। अख़बारों में बलात्कारियों के पक्ष में अनेक पत्रकारगण आएदिन माहौल बनाते रहते हैं। 
               बलात्कार औरत पर बर्बर हमला है,अक्षम्य सामाजिक अपराध है। बलात्कारी का एकमात्र इलाज है कि उसे हमेशा के लिए जेल में बंद रखा जाय और दंड स्वरुप नपुंसक बनाया जाय। बलात्कार सामान्य अपराध नहीं है। बलात्कारी के प्रति कठोर बनें और बलात्कार की पीड़िता के साथ सामाजिक एकजुटता प्रदर्शित करें । 

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