रविवार, 8 मार्च 2015

कुलदीप कुमार की षष्ठीपूर्ति पर विशेष-सर्जनात्मकता के साठ साल


सभ्यता के संस्कार अर्जित करना और उनको जीवन में सर्जनात्मक ढंग से ढालना सबसे मुश्किल काम है। मेरे जिन मित्रों ने सभ्यता और संस्कृति के वैविध्यपूर्ण श्रेष्ठतम मानकों को अपने दैनंदिन जीवन में विकसित किया है उनमें कुलदीप कुमार अद्वितीय है। वह बेहतरीन इंसान होने के साथ बहुत ही अच्छा मित्र भी है। मित्रता ,ईमानदारी, मिलनसारिता,सभ्यता और बेबाक लेखन को उसने जिस परिश्रम और साधना के साथ विकसित किया है वह हम सबके लिए प्रेरणा की चीज है।
कुलदीप से मेरी सन् 1979 में पहलीबार जेएनयू में दाख़िले के बाद मुलाक़ात हुई। संयोग की बात है कि कुलदीप की पत्नी और प्रसिद्ध स्त्रीवादी विदुषी इंदु अग्निहोत्री भी तब से मेरी गहरी आंतरिक मित्र हैं। कुलदीप के स्वभाव में स्वाभिमान कूट -कूटकर भरा है। मध्यवर्गीय दुर्गुणों -जैसे -सत्ताधारियों के बीच जी -जी करके रहना, जी -जी करके दोस्ती गाँठना , नेताओं और सैलीब्रिटी लोगों की चमचागिरी करना , गुरुजनों की चमचागिरी करना , संपादक की ख़ुशामद करना, हर बात में कमर झुकाकर बातें करना, मातहत भाव में रहना आदि , दुर्गुणों से कुलदीप का व्यक्तित्व एकदम मुक्त है। उसके व्यक्तित्व में ईमानदारी,स्वाभिमान और व्यक्तिगत सभ्यता का संगम है।
कुलदीप ऐसा पत्रकार है जिसने अपने लेखन के लिए पार्टीतंत्र के दवाबों को मानने से साफ़ इंकार किया। हमलोगों ने जेएनयू में एक साथ खुलकर एसएफआई के लिए काम किया , सालों माकपा में काम किया, और लोकतांत्रिक छात्र आंदोलन के निर्माण में सक्रिय भूमिका अदा की । कुलदीप ने कभी राजनीति को कैरियर नहीं बनाया और राजनेताओं के साथ अपने संपर्क -संबंधों को अपनी नौकरी हासिल करने या प्रमोशन हासिल करने या सरकारी पद हासिल करने का ज़रिया नहीं बनाया।
कुलदीप ने विगत पैंतीस साल से भी ज्यादा समय से पत्रकारिता में विभिन्न क्षेत्रों में जमकर लिखा है। राजनीति से लेकर संस्कृति तक कई हज़ार लेख देश के विभिन्न दैनिक राष्ट्रीय अख़बारों (हिन्दू, टेलीग्राफ़, संडे आब्जर्वर, टाइम्स ऑफ़ इण्डिया, इकोनोमिक टाइम्स, नवभारत टाइम्स, पायनियर, जनसत्ता, अमर उजाला आदि, इसके अलावा कई विदेशी पत्र पत्रिकाओं और वेबसाइट के लिए भी नियमित लेखन किया है) में लिखे हैं ।
कुलदीप ने बेहतरीन मर्मस्पर्शी कविताएँ लिखी हैं जो "हिन्दी समय डॉट कॉम "पर उपलब्ध हैं। कुलदीप कुमार ने संगीत पत्रकार के रुप विशेष रुप से जो महारत हासिल की है । मित्रता, मिलनसारिता और सभ्यता विमर्श उसके प्रमुख लक्षण हैं। मैं कई सालों से अनुरोध करता रहा हूँ कि वह अपने लेखन को पुस्तकाकार रुप दे। हम चाहते हैं कि वह जिस कर्मठता और ईमानदारी के साथ अब तक लिखता रहा है वह सिलसिला जारी रखे। हम उसके दीर्घायु जीवन की कामना करते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विशिष्ट पोस्ट

मेरा बचपन- माँ के दुख और हम

         माँ के सुख से ज्यादा मूल्यवान हैं माँ के दुख।मैंने अपनी आँखों से उन दुखों को देखा है,दुखों में उसे तिल-तिलकर गलते हुए देखा है।वे क...