गुरुवार, 16 जुलाई 2009

मीडिया का नया सच

मीडिया का नया सच

मीडिया के बारे में हम आज भी तथ्यों के आधार पर कम और कल्पना के आधार पर ज्यादा बोलते हैं। मीडिया का पहला सुख है कि उसने सच को छीन लिया है। कल्पना और अतिरंजना में खूब सोचने लगे हैं। मीडिया में आना सुख और दुख देता है। मीडिया में आने के बाद जैसे थे वैसे नहीं रहते। इस अर्थ में मीडिया अस्मिता को बदलता है। हिन्दी का मीडिया बाजार के लिहाज से बड़ा है,रचनात्मकता और गुणवत्ता के लिहाज से अभी भी अविकसित है। मीडिया का मुनाफा बढ़ा है सामाजिक जिम्मेदारी घटी है। बड़ा मीडिया छोई खबर,छोटे को बड़ा और बड़े को छोटा बना रहा है।

1. हिन्दी मीडिया के स्वामित्व की प्रकृति - आजादी के पहले और आजादी के बाद ,प्रिंट और फिल्म का स्वामित्व भूमंडलीकरण के बाद । भूमंडलीकरण के पहले मध्यवर्ग,व्यापारी और माफिया-तस्कर पूंजी का स्वामित्व। गैर-पूंजीपतिवर्ग की पूंजी का स्वामित्व था। भूमंडलीकरण्ा के बाद स्वामित्व के चरित्र में बदलाव आया । देशी और विदेशी पूंजीपतिवर्ग की पूंजी का निवेश बढ़ा है। खासकर विदेशी पूंजी निवेश बढ़ा है। हिन्दी की प्रतिष्ठा बढ़ी है किंतु पठन-पाठन का स्तर गिरा है। विगत साठ सालों में देशी भाषाओं का आधार घटा है। आज जिस हिन्दी को हम जानते हैं यह मीडिया की हिन्दी है, यह साहित्य की हिन्दी नहीं है। मीडिया की हिन्दी मूलत: बम्बईया हिन्दी है। अथवा दैनन्दिन प्रयोग की हिन्दी है। हिन्दी का संदर्भ आज साहित्य नहीं है बल्कि मीडिया है,फिल्म,टीवी और विज्ञापन हैं। विगत साठ सालों में देशी भाषाएं मरी हैं। मीडिया बढ़ा है। मीडिया का बढना भाषा की समृध्दि का प्रतीक नहीं हो सकता। रूस इसका आदर्श उदाहरण है। पैरोस्त्रोइका के पहले और बाद में रूस में भाषा स्थिति के परिवर्तन को देखें । विगत दो सौ सालों में तकरीबन चार हजार भाषाओं की मौत हुई है। अब मात्र छह हजार भाषाएं रह गयी हैं। इनमें से भी अनेक भाषाएं जल्द ही गायब हो जाएंगी। ये आंकड़े मानवविकास रिपोर्ट 2004 के हैं। भारत में हिन्दी के विकास पर जोर देने के कारण हिन्दीभाषी क्षेत्र की भाषा और बोलियों के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा हुआ है। देशज भाषाओं की संरचनाओं के विकास पर ध्यान ही नहीं दिया गया। विज्ञापन और रेडियो ने मिश्रितभाषा का नया संसार बनाया है। इससे भाषायी द्वेष घटा है। हिन्दी का मीडिया की वर्चस्वशाली भाषा के रूप में विकास करने में फिल्म,टीवी और विज्ञापनों की बड़ी भूमिका है।
2. फिक्की के अनुसार मीडिया बाजार आगामी 2015 तक 200 विलियन डालर का होगा। यानी 18.1 फीसद की विकास दर रहेगी। फिक्की के अनुसार सन् 2007 में मनोरंजन और मीडिया उद्योग 513 बिलियन डालर का था, जबकि सन् 2006 में 438 बिलियन डालर था। फिक्की का अनुमान है कि सन् 2012 तक मीडिया उद्योग 1,157 ट्रिलियन डालर हो जाएगा। दूसरी ओर मीडिया का डिजिटलाईजेशन हो रहा है। इससे मीडिया की लागत और वितरण में कमी आएगी। फिक्की के अनुसार मीडिया में 8.5 बिलियन डालर का निवेश होगा।
3. आज हम इलैक्ट्रोनिक मीडिया के युग में हैं। इलैक्ट्रोनिक मीडिया और बहुजातीयता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। प्रेस और इलैक्ट्रोनिक मीडिया के संदर्भ में अंतर है। दोनों सामाजिक तौर पर अव्यवस्था पैदा करते हैं। नए युग का नारा है '' मेरा जूता है जापानी ,ये पतलून इंग्लिस्तानी,सर पर लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी।'' यानी सर्जनात्मकता और सम्मिश्रण का युग है। यह बहुजातीय रचनात्मकता का युग है। इसका पहले वाली सर्जनात्मकता से अंतर है। यही नए मीडिया का मंत्र है।


औद्योगिकसमाज - सूचनासमाज

1.लाइनर ,क्यूमीलेटेड विकास -


तत्क्षण समय,जो भी करना है अभी करना है
2. हायरार्की - नेटवर्क
3. क्षेत्रकेल्द्रित - अ-क्षेत्रकेन्द्रित
4.रिकॉर्ड, सीडी - एमपी 3
5. किताब - डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू
6. चिट्ठी - ईमेल
7. स्थिर फोन - मोबाइल
8. सिंगल चैनल टीवी - मल्टीचैनल टीवी
9.लाइफ लॉग मोनोगमी - सीरियल मोनोगमी
10.काम के घंटे तय - अनिश्चित उदार काम का समय
11.गहराई - चौड़ाई
12. सूचना का अभाव - सूचना से बचने की आजादी का अभाव
13. एकायामी खाना - मिश्रित बहुजातीय खाना
14. राष्ट्र-राज्य - ग्लोबल - ग्लोकल
15. किताब का तर्क हाइपरटेक्स्ट का तर्क ( खुला,नियमरहित)

(एकरेखीय,क्रमबध्द और अधिनायकवादी]
16. सभी मीडिया अलग-अलग - सभी मीडिया में कनवर्जन्स
17. तार का युग - बेतार का युग
18. किताब के आगमन का अर्थ है कानों के युग का जाना और आंखों के युग में आगमन,अब सुना हुआ नहीं देखा हुआ प्रमाण है। किताब ने हमें शब्दों में कैद रखा,समग्रता में देखने से वंचित किया। क्रमबध्द और तार्किक ढंग से सोचने पर जोर दिया। अब अनुभूति का स्रोत चाक्षुष है अनेक संवेदनाएं हैं। पहले प्रेस था अब मल्टीमीडिया का संदर्भ है। पहले प्रेस का संदर्भ था आज कम्प्यूटर और उपग्रह का संदर्भ है।

भूमंडलीकरण के पहले भूमंडलीकरण के बाद

1. एक टीवी चैनल और एक ही रेडियो - अनेक चैनल और असंख्य रेडियो
2. सिर्फ सरकारी चैनल - अनेक अरबपति भारतीयों के चैनल
3. पूंजीपति का सिर्फ प्रेस में निवेश - मीडिया में व्यापक निवेश
4. देशी पूंजी निवेश - विदेशी पूंजीनिवेश
5. परंपरागत मीडिया तकनीक - डिजिटल तकनीक
6. परंपरागत प्रसारण - उपग्रह प्रसारण
7. विज्ञापन में देशी कंपनियां - देशी कंपनियों का विदेशी से समझौता
8. हॉलीबुड की सीमित फिल्मों का प्रसारण- हॉलीवुड की असीमित फिल्मों का प्रसारण
9. चंद मीडिया प्रशिक्षण संस्थान - अनेक मीडिया शिक्षण संस्थान
10. हिन्दी सरकारी भाषा - हिन्दी मीडिया की भाषा
11. हिन्दी फिल्मों का देश और बाहर - देश और बाहर असीमित प्रसारण
सीमित प्रसारण
12. हिन्दी प्रेस में देशी पूंजी निवेश - विदेशी पूंजी निवेश
13. स्थानीयता प्रबल - स्थानीयता का ग्लोबल में समाहार
14. जातीयभाव प्रबल - उपजातीय और राष्ट्रवादी भावप्रबल
15. जातीयतावादी बोध - जातीय उन्मोचन का प्रबलभाव
16. राष्ट्रीय संप्रभुता - राष्ट्रीयसंप्रभुता का लोप
17. स्थिर परिभाषा का युग - परिभाषाओं का अंत
18. कल्याणकारी राज्य - कारपोरेट राज्य
19. देशी पूंजीपति का देश में ही निवेश - विदेशों में निवेश
20. पूंजीपतिवर्ग विश्व मानचित्र में गैरहाजिर - विदेशों में सर्वोच्च दस में
21. कलाओं और मीडिया का सीमित बाजार - असीमित बाजार
22. शब्दप्रभावशाली - शब्द अर्थहीन
23. इमेज प्रभावशाली - इमेज अर्थहीन
24. घटना की खबर - अघटित घटना की खबर
25. समाचार की महत्ताा - गोसिप की महत्ता
26. प्रत्येक चीज स्थानीय - प्रत्येक चीज ग्लोबल
27. स्थानीयता लक्ष्यकेंद्रित-अर्थवान - वि-स्थानीयता अर्थहीन,दिशाहीन
28. ग्रहण महत्वपूर्ण - सिगनल महत्वपूर्ण
29. पाठ की महत्ताा - हाइपरटेक्स्ट की महत्ता
30. कला के सारवान रूप का महत्व - वर्चुअल कला का महत्व
31. प्रचार का युग - स्पीड का युग
32. संपर्क और संचार का युग - अनंत संपर्क और अंतहीन संचार
33. टाइम का युग - रीयलटाइम का युग
34. यथार्थवाद का युग - वर्चुअल यथार्थ का युग
35.केंद्रीयता - अकेंद्रीयता
36. संस्कृति का युग - साइबर संस्कृति का युग
37. स्थिर,धीमी गति और नियंत्रित - अस्थिर,तेज और अनियंत्रित
38.सूचनाओं का अभाव - सूचनाओं की बाढ़
39. नियंत्रित व्यवस्था - अनियंत्रित व्यवस्था
40. राजनीति पर जोर - गैर-राजनीतिक मसलों पर जोर
41. सवर्ण केन्द्र में - असवर्ण केन्द्र में
42. स्त्री की मर्यादा केन्द्र में - स्त्री के अधिकार केन्द्र में
43. लोकतंत्र - पारदर्शी लोकतंत्र
44. समानता विमर्श केन्द्र में - लिंग विमर्श केन्द्र में
45. स्त्री का काल्पनिक रूप महत्वपूर्ण - स्त्री का शरीर और वर्चुअल रूप महत्वपूर्ण
46. कामुकता और स्त्री विमर्श की धुरी - ट्रांससेक्सुअल और सेक्स विमर्श की धुरी
47. मुद्रा की महत्ताा वर्चुअल मुद्रा या प्लास्टिक मुद्रा की महत्ता
48. वस्तु विमर्श - इच्छाओं का विमर्श
49. संपर्क के बाद संवाद - संपर्कहीन संवाद
50. आत्मीय संवाद - आभासी संवाद

अनुपस्थित यथार्थ - इराक युध्द का कवरेज हठात् तेजी से कम ह® गया है। Pew Project for Excellence in Journalism study, के अनुसार अगस्त 2007 से लेकर फरवरी 2008 के बीच में इराक युध्द के समाचारों का आउटपुट 15 फीसद से घटकर 3 फीसद ह® गया है। विगत अगस्त में पाठक® से पूछा गया था कि अमरीका के कितने सैनिक मारे गए त® 50 फीसद ने सही जबाव दिया जबकि अब यह संख्या घटकर 28 फीसद रह गयी है। सन् 2007 के आरंभ में डेम®Øेटिक पार्टी ने कांग्रेस के जिस तरह का चुनाव प्रचार किया था उसके कारण इराक युध्द का कवरेज चरम पर था। किंतु ज्योंही वे चुनाव जीते और राष्ट्रपति बुश ने सैन्य फंड की जंग जीती सारा कवरेज नीचे चला गया। इसके अलावा इराक में सैनिकों का संख्या में इजाफा किया गया और कवरेज नीचे आ गया।

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