गुरुवार, 4 दिसंबर 2014

नव्य उदार आर्थिकयुगीन युवा की सच्चाईयां

   
भूमंडलीकरण की केन्द्रीय विशेषता है आत्ममुग्धता ,आत्महनन और आत्म-व्यस्तता ।  सन् 1990-91 के बाद से युवाओं में यह प्रवृत्ति तेजी से पैदा हुई है। इसने उसे सामाजिक सरोकारों से काटा है। पहले यह प्रवृति उच्चवर्ग में थी लेकिन भूमंडलीकरण के बाद से इस प्रवृत्ति ने निचले वर्गों में पैर पसारने आरंभ कर दिए।
     आत्ममुग्ध भाव की विशेषता है आप स्वयं को जानने की कोशिश नहीं करते। वे तमाम क्षमताएं त्याग देते हैं जिसके जरिए आत्म को जानने में मदद मिले। आत्म या खुद को न जानने के कारण व्यक्ति के अंदर अन्य को जानने की इच्छा भी खत्म हो जाती है।फलतः ये युवा अन्य की मदद नहीं कर पाते। वे निजी जीवन में व्यस्त रहते हैं। निज से परे कोई संसार है जिसे जानना चाहिए उसको ये युवा सम्बोधित ही नहीं करते। यह ऐसा युवा है जो अपने अलावा किसी में दिलचस्पी नहीं ले जाता। ज्योंही अन्य की बातें आरंभ होती हैं यह सुनना बंद कर देता है, रुचि लेना बंद कर देता है।
     नए युवा देखने में आकर्षक,नए भाव-भंगिमा वाले हैं वे देखने में सुंदर लगते हैं। आरंभ में ये अन्य को जल्दी प्रभावित भी कर लेते हैं लेकिन ज्योंही अन्य की बातें आरंभ होती हैं ये अपने को समेटना आरंभ कर देते हैं। इन युवाओं में एक बड़ा अंश है जो अपने चारों ओर की दुनिया से एकदम बेखबर है।
    अमेरिका में इस तरह के युवा की एक नागरिकता परीक्षा ली गयी। अमेरिका में अक्टूबर 2009 से अगस्त 2013 के दौरान ली गयी नागरिकता परीक्षा में 30लाख से ज्यादा आप्रवासी युवाओं ने हिस्सा लिया।  इस परीक्षा को 92प्रतिशत युवाओं ने पास किया। इन उत्तीर्ण युवाओं में 29फीसदी को अमेरिका के उपराष्ट्रपति का नाम तक नहीं मालूम था। 43फीसदी नागरिक अधिकारों को परिभाषित करने में असमर्थ रहे,40 फीसदी नहीं जानते थे कि अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान और जर्मनी से युद्ध किया था। 73 फीसदी नहीं जानते थे कि शीतयुद्ध के दौरान साम्यवाद ही मुख्य समस्या थी। 67 प्रतिशत नहीं जानते थे कि वे जिस आर्थिक व्यवस्था में रहते हैं उसे पूंजीवाद कहते हैं।
एक अन्य सर्वे में पता चला कि चार में से एक अमेरिकन को संविधान प्रदत्त पांच स्वाधीनताओं का ज्ञान नहीं था। वे एक से अधिक स्वाधीनता का नाम नहीं जानते थे। जिन लोगों में सर्वे किया गया उनमें से आधे से अधिक लोग  सिम्पसन कार्टून फैमिलीके दो चरित्रों के नाम तक नहीं जानते थे। इन सर्वेक्षणों पर विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चों की इस दशा के लिए पब्लिक स्कूल सिस्टम जिम्मेदार है। क्योंकि वे ठीक से बच्चों को इतिहास,भूगोल और नागरिकशास्त्र नहीं पढ़ाते। इन लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि इंटरनेट ने ऐसी पीढ़ी पैदा की है जो आत्मलीन,एडिक्ट,चंचलमन और अचेत है। यह भी देखा गया  अनेक लोग अमेरिका में निजी स्वार्थ को देखकर वोट देते हैं न कि देश के स्वार्थ को देखते हैं। अमेरिका के पतन का बड़ा कारण है कि अनेक अमेरिकन देश के बारे में नहीं सोचते ,सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं।  एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि जब युवा हमारे संविधान को ही नहीं जानते तो उसकी रक्षा में या संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए वे खड़े कैसे होंगे ?  



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