शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

अरविंद केजरीवाल और नैतिकता के कसाई



अरविंद केजरीवाल से मेरे कोई मुहब्बत नहीं है!मैं उनके ग़लत फ़ैसलों की रीयलटाइम आलोचना भी करता रहा हूँ, लेकिन अरविंद केजरीवाल मेरा बार -बार ध्यान खींचता है! आख़िरकार कोई बात तो है जो मुझे उसके हर एक्शन पर सोचने और लिखने को मजबूर करती है। मेरी तरह लाखों लोग हैं जो उसके एक्शन पर बोलते हैं, सक्रिय होते हैं, यहाँ तक कि उसके प्रतिस्पर्धी दलों की भी नींद ग़ायब रहती है! ख़ासकर उनलोगों के लिए केजरीवाल सिरदर्द है जो अनैतिक हैं , कारपोरेट ग़ुलाम हैं और देशविरोधी हैं। इसलिए केजरीवाल को एक व्यक्ति के रुप में नहीं फिनोमिना के रुप में देखें तो बेहतर होगा। 
     केजरीवाल कोई अजूबा नेता नहीं है। वह सामान्य मध्यवर्गीय परिवार से आया नेता है ,जिसके आदर्श हैं और उन आदर्शों के लिए जीने की जिसमें तमन्ना है, त्याग-भावना है। केजरीवाल इसलिए ताक़तवर फिनोमिना है क्योंकि उसने अपने लोकतांत्रिक विचारों के लिए जोखिम उठाया है। लोकतांत्रिक विचारों के लिए जोखिम उठाना और उनके लिए राजनीतिक संरचनाओं का निर्माण करना, जनता को गोलबंद करना आदि चीज़ें केजरीवाल को ठोस भौतिक शक्ति बना रही हैं। केजरीवाल चुनाव हारें या जीतें यह महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण है उसका लोकतंत्र के प्रति अटूट प्रेम और उस प्रेम को सामाजिक -राजनीतिक सांगठनिक क्षमता में रुपान्तरित करना, यह बड़ा काम है, इस काम के सामने सारी सरकारी कुर्सियाँ बौनी हैं। 
         हमारे यहाँ लोकतंत्र के लिए मर मिटने का जज़्बा तक़रीबन ख़त्म हो चुका है,ऐसे में केजरीवाल जैसे अनेक लोकतांत्रिक नेताओं की ज़रुरत है। केजरीवाल की विशेषता है कि उसका हर क़दम सामाजिक बहस पैदा करता है। विभिन्न कसौटियों पर उसे कसा जाता है,यह काम हमलोग किसी और नेता के लिए नहीं करते ।मसलन् , केजरीवाल हवाईजहाज़ से दुबई गए तो विवाद हो रहा कि वे किस क्लास में गए ? मज़ेदार बात है हर नेता हवाई जहाज़ से चलता है, हर सांसद हवाई यात्रा करता है लेकिन कहीं पर कोई चर्चा नहीं होती ! केजरीवाल कोई अजूबा काम नहीं कर रहा वह सामान्यतौर पर हवाई जहाज़ से गया है और वह भी हो सकता है किसी संगठन या संस्था की टिकट पर गया हो या हो सकता है अपनी टिकट से ही गया हो, व्यक्ति के नाते केजरीवाल को हक़ है कि वह जो मन में आए टिकट ख़रीदे और यात्रा करे , इसमें ग़लत क्या है? अनैतिक क्या ? केजरीवाल का दल टिकट दे या वह निजी तौर पर ख़रीदे इसमें कोई भी चीज अनैतिक नहीं है । केजरीवाल का शानदार रिकॉर्ड रहा है वह भूखा नंगा नागरिक नहीं है। उसकी पत्नी कमाती है, वह चोरी के धन से न तो राजनीति कर रहा है और न हवाईयात्रा कर रहा है फिर परेशान क्यों है मीडिया-भाजपा-फेसबुक उन्मादी लोग ? केजरीवाल की हवाईयात्रा टिकट पर सवाल खड़े करना उस मानसिकता का द्योतक है जिसे फासिस्ट मानसिकता कहते हैं! फासिस्टों को व्यक्ति के नागरिक अधिकारों के इस्तेमाल से सबसे पहले परेशानी होती है। केजरीवाल की पूरी कार्यप्रणाली पारदर्शी है और यही हमारे साइबर फासिस्ट संत-शरीफ़ों के लिए मुसीबत की  जड़ है। 
        केजरीवाल पर बात करने के पहले हमें भारत में संविधान प्रदत्त नागरिक हकों के प्रति दिलो-दिमाग़ साफ़ करके रखना होगा। दिमाग़ में फासिस्ट विचारधारा या अ-लोकतांत्रिक भाव रखकर केजरीवाल समझ में नहीं आएगा । केजरीवाल यदि संविधान विरोधी काम करे उसे नंगा करो,केजरीवाल यदि नागरिक हकों पर हमला करे उसकी मरम्मत करो,केजरीवाल यदि नागरिक हकों और लोकतंत्र के विकास के पक्ष में जब खड़ा हो तो उसकी प्रशंसा करो, हिमायत करो।  

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