सामान्य तौर पर मीडिया देखकर यही लगता है आईएस के आतंकियों का स्वायत्त
नेटवर्क है और वे सच में पश्चिम के शत्रु हैं,लेकिन पिछले दिन रुस के राष्ट्रपति
पुतिन ने आईएस के 40 मददगार देशों की सूची जारी करके साफ कर दिया कि आईएस के पीछे
किन ताकतों का हाथ है। इराक में सद्दाम हुसैन के जुल्मों से इराकी जनता को निजात
दिलाने और इराक जनसंहारक अस्त्रों के जखीरे को नष्ट करने के बहाने अमेरिका और नाटो
संगठन ने इराक पर हमला किया उससे इराक में शांति तो नहीं लौटी,विनाशलीला और आईएस
जैसे दानव का जन्म जरुर हुआ। आईएस को निर्मित करने में
सऊदीअरब,अमेरिका,कतार,तुर्की,इस्रायल, ब्रिटेन और फ्रांस आदि देशों के नाम पुतिन
ने अपनी सूची में प्रमाण सहित पेश किए हैं। आईएस के आतंकियों को तुर्की
,जोर्डन,कतार,इराक और सऊदी अरब से सीधे सैन्य मदद मिल रही है।हथियारों की अबाध सप्लाई
का काम अमेरिकी प्रशासन कर रहा है। सीरिया युद्ध में जिस तरह आईएस उलझा हुआ है और
नाटो सैन्य संगठन उनकी मदद कर रहा है उस समूची योजना को रुस के सैन्य अभियान ने
पूरी तरह पंक्चर कर दिया है, आईएस के जरिए सीरिया के तेल कुओं पर नाटो देशों खासकर
तुर्की ने कब्जा जमाया हुआ है,यही बुनियादी वजह है कि आईएस के साथ पश्चिमी देशों
की अघोषित मित्रता है।
रुस के सुखोई बमबर्षक विमान को
तुर्की द्वारा अवैध रुप से गिराए जाने के साथ यह कयास लगाया जा रहा था कि रुस का
आईएस के खिलाफ अभियान कमजोर हो जाएगा,लेकिन ऐसा नहीं हुआ,रुस ने उस घटना के बाद
सीरिया के इलाके में आईएस के शिविरों और कब्जे वाले लाके में जमकर बमबारी की है।
तुर्की किस तरह आईएस के आतंकियों से जुड़ा रहा है और उनके लिए हथियारों की सप्लाई कर
रहा है उसके प्रमाण अखबारों एवं अन्य मीडिया में आने लगे हैं। तुर्की के प्रसिद्ध
अखबार “Cumhuriyet’s” ने मई
2014 में लिखा कि तुर्की के सरकारी ट्रकों के जरिए आईएस के सीरियाई आतंकियों को
सैन्य सामग्री की बहुत बड़ी खेप की सप्लाई भेजी गयी, इसमें 1,000 तोप
के गोले,, 50,000 मशीनगन गोलियां,
30,000 भारी
मशीनगन गोलियां, 1,000 मोर्टार तोप के गोले थे। कालांतर में इस अखबार के संपादक को
तुर्की प्रशासन जेल में डाल दिया,लेकिन इस अखबार ने प्रमाणसहित यह खबर प्रकाशित करके
तुर्की सरकार को बेनकाव कर दिया। इस समय सारी दुनिया के सामने रुसी बमवर्षक विमान
को तुर्की द्वारा मार गिराए जाने के सभी प्रमाण आ गए हैं जिनसे यह साबित होता है
कि रुसी विमान तुर्की की नहीं सीरिया की सीमा में था और तुर्की ने कोई चेतावनी
नहीं दी थी।
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