आईएस की भाड़े की फौज को देखकर ऐसा लग रहा है कि यह नया फिनोमिना है। लेकिन सच यह है कि भाड़े की फौज खड़ी करना,आतंकी हमले करना,स्थिर सरकारों को गिराना और उनके स्थान पर कठपुतली सरकारों को बिठाने का धंधा बहुत पहले से सीआईए करता रहा है। मध्यपूर्व में दाखिल होने के पहले अनेक देशों में भाड़े के सैनिकों की भर्ती करके हमला करने,हमला गुटों को हथियार देने,पैसा देने,प्रशिक्षण देने आदि के काम भी सीआईए करता रहा है। मीडिया में आईएस और उसकी भाड़े की सेना का कवरेज कुछ इस तरह आ रहा है कि यह कोई नई बात हो। शीतयुद्ध के दौरान सीआईए ने भाड़े की सेना खड़ी करने के मामले में विशेषज्ञता हासिल कर ली थी और अनेक देशों में जनता के द्वारा चुनी गयी सरकारों को गिराया,उनके खिलाफ भाड़े के सैनिकों के जरिए युद्ध चलाए, उन देशों में अस्थिरता पैदा की ।
शीतयुद्ध की तथाकथित समाप्ति के बाद भाड़े के सैनिकों के जरिए उत्पात मचाने का सिलसिला अफगानिस्तान से सन् 1979 में आरंभ हुआ,उस समय यही कहा गया कि सोवियत सेनाओं की अफगानिस्तान में मौजूदगी का विरोध करने के लिए भाड़े की सेना बनायी जा रही है और उस सेना को खड़ा करने का ठेका फंड़ामेंटलिस्टों को बिन लादेन के नेतृत्व में आधिकारिक तौर पर सीआईए ने सौंपा,अमेरिकी राजकोष से इसके लिए धन मुहैय्या कराया गया। सीआईए के इतिहास का यह सबसे बड़ा प्रच्छन्न ऑपरेशन था, वहां से जो सिलसिला आरंभ हुआ है आज वह अब समूचे मध्यपूर्व में फैल गया है। भाड़े के सैनिकों को आतंकवाद और फंडामेंटलिज्म के विचारधारात्मक आवरण में पेश किया जा रहा है।भाड़े के सैनिकों का मुख्य काम है समूचे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करना। भाड़े के सैनिक जहां पर भी बर्ती किए गए हैं उन्होंने हमेशा संबंधित इलाके में अस्थिरता पैदा करने का काम किया है। इससे अमेरिकी प्रभुत्व,बहुराष्ट्रीय हथियार कंपनियों के कारोबार के प्रसार और भय के विस्तार में मदद मिलती है। इस तरह की गतिविधि का आतंकवाद तो एक ऊपरी आवरण है मूल लक्ष्य है भय और सामाजिक असुरक्षा पैदा करना,राजसत्ता को कमजोर करना।
मसलन्, हाल के माली में हुए आतंकी हमले को ही लें। इस हमले का मीडिया में कवरेज आया,लगातार रिपोर्टिंग आई,लेकिन मीडिया वालों ने यह नहीं बताया कि आखिरकार कौन संगठन है जिसने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। उसकी विचारधारा क्या है ,उसकी फंडिंग कहां से होती है,उसे किसने स्थापित किया,क्यों स्थापित किया आदि ।
माली के “बामको रेडीशन होटल ब्लू” पर हुए आतंकी हमले में 21लोग मारे गए, इस हमले में “इस्लामिस्ट अल-मुल्थामीन ब्रिगेड” और “अलकायदा इन दि इस्लामिक मगरिब” का हाथ था। इस संगठन को मोटे तौर पर “मुख्तार बेलमोख्तार” के नाम से जाना जाता है। “अलकायदा इन दि इस्लामिक मगरिब” संगठन का सीआईए की मदद से 2012 में लीबिया को मुक्त कराने के लिए गठन किया गया, यह संगठन आरंभ में नशीले पदार्थों की तस्करी,हथियारों की तस्करी,आतंकी हमलों ,अपहरण आदि में शामिल हुआ करता था।
न्यूयार्क टाइम्स ने 20नवम्बर2015 को माली के हमले पर लिखा-“ A member of Al Qaeda in Africa confirmed Saturday that the attack Friday on a hotel in Bamako, Mali, had been carried out by a jihadist group loyal to Mokhtar Belmokhtar, an Algerian operative for Al Qaeda. The Qaeda member, who spoke via an online chat, said that an audio message and a similar written statement in which the group claimed responsibility for the attack were authentic. The SITE Intelligence Group, which monitors jihadist groups, also confirmed the authenticity of the statement.
The Qaeda member, who refused to be named for his protection, said that Mr. Belmokhtar’s men had collaborated with the Saharan Emirate of Al Qaeda in the Islamic Maghreb, … In the audio recording, the group, known as Al Mourabitoun, says it carried out the operation in conjunction with Al Qaeda’s branch in the Islamic Maghreb.
The recording was released to the Al Jazeera network and simultaneously to Al Akhbar, … The recording states: “We, in the group of the Mourabitoun [Arabic Rebel Group], in cooperation with our brothers in Al Qaeda in Islamic Maghreb, the great desert area, claim responsibility for the hostage-taking operation in the Radisson hotel in Bamako.”
जिस समय बिन लादेन के नेतृत्व में मुजाहिदीनों की भर्ती हो रही थी और समूची दुनिया में सोवियत विरोधी उन्माद चरम पर था तो तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने मुजाहीदीनों को आतंकी कहने की बजाय “स्वाधीनता सेनानी” कहा था। “अलकायदा” का अरबी में अर्थ है “आधार” ,इस संगठन की समूची व्यूह रचना का गोमुख है सीआईए। माली की घटना में “बेलमोख्तार” संगठन का हाथ बताया जा रहा है और इस संगठन के इतिहास के बारे में प्रसिद्ध आतंकवाद विशेषज्ञ मिशेल चोदुसोवस्की ने लिखा है माली हमले में शामिल दोनों संगठनों “इस्लामिस्ट अल-मुल्थामीन ब्रिगेड” और “अलकायदा इन दि इस्लामिक मगरिब” का गहरा संबंध है। “इस्लामिस्ट अल-मुल्थामीन ब्रिगेड” नामक संगठन “अलकायदा इन दि इस्लामिक मगरिब” के सहयोगी संगठन के रुप में जाना जाता है। “अलकायदा इन इस्लामिक मगरिब” को प्रशिक्षित करने का काम 1979-89 के बीच में अफगानिस्तान में ही हुआ था। वाशिंगटन स्थित “कौसिल ऑन फॉरेन रिलेशन” ने इनके आंतरिक संबंधों को माना है। उसने लिखा है- “Most of AQIM’s major leaders are believed to have trained in Afghanistan during the 1979-1989 war against the Soviets as part of a group of North African volunteers known as “Afghan Arabs” that returned to the region and radicalized Islamist movements in the years that followed. The group is divided into “katibas” or brigades, which are clustered into different and often independent cells.The group’s top leader, or emir, since 2004 has been Abdelmalek Droukdel, also known as Abou Mossab Abdelwadoud, a trained engineer and explosives expert who has fought in Afghanistan and has roots with the GIA in Algeria.”
भाड़े के सैनिकों की भर्ती की परंपरा में इन दिनों भारत का नाम भी आ गया है तकरीबन 29भारतीय भी आईएस की भाड़े की फौज में शामिल हो चुके हैं, जिनमें से 6 मारे जा चुके हैं, कुछ भारत वापस आ गए हैं, कुछ अभी वहीं पर लड़ रहे हैं। सीरिया-इराक के प्रसंग में भाड़े के फौजियों की भर्ती के केन्द्र के रुप में कनाडा बहुत बड़े भर्ती केन्द्र के रुप में उभरकर सामने आया है। उल्लेखनीय है कनाडा से ही बड़ी मात्रा में एक जमाने में भाड़े के आतंकी पंजाब में आतंकवाद फैलाने आए थे,आज भी पंजाब में सक्रिय आतंकियों का बहुत बड़ा केन्द्र कनाडा से ही संचालित है। यही दशा सीरिया की भी है। सीरिया में राष्ट्रपति असद के खिलाफ जो संगठन सीआईए और नाटो ने खड़े किए उनके लिए भाड़े के सैनिकों की बहुत बड़ी खेप कनाडा से ही लायी गयी। आज इराक और सीरिया में कनाड़ा से भर्ती किए गए भाड़े के सैनिक सबसे ज्यादा लड़ रहे हैं। ये लोग विभिन्न गुटों की सेनाओं में भर्ती होकर काम कर रहे हैं। उल्लेखनीय है विभिन्न आतंकी संगठनों की अपनी निजी सेनाएं है,हत्यारे गिरोह हैं जो तयशुदा निशानों और लक्ष्यों पर आदेशानुसार हमले करते हैं। सतह पर देखेंगे तो कनाड़ा शांत देश है,बहुलतावादी देश है,सारी दुनिया उसके बहुलतावाद पर गर्व करती है लेकिन आतंकी संगठनों की निजी सेनाओं के लिए भाड़े के सैनिकों की भर्ती का यह बहुत बड़ा केन्द्र भी है ।सवाल यह है कि बहुलतावाद-उदारतावाद आदि के बावजूद कनाडा से युवालोग आतंकी सेना में भाड़े के सैनिक के रुप में भर्ती क्यों किए जा रहे हैं ? कनाडा का बहुलतावाद-उदारतावाद उनको रोक क्यों नहीं पा रहा ? अमेरिका-कनाडा की सरकारें बेहतर ढ़ंग से जानते हुए भी इन युवाओं को रोकती क्यों नहीं ?
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