मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

संघ का कुँआ

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संघियों के एनजीओ संगठनों के सम्मेलन में कहा कि हम तो नेकी कर कुँआ में डाल की भावना से काम करते हैं!
भागवत जी यह कुँआ क्या आरएसएस है ? या फिर भविष्य में इस्लाम और ईसाइयत पर हमले नहीं होंगे इसका वायदा है? सच कहो ,माजरा क्या है? कारपोरेट मुगलों के सामने कुँआ के जुमले की जरुरत क्यों पड़ी? कारपोरेट मुगलों को अपने जलसे में क्यों बुलाया ? क्या साख में लगे दाग मिटाने को ? बेहतर होता रामजी की शरण में जाते,प्रेमजी की ओर जाना गले नहीं उतर रहा! या फिर महान हिन्दूनेता बनने की तमन्ना जगी है ? जो काम हिन्दूसमाज दो हजार साल में न कर पाया वह आप करेंगे हमें संदेह है ! फिर भी नेक काम में देरी किस बात की! कहो स्वयंसेवकों से १.अंधविश्वासों के खिलाफ जंग लडें! २. दूसरे धर्मों खासकर इस्लाम और ईसाई धर्म के खिलाफ बोलना बंद करें, ३. संविधान का मन से पालन करें,धर्मनिरपेक्षता से प्यार करें! यदि ये तीन काम संघ के स्वयंसेवक करने लगेंगे तो नेकी को कुएं में डालने की नहीं समाज में डालने की जरुरत महसूस होगी ! नेकी वह काम की जो समाज के काम आए ,कुएँ (संघ) के नहीं!

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