गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

डिजिटल अंधकार में मिस्र में मजदूरों का जनज्वार

                   मिस्र में कल शाम को सेना के हमले और मुबारक समर्थकों और विरोधियों की झड़पों में 3 लोग मारे गए हैं और 600 घायल हुए हैं। यह आंकड़ा मिस्र के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किया है। मारे गए और घायलों की संख्या इससे कहीं ज्यादा होने का अनुमान है। अमेरिका-ब्रिटेन आदि दोमुँही बातें कह रहे हैं। इसके अलावा चिन्ता की बात यह है कि मिस्र में जनता के प्रतिवादी आंदोलन पर सेना के हमले तेज हो गए हैं । इस प्रतिवाद ने कई चीजों की ओर ध्यान खींचा है।
          मिस्र के जन आंदोलन के प्रतिवाद की धुरी है मध्यवर्ग और मजदूरवर्ग। बड़ी तादाद में मजदूरवर्ग का सड़कों पर संगठित प्रतिवाद के रूप में उतरना इस बात का संकेत है कि मध्यपूर्व में लोकतांत्रिक संघर्ष की धुरी मजदूरवर्ग ही है। मिस्र के प्रतिवादी आंदोलन में मजदूरों के नेतृत्वकारी भूमिका निभाने का यह भी मतलब है कि मध्यपूर्व में धार्मिक फंडामेंटलिज्म के अलावा भी जनता के पास धर्मनिरपेक्ष ताकतों का बड़ा मोर्चा है।
      सारा कारपोरेट मीडिया विभ्रम पैदा करता रहा है कि मध्यपूर्व में कोई भी आंदोलन फंडामेंटलिस्टों के बिना नहीं चल सकता। मिस्र के आंदोलन की विशेषता है मध्यवर्ग और मजदूरवर्ग की अगुवाई में लोकतांत्रिक शक्तियों का संगठित उदय और यह चीज अमेरिकी शासकों के लिए असहनीय है। ओबामा के बयान और एक्शन में जमीन-आसमान का अंतर है। दूसरी ओर मध्यपूर्व के सामंती शासकों की मिस्र के प्रतिवाद ने नींद उडा दी है।
    निष्कर्ष के रूप में कहें तो मिस्र की जनता का प्रतिवाद मजदूरवर्ग की फौलादी शक्ति का शानदार प्रदर्शन है और यह मुबारक के सैन्यशासन और अमेरिकी साम्राज्यवाद के खिलाफ मिस्र की जनता की शानदार एकजुट अभिव्यक्ति है।यह इस बात का भी संकेत है कि मिस्र में इस्लाम के होते हुए भी आम जनता में धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक मूल्यों की गहरी जड़ें हैं।समाज लोकतांत्रिक है।    
     मिस्र के मौजूदा जनांदोलन को कुचलने के लिए संचार के आधुनिक नेटवर्क को राष्ट्रपति हुसनी मुबारक ने बाधित किया और सबसे पहले मीडिया पर हमले तेज किए अलजजीरा के काहिरा ऑफिस बंद कर दिया,पत्रकारों पर हमले हुए और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गयीं।
   आम जनता संकट की अवस्था में होती है तो उसे सूचनाओं की ज्यादा जरूरत होती है और वह एसएमएस ,ईमेल ,ट्विट आदि के जरिए जानना चाहती है कि क्या हो रहा है,नाते-रिश्तेदार सकुशल हैं या नहीं । लेकिन जिस समय जनता ने अपना प्रतिवाद तेज किया और प्रशासन के साथ जनता का पंगा तेज हुआ ठीक उसी समय इंटरनेट सेवाएं ठप्प कर दी गयीं। अधिकांश संचार कंपनियों ने मुबारक के सामने समर्पण कर दिया और संचारसेवाओं को ठप्प कर दिया। इससे एक सबक तो यह निकलता है कि कारपोरेट हितों के सामने जनता के हितों का कोई मोल नहीं है।
    जिस समय मिस्र की जनता प्रतिवाद कर रही थी उस समय वहां डिजिटल कनेक्शन कटे हुए थे। डिजिटल अंधकार में जनता का प्रतिवाद नई बुलंदियों पर पहुँचा था। उल्लेखनीय है मिस्र में ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन का बड़ा कारोबार है और इस कंपनी के 45 फीसदी अंश की मालिक अमेरिकी संचार कंपनी वेरीजॉन है, वोडोफोन ने जनता का प्रतिवाद आरंभ होते ही इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं ठप्प कर दीं।
     इसके अलावा बोईंग की सहयोगी कंपनी नारूस ने मिस्र में एक संचार उपकरण की बड़े पैमाने पर बिक्री की है जिसके आधार पर मिस्र की संचार कंपनियां यह पता लगा सकती हैं कि मोबाइल फोन से जो टेक्स्ट मैसेज भेजा जा रहा है वह प्रतिवादी मैसेज है या नहीं। वे यह भी पता लगा सकते हैं कि मोबाइल फोन करने वाला कितनी दूरी से संदेश भेज रहा है और उसके बाद तुरंत उसको पुलिस पकड़ सकती है।
     मिस्र में जिस समय डिजिटल अंधकार चल रहा था चल रहा था हठात गूगल ने एक नया प्रयोग किया और मिस्र की जनता को गूगल ने एक उपहार दिया कि बिना इंटरनेट कनेक्शन के जनता ट्विट कर सकती है। यह काम सिर्फ वॉयस कनेक्शन के जरिए हो सकता है। गूगल ने अपने ब्लॉग पोस्ट में उज्ज्वल सिंह ने लिखा Like many people we’ve been glued to the news unfolding in Egypt and thinking of what we could do to help people on the ground. Over the weekend we came up with the idea of a speak-to-tweet service—the ability for anyone to tweet using just a voice connection.
We worked with a small team of engineers from Twitter, Google and SayNow, a company we acquired last week, to make this idea a reality. It’s already live and anyone can tweet by simply leaving a voicemail on one of these international phone numbers (+16504194196 or +390662207294 or +97316199855) and the service will instantly tweet the message using the hashtag #egypt. No Internet connection is required. People can listen to the messages by dialing the same phone numbers or going to

We hope that this will go some way to helping people in Egypt stay connected at this very difficult time. Our thoughts are with everyone there.

Update Feb 1, 12:47 PM: When possible, we're now detecting the approximate (country-level) geographic origin of each call dialing one of our speak2tweet numbers and attaching a hashtag for that country to each tweet. For example, if a call comes from Switzerland, you'll see #switzerland in the tweet, and if one comes from Egypt you'll see #egypt. For calls when we can't detect the location, we default to an #egypt hashtag.
गूगल के इस तकनीकी सहयोग ने मिस्र की जनता की बड़ी मदद की। इसका अर्थ यह है कि आज के युग में संचार सेवाओं का इस्तेमाल करके आंदोलन करना बेहद खर्चीला और कौशल का काम है। चीन,ईरान और अब मिस्र की जनता के प्रतिवादी तेवरों ने संचार तकनीक के नए आंदोलनकारी उपयोग की अनंत संभावनाओं के द्वार खोले हैं। जरूरत इस बात की है कि आंदोलनकारियों की नई संचार तकनीक पर मास्टरी हो और तुरंत ही आंदोलनकारी जनता को इसके उपयोग को सिखाने की क्षमता हो।
        










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