मिस्र में लाखों लोग राष्ट्रपति हुसैनी मुबारक के पदत्याग की मांग करते हुए सड़कों पर निकल आए हैं और देश के विभिन्न शहरों में रैलियां कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर मुबारक के समर्थक भी सड़कों पर उतर पड़े हैं। इस सारी प्रक्रिया में एक सवाल बार-बार उठ रहा है कि इस आंदोलन में अमेरिका के खिलाफ प्रतिवाद क्यों नहीं दिखाई दे रहा ? अमेरिका विरोधी नारे क्यों नहीं दिख रहे ? जबकि अमेरिका ने विगत 30 सालों में मिस्र को मदद के बहाने पामाली के कगार पर पहुँचा दिया है और मुबारक को अंध समर्थन देकर मिस्र की जनता को अपार तकलीफें दी हैं। इसके बावजूद मिस्र के मौजूदा आंदोलन में कोई भी समूह अमेरिका के खिलाफ मुँह खोलने के लिए तैयार नहीं है।
इस आंदोलन में शामिल विभिन्न समूह बहुत ही सीमित लक्ष्य को ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं अधिकांश लोग इस आंदोलन को मौजूदा संविधान का सम्मान करते हुए और उसमें छोटे -मोटे संशोधन करके चलाना चाहते हैं। इस आंदोलन का सीमित लक्ष्य है राष्ट्रपति बदलो। मिस्र का मौजूदा आंदोलन देश की आर्थिक संप्रभुता और विदेशी हस्तक्षेप के सवालों को नहीं उठाना चाहता। इस आंदोलन में शामिल सभी समूह राष्ट्रपति परिवर्तन की मांग तक सीमित रखना चाहते हैं। ऐसी अवस्था में यह आंदोलन बहुत ज्यादा दूर तक नहीं जा सकता।
उल्लेखनीय है 1991 में मध्यपूर्व युद्ध के बीच में मिस्र में विश्वबैंक -आईएमएफ का नव्य उदार आर्थिक कार्यक्रम लागू किया गया था। इस कार्यक्रम ने मिस्र की जनता की समूची अर्थव्यवस्था को ही गड़बड़ा दिया है। उसके बाद से शासन की असली कमान अमेरिकी संस्थानों के हाथ में चली गयी है। अमेरिका द्वारा संचालित नेशनल इनडोवमेंट फॉर डेमोक्रेसी और प्रीडम हाउस के द्वारा बड़े पैमाने पर मिस्र,ट्यूनीशिया और अल्जीरिया में विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों और नागरिक समाज संगठनों को धन दिया है। और वे ही संगठन इस आंदोलन के पीछे सक्रिय हैं। इन दोनों संगठनों की कमान सीआईए के हाथों में है। इस प्रसंग में फ्रीडम हाउस ने जो प्रेस विज्ञप्ति जारी की है उसका अंश पढ़ना महत्वपूर्ण होगा। लिखा है- "Egyptian civil society is both vibrant and constrained. There are hundreds of non-governmental organizations devoted to expanding civil and political rights in the country, operating in a highly regulated environment." आगे लिखा है- Freedom House’s effort to empower a new generation of advocates has yielded tangible results and the New Generation program in Egypt has gained prominence both locally and internationally. Egyptian visiting fellows from all civil society groups received [May 2008] unprecedented attention and recognition, including meetings in Washington with US Secretary of State, the National Security Advisor, and prominent members of Congress. In the words of Condoleezza Rice, the fellows represent the "hope for the future of Egypt."
इस समूचे प्रसंग में उल्लेखनीय बात यह है कि अमेरिकी शासक एक ओर मुबारक और सैन्यशासन बनाए रखना चाहते हैं वहीं दूसरी ओर सीआईए नियंत्रित संगठन मिस्र की जनता को आंदोलित कर रहे हैं। सवाल उठता है कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं ? इसके पीछे प्रधान लक्ष्य है मिस्र में किसी अमेरिकी गुलाम को सत्ता पर बिठाना और मुबारक साहब को विदा करना । यही वजह है कि मिस्र के आंदोलन में अमेरिकी विरोध की कहीं पर गंध तक नहीं आ रही। साथ ही इसमें लोकतंत्र का भविष्य देखना भी बेबकूफी होगी। लोकतंत्र का मार्ग विदेशी हस्तक्षेप को खत्म करके ही अर्जित किया जा सकता है। मिस्र में अमेरिका का विदेशी हस्तक्षेप बना रहेगा तो लोकतंत्र नहीं आ सकता। राष्ट्रीय संप्रभुता का एजेण्डा जब तक आंदोलनकारी परिभाषित नहीं करते तब तक इस आंदोलन का कोई भविष्य नहीं हो सकता।
एक और कट्टर इस्लामी देश का अंदेशा ....
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