(लीबिया का कातिल शासक गद्दाफी)
लीबिया में कर्नल गद्दाफी की जल्लादवाहिनी ने आम लोगों के घरों में घुसकर हमले करके पीटना आरंभ कर दिया है। जो लोग गद्दाफी का विरोध कर रहे हैं उनके घरों में घुसकर पिटाई का जा रही है,गोली से भूना जा रहा है और गिरफ्तारियां की जा रही हैं। लीबिया के इस खूनी शासक ने अपनी जल्लादवाहिनी के बलबूते पर एक ऐसा तंत्र बनाया है जिसकी सारी दुनिया में कहीं पर भी मिसाल नहीं मिलेगी। इसे गद्दाफी की जल्लादवाहिनी कहना समीचीन होगा। जल्लाद वाहिनी के हमलों और अत्याचारों को देखते हुए अरब लीग ने अपने संगठन की गतिविधियों में भाग लेने से लीबिया को फिलहाल रोक दिया है और कहा है कि लीबिया के शासक पहले आम लोगों पर जुल्म करना बंद करें।
अरब लीग का मानना है लीबिया का मौजूदा प्रशासन लगातार मानवाधिकारों का हनन कर रहा है और शांतिप्रिय आंदोलनकारियों पर हिंसक हमले किए गए हैं। आम जनता के आंदोलन पर हमले जब तक जारी रहेंगे लीबिया को अरब लीग की बैठकों में हिस्सा लेने नहीं दिया जाएगा।
लीबिया की राजधानी त्रिपोली में श्मशानी शांति है । आम लोगों को घरों से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। मीडिया पर पाबंदी लगी हुई है। आंदोलन के बारे किसी भी किस्म की खबरें बाहर नहीं आ रही हैं। जो लोग देश छोड़कर जा रहे हैं उनके कैमरे-मोबाइल आदि की जांच की जा रही है और किसी भी किस्म की कोई भी इमेज बाहर न जा सके इसका ख्याल रखा जा रहा है।
गद्दाफी की तथाकथित क्रांतिकारी कमेटी जो मूलतः जल्लादवाहिनी है, का आदेश है कि जो भी व्यक्ति गद्दाफी के खिलाफ है उसे जान से मार दो और इसी आधार पर खुलेआम कत्लेआम हो रहा है।
एक जमाने में फासिस्ट शासक विरोधी जनता को पकड़ते थे,बंदी बनाते थे,यातना देते थे, गद्दाफी ने फासिस्टों से भी एक कदम आगे जाकर विरोधी को सीधे कत्ल कर देने के आदेश दिए हैं और गद्दाफी की निजीसेना यह काम बखूबी अंजाम दे रही है। लीबिया के पूर्व के अनेक शहरों पर गद्दाफी विरोधियों का कब्जा है और इन शहरों पर फिर से गद्दाफी प्रशासन अपना राज कायम करना चाहता है। इसके कारण सीधे टकराव और खूनीजंग के आसार पैदा हो गए हैं। गद्दाफी के सैनिक लाउडस्पीकर से घोषणाएं कर रहे हैं कि विरोधी सरेंडर कर दें,जनता उनका साथ न दे वरना घरों में घुसकर हमले किए जाएंगे, कत्ल किया जाएगा।
दूसरी ओर जनता को सड़कों पर आने और सरकारी इमारतों पर हमले करने के लिए मौलवी लोग मस्जिदों से अपील कर रहे हैं। यानी खुली खूनी टकराहट का माहौल बन गया है। लीबिया में अब तक कितने लोग मारे गए हैं और कितने घायल हुए हैं.गिरफ्तार हुए हैं किसी को कुछ नहीं मालूम। इटली के विदेश मंत्री ने कहा है कम से कम एक हजार लोग मारे जा चुके हैं। जबकि फ्रांस के मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि 2 हजार लोग मारे जा चुके हैं।
कॉमन ड्रीम डॉट कॉम ने मानवाधिकार कार्यकर्ता के हवाले से लिखा है "Armed Gaddafi loyalists, including some apparently from sub-Saharan Africa, were reported to have set up roadblocks and opened fire from rooftops. Another protester described ruthless violence in Green Square. "Men wearing civilian clothing in the square were shooting at us," he told Human Rights Watch. "I saw guys taking off their shirts and exposing their chests to the snipers. I have never seen anything like it. I was very ashamed to hide under a tree but I am human." दूसरी ओर गद्दाफी के खेमे में भगदड़ मची हुई है। गद्दाफी के एक करीबी रिश्तेदार ने जो जॉर्डन में राजदूत था इस्तीफा दे दिया है।अलजजीरा के अनुसार "Gaddafi is fast losing the support of his inner circle. His cousin, the country's ambassador to Jordan and a close aide in Egypt all resigned on Thursday.
Ahmed Gadhaf al-Dam, one of Gaddafi's top security official and a cousin, defected on Wednesday evening, saying in a statement issued by his Cairo office that he left the country "in protest and to show disagreement" with "grave violations to human rights and human and international laws".
Al-Dam was travelling to Syria from Cairo on a private plane, sources told Al Jazeera. He denied allegations that he was asked to recruit Egyptian tribes on the border to fight in Libya and said he went to Egypt in protest against his government's used of violence."
लीबिया में फोन,सैटेलाइट कम्युनिकेशन आदि सभी को बाधित किया जा रहा है। ज्यादातर फोन बंद पड़े हैं। राजधानी त्रिपोली में मुर्दनी छाई हुई है।अलजजीरा के अनुसार- "the Libyan capital, meanwhile, is said to be virtually locked down, and streets remained mostly deserted, even though Gaddafi had called for his supporters to come out in force on Wednesday and "cleanse" the country from the anti-government demonstrators.
Witnesses in Tripoli have told Reuters that uniformed police were directing traffic as usual, state television was broadcasting and pro-Gaddafi supporters held a rally in the city.
Libyan authorities said food supplies were available as "normal" in the shops and urged schools and public services to restore regular services, although economic activity and banks have been paralysed since Tuesday.
London-based newspaper the Independent reported, however, that petrol and food prices in the capital have trebled as a result of serious shortages.
Foreign governments, meanwhile, continue to rush to evacuate their citizens, with thousands flooding to the country's borders with Tunisia and Egypt."
कल एक टेलीफोन प्रसारण में गद्दाफी ने ताजा आंदोलन के लिए अलकायदा,दूध ,नैस्कैफे कॉफी और नशीली दवाओं को जिम्मेदार ठहराया है।
लीबिया में जिस तरह के हालात हैं उनमें विदेशी और देशी नागरिकों का बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है। अपना माल- असबाब छोड़कर हजारों विदेशी नागरिक किसी न किसी तरह लीबिया से निकलकर बाहर जा रहे हैं। इसके कारण पड़ोसी देशों में यात्रियों की समस्याएं उठ खड़ी हुई है। त्रिपोली में गद्दाफी के लोग देश छोड़कर जाने वालों की तलाशी ले रहे हैं,कैमरा,मोबाइल फोन आदि छीन रहे हैं और घूस में पैसे भी मांग रहे हैं।
बहुत अच्छा लेख बधाई .
जवाब देंहटाएंआज पहली बार आप के ब्लॉग पर आया हूँ आकर बहुत अच्छा लगा .कभी समय मिले तोhttp://shiva12877.blogspot.com ब्लॉग पर भी अपनी एक नज़र डालें
कृपया फालोवर बनकर उत्साह वर्धन कीजिये
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (26.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
knowledge full and informative post.
जवाब देंहटाएंCongratulations!
I am first time in your blog..first of all congratulations for special knowledge .
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