रविवार, 11 मई 2014

मोदी के गुडियाघर की गुडियाएं


मोदी पर मुग्ध औरतें फेसबुक में कम हैं लेकिन मतदाताओं में ज्यादा हैं। सवाल यह है कि भाजपा को औरतों के वोट क्यों मिलते हैं,जबकि यह खुला सच है  औरतों के बारे में मोदी के आधुनिक विचार नहीं हैं। फेसबुकपर सक्रिय मोदीभक्त औरतें वैज्ञानिक विवेचना की अपेक्षा आसपास के लोगों की बातों से ज्यादा प्रभावित हैं।
   मोदीभक्त औरतों में बड़ा अंश उन औरतों का है जो अपने लिए रक्षक चाहती हैं। स्त्री की स्वतंत्र,मुक्त और स्वायत्त भूमिका को अस्वीकार करती हैं। ये वे औरते हैं जो आज्ञा-पालन के समय स्वतंत्र रहने का दिखावा करती हैं। अन्य अवसरों पर शांत रहने का दिखावा करती हैं। इनमें एक वर्ग ऐसी औरतों का भी है जो निरंकुशता और अत्याचार को अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर स्वीकार करती हैं। इनमें वे औरतें भी हैं जो कहने को किताबों का सम्मान करती हैं लेकिन शब्दों के अर्थ समझे बिना पन्ने पलटती रहती हैं। वे मोदी पर बोल रही हैं लेकिन मोदी की राजनीति को बिना जाने, मोदी और संघ के स्त्री के प्रति अनुदार नजरिए को बिना जाने। ये असल में मोदी के गुडियाघर की गुडियाएं हैं।
    जो औरत मोदी के मुखड़े में देश का मुखड़ा देख रही है उनके बारे में यही कहेंगे कि उनको देश की समझ पैदा करनी होगी। देश कोई नेता का मुखड़ा नहीं है। देश कोई दलीय विचारधारा नहीं है। वे मोदीप्रेम में इस कदर मगन हैं कि उनको किसी भी किस्म का मोदी विरोधी विचार पसंद नहीं है। एक नागरिक के नाते, एक स्त्री के नाते उनका मोदीबोध वस्तुतःलोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों के निषेध की विचारधारा के बुनियादी आधारों पर टिका है । यह मोदीबोध सुविधाबोध है।


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