मुस्लिम विद्वेष देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है,हमारे देश में मुस्लिम विद्वेष हिन्दुत्ववादियों में रहा है तो मुसलमानों के हितों के पक्षधर मुसलिम लीग-पीडीपी टाइप दलों में भी है।यह विलक्षण संयोग है कि भाजपा-पीडीपी दोनों जम्मू-कश्मीर में संयुक्त सरकार चला रहे हैं,क्योंकि दोनों की विचारधारा है मुस्लिम विद्वेष।भाजपा अपने कारणों से मुसलिम विरोधी आचरण कर रही है, पीडीपी अपने पृथकतावादी-आतंकी प्रेम के कारण मुस्लिम विद्वेष का प्रदर्शन कर रही है।इस मुस्लिम विद्वेष के कारण ही लंबे समय से कश्मीर का मुसलिम समाज तबाह पड़ा हुआ है।
देश के अन्य इलाकों में विभिन्न बहाने बनाकर मुसलमानों पर ही हमले हो रहे हैं और इन हमलों के आयोजक और हमलावर हिन्दुत्व ब्रिगेड है।भारत को एक रखना है तो मुसलिम विद्वेष को खत्म करना जरूरी है।मुसलमानों के प्रति विद्वेष जहां एक ओर हिन्दुत्ववादी नेताओं के जरिए आ रहा है वहीं पर मुसलिम फंडामेंटलिस्ट भी यही काम कर रहे हैं।वे मुसलिमप्रेम की आड़ में मुसलमानों के लोकतांत्रिक हकों पर हमले कर रहे हैं।
देश में अमन-चैन कायम करने लिए मुसलिम विद्वेष को आम जनता के मन में से निकालने की जरूरत है।मुसलमानों को किसी भी तरह की मदद नहीं चाहिए,वे अपना विकास कर लेंगे,लेकिन कम से कम कृपा करके मुसलमानों के खिलाफ विद्वेष फैलाना बंद करो।
मुसलिम विद्वेष को वैचारिक खाद-पानी हिन्दी का सिनेमा देता है,उसमें मुसलमानों का स्टीरियोटाइप चित्रण सबसे बड़ा वैचारिक शत्रु है । इसने मुसलमानों की सामान्य मनष्य की इमेज को पूरी तरह नष्ट कर दिया है। हिन्दी फिल्मों ने मुसलमानों की जो इमेज हमारे जे़हन में उतारी है उसके कारण ही हम मुसलमानों से सहज ही नफरत करने लगते हैं,उनसे दूरी रखते हैं,संदेह करते हैं।
हमें मुसलमानों के प्रति अपना नजरिया बदलना होगा,उनको स्टीरियोटाइप ढ़ंग से,मीडियादृष्टि से देखना बंद करना होगा। हम याद रखें मुसलमानों को अशांत रखकर,उत्पीड़िित करके देश को शांत नहीं रखा जा सकता।मुसलमान के दर्द होगा तो सारे देश के दर्द होगा।मुसलमान हमारे देश का अभिन्न अंग हैं।हम उन्हें सामान्य मनुष्य की तरह देखें और उनके साथ सामान्य आचरण करें।
देश के अन्य इलाकों में विभिन्न बहाने बनाकर मुसलमानों पर ही हमले हो रहे हैं और इन हमलों के आयोजक और हमलावर हिन्दुत्व ब्रिगेड है।भारत को एक रखना है तो मुसलिम विद्वेष को खत्म करना जरूरी है।मुसलमानों के प्रति विद्वेष जहां एक ओर हिन्दुत्ववादी नेताओं के जरिए आ रहा है वहीं पर मुसलिम फंडामेंटलिस्ट भी यही काम कर रहे हैं।वे मुसलिमप्रेम की आड़ में मुसलमानों के लोकतांत्रिक हकों पर हमले कर रहे हैं।
देश में अमन-चैन कायम करने लिए मुसलिम विद्वेष को आम जनता के मन में से निकालने की जरूरत है।मुसलमानों को किसी भी तरह की मदद नहीं चाहिए,वे अपना विकास कर लेंगे,लेकिन कम से कम कृपा करके मुसलमानों के खिलाफ विद्वेष फैलाना बंद करो।
मुसलिम विद्वेष को वैचारिक खाद-पानी हिन्दी का सिनेमा देता है,उसमें मुसलमानों का स्टीरियोटाइप चित्रण सबसे बड़ा वैचारिक शत्रु है । इसने मुसलमानों की सामान्य मनष्य की इमेज को पूरी तरह नष्ट कर दिया है। हिन्दी फिल्मों ने मुसलमानों की जो इमेज हमारे जे़हन में उतारी है उसके कारण ही हम मुसलमानों से सहज ही नफरत करने लगते हैं,उनसे दूरी रखते हैं,संदेह करते हैं।
हमें मुसलमानों के प्रति अपना नजरिया बदलना होगा,उनको स्टीरियोटाइप ढ़ंग से,मीडियादृष्टि से देखना बंद करना होगा। हम याद रखें मुसलमानों को अशांत रखकर,उत्पीड़िित करके देश को शांत नहीं रखा जा सकता।मुसलमान के दर्द होगा तो सारे देश के दर्द होगा।मुसलमान हमारे देश का अभिन्न अंग हैं।हम उन्हें सामान्य मनुष्य की तरह देखें और उनके साथ सामान्य आचरण करें।
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