बहुसंख्यकवाद का नया विभाजनकारी चेहरा सामने आया है। किसी एक इलाके में किसी समुदाय विशेष को निशाना बनाओ या धर्मविशेष के किसी अनुयायी को निशाना बनाओ।उसके बाद समुदाय विशेष को प्रच्छन्न तरीके से प्रचार अभियान चलाकर एकजुट करो। एकजुट होकर वोट डालने की अपील करो। यह सब काम विगत लोकसभा चुनाव में हो चुका है। फिलहाल महाराष्ट्र पर नजर है पूना से बहुसंख्यकवाद का प्रचार आरंभ हो चुका है। सावधान रहें।
बहुसंख्यकवाद वैसे ही खतरनाक है जैसे अल्पसंख्यकवाद। पूना के बारे में आज नभाटा में लिखा है- "पुणे में अब 'पहचान' का डर: लोगों ने बदला पहनावा, हटाई दाढ़ी", इस तरह शीर्षक के साथ खबरें नहीं दी जाएं । वैसे भी यह खबर अपने आप में संकेत है कि देश को दक्षिणपंथी राजनीति के नए एजेण्डे के आधार पर एकजुट किया जा रहा है।यह खतरनाक किस्म का विभाजनकारी ध्रुवीकरण है।इस तरह के ध्रुवीकरण की सभी राजनीतिकदलों को निंदा करनी चाहिए और इसके खिलाफ सचेत रुप से जनता को जाग्रत करना चाहिए।
गुजरात में बहुसंख्यकवाद का सफल प्रयोग करने के बाद यूपी में मुजफ्फरनगर को केन्द्र में रखकर बहुसंख्यकवाद की जिस राजनीति की फसल को राजनेताओं ने काटा है वह सत्ता के शिखर तक पहुँचाने का मार्ग बनी है।
बहुसंख्यकवाद हमारे देश में साम्प्रदायिकता का नया नाम है। इसके बारे में हम सबको गंभीरता से सोचने की जरुरत है।यूपी- बिहार में बहुसंख्यकवाद की विजय दुंदुभि को हम सब देख नहीं पाए। यूपी में पुण्यात्माओं की विजयलहर अखिलेश सरकार की असफलता या यूपी में कानून व्यवस्था की बिगडी स्थिति से पैदा हुई जीत नहीं थी । यूपी के विजयी पूना में नया प्रयोग कर रहे हैं।
हम सब अपने स्तर पर बिना किसी दल विशेष को गाली दिए सीधे बहुसंख्यकवाद की राजनीति का विरोध करें और इसकी आड़ में चल रहे प्रपंचों को पहचानें। बहुसंख्यकवाद की आंधी हमेशा किसी न किसी बहाने से आरंभ होती है। मुजफ्फरनगर में लड़कियों के साथ छेडखानी का मामला था,पूना में फेक आईडी के जरिए शिवाजी और बालठाकरे के बारे में गंदी बातें लिखने का मामला सामने आया है।उसके बाद बहाना बनाकर संबंधित मुस्लिम युवक की हत्या कर दी गयी और बाद में पूना में समुदाय विशेष के लोगों पर हमले हुए हैं।
नभाटा के अनुसार पूना में तनाव है।कई जगहों पर हमले और तोड़फोड़ की कार्रवाई हुई है। बहुसंख्यकवाद के लिए फेसबुक पोस्ट तो बहाना है। असल में वे फेसबुक पोस्ट से नाराज होते तो उसे हटाने के लिए शिकायत कर सकते थे,हत्या करने की क्या जरुरत थी।
मोहसिन की हत्या के बाद साफ संदेश है कि बहुसंख्यकवाद के नारे के इर्दगिर्द एकजुट हो। महाराष्ट्र सरकार को इस मामले में सख्ती से काम लेना चाहिए। कांग्रेस को जल्दी से अपने को वैचारिक निकम्मेपन से मुक्त करने की जरुरत है।
पूना में सामने जो खिलाडी हैं वे तो नकली खिलाडी हैं,असली खिलाडी तो कोई और हैं। उनको राजनीतिक तौर पर चिह्नित करने की जरुरत है। बहुसंख्यकवाद का नारा है भय पैदा करो और बहुसंख्यकों एकजुट करो।
बहुसंख्यकवाद वैसे ही खतरनाक है जैसे अल्पसंख्यकवाद। पूना के बारे में आज नभाटा में लिखा है- "पुणे में अब 'पहचान' का डर: लोगों ने बदला पहनावा, हटाई दाढ़ी", इस तरह शीर्षक के साथ खबरें नहीं दी जाएं । वैसे भी यह खबर अपने आप में संकेत है कि देश को दक्षिणपंथी राजनीति के नए एजेण्डे के आधार पर एकजुट किया जा रहा है।यह खतरनाक किस्म का विभाजनकारी ध्रुवीकरण है।इस तरह के ध्रुवीकरण की सभी राजनीतिकदलों को निंदा करनी चाहिए और इसके खिलाफ सचेत रुप से जनता को जाग्रत करना चाहिए।
गुजरात में बहुसंख्यकवाद का सफल प्रयोग करने के बाद यूपी में मुजफ्फरनगर को केन्द्र में रखकर बहुसंख्यकवाद की जिस राजनीति की फसल को राजनेताओं ने काटा है वह सत्ता के शिखर तक पहुँचाने का मार्ग बनी है।
बहुसंख्यकवाद हमारे देश में साम्प्रदायिकता का नया नाम है। इसके बारे में हम सबको गंभीरता से सोचने की जरुरत है।यूपी- बिहार में बहुसंख्यकवाद की विजय दुंदुभि को हम सब देख नहीं पाए। यूपी में पुण्यात्माओं की विजयलहर अखिलेश सरकार की असफलता या यूपी में कानून व्यवस्था की बिगडी स्थिति से पैदा हुई जीत नहीं थी । यूपी के विजयी पूना में नया प्रयोग कर रहे हैं।
हम सब अपने स्तर पर बिना किसी दल विशेष को गाली दिए सीधे बहुसंख्यकवाद की राजनीति का विरोध करें और इसकी आड़ में चल रहे प्रपंचों को पहचानें। बहुसंख्यकवाद की आंधी हमेशा किसी न किसी बहाने से आरंभ होती है। मुजफ्फरनगर में लड़कियों के साथ छेडखानी का मामला था,पूना में फेक आईडी के जरिए शिवाजी और बालठाकरे के बारे में गंदी बातें लिखने का मामला सामने आया है।उसके बाद बहाना बनाकर संबंधित मुस्लिम युवक की हत्या कर दी गयी और बाद में पूना में समुदाय विशेष के लोगों पर हमले हुए हैं।
नभाटा के अनुसार पूना में तनाव है।कई जगहों पर हमले और तोड़फोड़ की कार्रवाई हुई है। बहुसंख्यकवाद के लिए फेसबुक पोस्ट तो बहाना है। असल में वे फेसबुक पोस्ट से नाराज होते तो उसे हटाने के लिए शिकायत कर सकते थे,हत्या करने की क्या जरुरत थी।
मोहसिन की हत्या के बाद साफ संदेश है कि बहुसंख्यकवाद के नारे के इर्दगिर्द एकजुट हो। महाराष्ट्र सरकार को इस मामले में सख्ती से काम लेना चाहिए। कांग्रेस को जल्दी से अपने को वैचारिक निकम्मेपन से मुक्त करने की जरुरत है।
पूना में सामने जो खिलाडी हैं वे तो नकली खिलाडी हैं,असली खिलाडी तो कोई और हैं। उनको राजनीतिक तौर पर चिह्नित करने की जरुरत है। बहुसंख्यकवाद का नारा है भय पैदा करो और बहुसंख्यकों एकजुट करो।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन सेर और सवा सेर - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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