कार्तिक-स्नान
एक ही दिन
एक ही मुहुर्त में
हत्यारे स्नान करते हैं
हज़ारों-हज़ार हत्यारे
सरयू में,यमुना में
गंगा में
क्षिप्रा ,नर्मदा और साबरमती में
पवित्र सरोवरों में
संस्कृत बुदबुदाते हैं और
सूर्य को दिखा -दिखा
यज्ञोपवीत बदलते हैं
मल-मलकर गूढ संस्कृत में
छपाछप छपाछप
ख़ूब हुआ स्नान
छुरे धोए गए
एक ही मुगूर्त में
सभी तीर्थों पर
नौकरी न मिली हो
लेकिन कई खत्री तरूण क्षत्रिय बने
और क्षत्रिय ब्राह्मण
नए द्विजों का उपनयन संस्कार हुआ
दलितों का उद्धार हुआ
कितने ही अभागे कारीगरों-शिल्पियों
दर्जि़यो,बुकरों,पतंगसाज़ों,
नानबाइयों,कुंजड़ों और हम्मालों का श्राद्ध हो गया
इसी शुभ घड़ी में
(इनमें पुरानी दिल्ली का एक भिश्ती भी था)
पवित्र जल में धुल गए
इन कम्बख़्तों के
पिछले अगले जन्मों के
समस्त पाप
इनके ख़ून के साथ-साथ
और इन्हें मोक्ष मिला
एक ही दिन
एक ही मुहुर्त में
हत्यारे स्नान करते हैं
हज़ारों-हज़ार हत्यारे
सरयू में,यमुना में
गंगा में
क्षिप्रा ,नर्मदा और साबरमती में
पवित्र सरोवरों में
संस्कृत बुदबुदाते हैं और
सूर्य को दिखा -दिखा
यज्ञोपवीत बदलते हैं
मल-मलकर गूढ संस्कृत में
छपाछप छपाछप
ख़ूब हुआ स्नान
छुरे धोए गए
एक ही मुगूर्त में
सभी तीर्थों पर
नौकरी न मिली हो
लेकिन कई खत्री तरूण क्षत्रिय बने
और क्षत्रिय ब्राह्मण
नए द्विजों का उपनयन संस्कार हुआ
दलितों का उद्धार हुआ
कितने ही अभागे कारीगरों-शिल्पियों
दर्जि़यो,बुकरों,पतंगसाज़ों,
नानबाइयों,कुंजड़ों और हम्मालों का श्राद्ध हो गया
इसी शुभ घड़ी में
(इनमें पुरानी दिल्ली का एक भिश्ती भी था)
पवित्र जल में धुल गए
इन कम्बख़्तों के
पिछले अगले जन्मों के
समस्त पाप
इनके ख़ून के साथ-साथ
और इन्हें मोक्ष मिला
धन्य है
हर तरह सफल और
सम्पन्न हुआ
हत्याकांड
संचार की नई अवस्था
यह लीजिए जनाब लम्बा चक्कर लगा कर
एक बार फिर हम लोग
उसी जगह आते हैं
जो रास्ते पहले छोड़ दिए थे
खाई बन कर हमारे समाने हैं
जितना एक-दूसरे को देखते हैं
उससे कहीं ज्य़ादा बीच की खाई को
बातें भी एक-दूसरे से कम
ख़ाई से ज्य़ादा करते हैं
जैसे अब खाई ही अकेली पुल बची है
हर तरह सफल और
सम्पन्न हुआ
हत्याकांड
संचार की नई अवस्था
यह लीजिए जनाब लम्बा चक्कर लगा कर
एक बार फिर हम लोग
उसी जगह आते हैं
जो रास्ते पहले छोड़ दिए थे
खाई बन कर हमारे समाने हैं
जितना एक-दूसरे को देखते हैं
उससे कहीं ज्य़ादा बीच की खाई को
बातें भी एक-दूसरे से कम
ख़ाई से ज्य़ादा करते हैं
जैसे अब खाई ही अकेली पुल बची है
सिर्फ़ अपने-अपने शरीर लेकर
जैसे वे सिर्फ़ अपने-अपने शरीर लेकर
चली आई हों इस दुनिया में
वे जानती हैं
हमारे पास कैमरे हैं
स्वचालित बहुकोणीय दसों दिशाओं में मुँह किए
जो हर पल उनकी तस्वीरें भेजते हैं
जिन्हें कभी भी प्रकाशित कर सकते हैं
कितनी सावधान वे गुज़रती हैं
मुस्कुराती हुई एक-एक हमारी दुनिया से
जैसे खचाखच भरे किसी जगमगाते स्टेडियम से
अकेले गुज़रती हों
जैसे वे सिर्फ़ अपने-अपने शरीर लेकर
चली आई हों इस दुनिया में
वे जानती हैं
हमारे पास कैमरे हैं
स्वचालित बहुकोणीय दसों दिशाओं में मुँह किए
जो हर पल उनकी तस्वीरें भेजते हैं
जिन्हें कभी भी प्रकाशित कर सकते हैं
कितनी सावधान वे गुज़रती हैं
मुस्कुराती हुई एक-एक हमारी दुनिया से
जैसे खचाखच भरे किसी जगमगाते स्टेडियम से
अकेले गुज़रती हों
सहमति का दौर-
टेढ़े रास्ते सीधे हो रहे हैं
टेढ़े लोग सीधे हो रहे हैं
कोई रूकावट नहीं
न कोई मोड़ है
कोई दो ओर नहीं
सब कहीं सुविधा है
इनकार की जरूरत क्या
थोड़ा -सा इसरार काफ़ी
क्योंकि कोई और नहीं
क्योंकि कोई गै़र नहीं
सब अपने हैं
कोई ऐसा इंतज़ार नहीं
जो हमें विकल कर दे
या तोड़ दे
किसी को कहीं से आना नहीं है
किसी को कहीं जाना नहीं है
बस प्रेम से रहना है
देखिए कमाल
एक राह से एक ही राह निकलती है
कोई दो राहें नहीं निकलतीं
एक बात से एक ही बात निकलती है
कोई दो बातें नहीं निकलतीं
अक्सर एक ही बात
अपने दो नमूने बना लेती है
जिससे बात रह जाती है
सच्चाई बस एक है
बाकी उदाहरण हैं
सहमति बुनियादी है
असहमति तो ऐसे ही है
जिससे सहमति घटित होती दिखाई दे
पहले ही जबाब इतना मौजूद है
कि सवाल पैदा ही नहीं होता
कैसी फुर्ती है
कि समस्या बनने के पहले ही
समाधान हाज़िर हो जाता है
टेढ़े रास्ते सीधे हो रहे हैं
टेढ़े लोग सीधे हो रहे हैं
कोई रूकावट नहीं
न कोई मोड़ है
कोई दो ओर नहीं
सब कहीं सुविधा है
इनकार की जरूरत क्या
थोड़ा -सा इसरार काफ़ी
क्योंकि कोई और नहीं
क्योंकि कोई गै़र नहीं
सब अपने हैं
कोई ऐसा इंतज़ार नहीं
जो हमें विकल कर दे
या तोड़ दे
किसी को कहीं से आना नहीं है
किसी को कहीं जाना नहीं है
बस प्रेम से रहना है
देखिए कमाल
एक राह से एक ही राह निकलती है
कोई दो राहें नहीं निकलतीं
एक बात से एक ही बात निकलती है
कोई दो बातें नहीं निकलतीं
अक्सर एक ही बात
अपने दो नमूने बना लेती है
जिससे बात रह जाती है
सच्चाई बस एक है
बाकी उदाहरण हैं
सहमति बुनियादी है
असहमति तो ऐसे ही है
जिससे सहमति घटित होती दिखाई दे
पहले ही जबाब इतना मौजूद है
कि सवाल पैदा ही नहीं होता
कैसी फुर्ती है
कि समस्या बनने के पहले ही
समाधान हाज़िर हो जाता है
जितना विवाद नहीं
उससे कहीं ज़्यादा बिचौलिए हैं
दलीलें,मिसालें,सुबूत
सब एक तरफ हैं
गवाह ,वकील, मुवक्किल,
मुंसिफ़ यहाँ तक कि मुद्दई
सब एक तरफ़
हमारा जातीय गौरव
आधी से ज्य़ादा आबादी
जहाँ ख़ून की कमी की शिकार थी
हमने वहाँ खून के खुले खेल खेले
हर बड़ा रक्तपात
एक रँगारँग राष्ट्रीय महोत्सव हुआ
हमने खूब बस्तियाँ जलाईं
और ख़ूब उजाला किया
और छत पर चढ़कर चिल्लाकर कहा
देखो,दुनिया के लोगो
देखो हमारा जातीय गौरव !
भारतीय संस्कृति
पहले पहल जब हमने सुना
चमड़े का वॉशर है
तो बरसों बरस नल का पानी नहीं पिया
तब कुओं-बावडि़यों पर हमारा कब्ज़ा था
जो आख़िर तक बना रहा
हमने कुएँ सुखा दिए
पर ऐरों-गैरों को फटकने न दिया
अब भी कायनात में पीने योग्य
जितना पानी बचा है
दलितों की बस्ती की ओर रूख करे इससे पहले
हमीं खींच लेते हैं
हमारे विकास ने जो ज़हर छोड़ा
ज़मीन की तहों में बस गया है
उससे कहीं ज़्यादा बिचौलिए हैं
दलीलें,मिसालें,सुबूत
सब एक तरफ हैं
गवाह ,वकील, मुवक्किल,
मुंसिफ़ यहाँ तक कि मुद्दई
सब एक तरफ़
हमारा जातीय गौरव
आधी से ज्य़ादा आबादी
जहाँ ख़ून की कमी की शिकार थी
हमने वहाँ खून के खुले खेल खेले
हर बड़ा रक्तपात
एक रँगारँग राष्ट्रीय महोत्सव हुआ
हमने खूब बस्तियाँ जलाईं
और ख़ूब उजाला किया
और छत पर चढ़कर चिल्लाकर कहा
देखो,दुनिया के लोगो
देखो हमारा जातीय गौरव !
भारतीय संस्कृति
पहले पहल जब हमने सुना
चमड़े का वॉशर है
तो बरसों बरस नल का पानी नहीं पिया
तब कुओं-बावडि़यों पर हमारा कब्ज़ा था
जो आख़िर तक बना रहा
हमने कुएँ सुखा दिए
पर ऐरों-गैरों को फटकने न दिया
अब भी कायनात में पीने योग्य
जितना पानी बचा है
दलितों की बस्ती की ओर रूख करे इससे पहले
हमीं खींच लेते हैं
हमारे विकास ने जो ज़हर छोड़ा
ज़मीन की तहों में बस गया है
बजबजाते हुए हमारे विशाल पतनाले
हमारी विष्ठा हमारा कूड़ा और हमारा मैल लिए
सभ्यता की बसावट से गुजरते हैं
और नदियों में गिरते हैं
जिन्होने बहना बंद कर दिया है
कितना महान सांस्कृतिक दृश्य है कि
हत्याकांड सम्पन्न करने के बाद हत्यारा भीड़ भरे
घाट पर आता है
और संस्कृत में धारावाहिक स्तोत्र बोलता हुआ
रूकी हुई यमुना के रासायनिक ज़हर में
सौ मन दूध गिराता है
हाय सरदार पटेल !
सरदार पटेल होते तो ये सब न होता
कश्मीर की समस्या का तो सवाल ही नहीं था
ये आतंकवाद वातंकवाद कुछ न होता
अब तक मिसाइल दाद चुके होते
साले सबके सब हरामज़ादे एक ही बार में ध्वस्त हो जाते
सरदार पटेल होते तो हमारे देश में
हमारा इस तरह अपमान न होता !
ये साले हुसैन वुसैन
और ये सूडो सेकुलरिस्ट
और ये कम्युनिस्ट वमुनिस्ट
इतनी हाय तौबा मचाते !
हर कोई ऐरे गैरे साले नत्थू खैरे
हमारे सर पर चठ़कर नाचते !
आबादी इस कदर बढ़ती !
मुट्ठीभर पढ़ी लिखी शहरी औरतें
इस तरह बक बक करतीं !
सच कहें,सरदार पटेल होते
तो हम दस बरस पहले प्रोफेसर बन चुके होते !
हमारी विष्ठा हमारा कूड़ा और हमारा मैल लिए
सभ्यता की बसावट से गुजरते हैं
और नदियों में गिरते हैं
जिन्होने बहना बंद कर दिया है
कितना महान सांस्कृतिक दृश्य है कि
हत्याकांड सम्पन्न करने के बाद हत्यारा भीड़ भरे
घाट पर आता है
और संस्कृत में धारावाहिक स्तोत्र बोलता हुआ
रूकी हुई यमुना के रासायनिक ज़हर में
सौ मन दूध गिराता है
हाय सरदार पटेल !
सरदार पटेल होते तो ये सब न होता
कश्मीर की समस्या का तो सवाल ही नहीं था
ये आतंकवाद वातंकवाद कुछ न होता
अब तक मिसाइल दाद चुके होते
साले सबके सब हरामज़ादे एक ही बार में ध्वस्त हो जाते
सरदार पटेल होते तो हमारे देश में
हमारा इस तरह अपमान न होता !
ये साले हुसैन वुसैन
और ये सूडो सेकुलरिस्ट
और ये कम्युनिस्ट वमुनिस्ट
इतनी हाय तौबा मचाते !
हर कोई ऐरे गैरे साले नत्थू खैरे
हमारे सर पर चठ़कर नाचते !
आबादी इस कदर बढ़ती !
मुट्ठीभर पढ़ी लिखी शहरी औरतें
इस तरह बक बक करतीं !
सच कहें,सरदार पटेल होते
तो हम दस बरस पहले प्रोफेसर बन चुके होते !
Shaandar Sir ji, shaandar..
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