गुरुवार, 20 अगस्त 2009

भाजपा में जि‍न्‍ना - जसवंत का गि‍रगि‍ट भाव

भाजपा अध्‍यक्ष राजनाथ सिंह ने अंतत: जसवंत सिंह को पार्टी से नि‍काल दि‍या, कहा गया उन्‍हें जि‍न्‍ना संबंधी वि‍चारों कारण नि‍काला गया है। सतह पर यही सत्‍य है। किंतु राजनीति‍क सत्‍य यह नहीं है । राजनीति‍क सत्‍य यह है कि‍ जसवंतसिंह के बारे में भाजपा नेतृत्‍व ने काफी पहले ही तय कर लि‍या था कि‍ उनकी वि‍दाई करनी है। इसके पहले कदम के तौर पर उन्‍हें हाल ही में सम्‍पन्‍न हुए लोकसभा चुनाव में राजस्‍थान से टि‍कट न देकर दार्जिलिंग भेजा गया,जहां भाजपा का कोई पोस्‍टर लगाने वाला तक नहीं है। लोकसभा के चुनाव के बाद उन्‍हें संसदीय दल में कोई भी जि‍म्‍मेदार पद नहीं दि‍या गया और यह भी जगजाहि‍र है कि‍ राजस्‍थान के पार्टी नेतृत्‍व के साथ उनकी पटरी नहीं बैठ पा रही थी,वह पहले भी कई बार अपने सार्वजनि‍क व्‍यवहार से भाजपा को मुश्‍कि‍ल में डाल चुके थे,वसुंधरा राजे के साथ उनका पंगा,जगजाहि‍र है।राजस्‍थान की हार के कारण के रूप में वसुंधरा राजे को जि‍म्‍मेदार ठहराकर भाजपा का केन्‍द्रीय नेतृत्‍व चैन की सांस लेना चाहता था, किंतु वसुंधरा राजे के दबाव के कारण भाजपा केन्‍द्रीय नेतृत्‍व को जसवंत सिंह को भी पार्टी की हार के लि‍ए जि‍म्‍मेदार मानना पड़ा और उन्‍हें जि‍न्‍ना के बहाने वि‍दा कर दि‍या गया।
जसवंत सिंह यह अच्‍छी तरह जानते हैं कि‍ अटलजी के बैठ जाने के बाद से उनकी पार्टी में कोई साख नहीं बची थी और वे भी कि‍नाराकशी की सोच रहे थे,कि‍ताब तो बहाना भर है। जसवंत सिंह ने इसे अभि‍व्‍यक्‍ति‍ की स्‍वतंत्रता पर हमला कहा है जो एकसि‍रे से गलत है। जनाब कल तक जि‍स पार्टी में थे वह आए दि‍न धर्मनि‍रपेक्ष लेखकों,पेंटरों,वि‍चारकों इति‍हासकारों पर तरह तरह के हमले करती रही और वे चुपचाप देखते रहे अंत में पुस्‍तक लोकार्पण के मौके पर उन्‍हें कोई भी भाजपा मार्का वि‍द्वान नहीं मि‍ला तो धर्मनि‍रपेक्ष वि‍द्वानों को एकत्रि‍त करके लोकार्पण कराया,इसी को कहते गि‍रगि‍ट भाव। कौन जाने जसवंत सिंह जल्‍दी ही भाजपा में माफी मांगते हुए कब वापस चले जाएं और कहें कि‍ मैंने जो लि‍खा था उसे अब नहीं मानता। आखि‍रकार जब गि‍रगि‍ट की तरह ही रहना है तो रंग बदलते कि‍तनी देर लगती है।

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