यार इतनी कंजूसी क्यों करते हो,फेसबुक पर क्लिक करने में कंजूसी करोगे तो फिर तुम कभी अभिव्यक्ति के मामले में उदार नहीं बन सकते।ठीक है हम तुम्हारे दल में नहीं हैं,लेकिन पहले तो थे,यह भी सही है कि हम तुम पर भी लिखते हैं,तुम्हारे दल पर भी लिखते हैं,तुमनेे बेइंतहा तकलीफें दी हैं,हमारे खिलाफ तुम्हारे दल के लोगों ने जहरीला प्रचार किया,इसके बावजूद हमने तुमसे हलो बंद नहीं की,तुमसे प्यार करना बंद नहीं किया।तुम इस कदर कमीनापन क्यों करते हो जिससे तुम्हारे दल को क्षति पहुँचे,कमीनेपन का मतलब कम्युनिस्ट होना नहीं है।कृतघ्न व्यक्ति कभी कम्युनिस्ट आंदोलन का भला नहीं कर सकता।तुम यह तो बताओ तुमने कृतघ्नता कहां से सीखी,कम से कम हमने नहीं सिखाया तुमको।कुछ क्षण रूककर सोचो कि कम्युनिस्टों को कैसे उदार बनाएं,किस तरह उनमें कृतज्ञताबोध पैदा करें।उसकी पहली सीढ़ी है कि तुम फेसबुक पर रहते हो तो प्रगतिशीलों के फेसबुक पोस्ट को लाइक करना सीखो, हमेशा दलीय गिरोह में कैद मत रखो अपने को, यह दौर दलीय गिरोहबंदी का नहीं है।यही सब नरक फैलाना है तो फेसबुक एकाउंट बंद करके शांति से बैठो।
फेसबुक पर सक्रिय कम्युनिस्टों से अनुरोध है कि अपनी वॉल को कम्युनिस्ट वॉल न बनाएं,वरना कोई नहीं पढ़ेगा।खुलकर लिखो,कम्युनिस्ट और गैर-कम्युनिस्ट विषयों पर लिखो।सिर्फ पार्टी का प्रचार करने के लिए यदि फेसबुक पर आते हो तो बहुत ही सीमित लक्ष्य लेकर जी रहे हो,उसके लिए फेसबुक पर आने की जरूरत नहीं है,हर समय तुम पार्टी के मेम्बर नहीं हो,यह कैसा मनुष्य बनाया है जो पार्टी के बिना न हंसता है,न बोलता है।
फेसबुक पर सक्रिय कम्युनिस्टों से अनुरोध है कि अपनी वॉल को कम्युनिस्ट वॉल न बनाएं,वरना कोई नहीं पढ़ेगा।खुलकर लिखो,कम्युनिस्ट और गैर-कम्युनिस्ट विषयों पर लिखो।सिर्फ पार्टी का प्रचार करने के लिए यदि फेसबुक पर आते हो तो बहुत ही सीमित लक्ष्य लेकर जी रहे हो,उसके लिए फेसबुक पर आने की जरूरत नहीं है,हर समय तुम पार्टी के मेम्बर नहीं हो,यह कैसा मनुष्य बनाया है जो पार्टी के बिना न हंसता है,न बोलता है।
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