पश्चिम बंगाल में माकपा का जनाधार जिस तरह खत्म हो रहा है वह बताता है कि माकपा ने 34साल की वामशासन की गलतियों से कोई सबक हासिल नहीं किया ।मसलन् इसबार के चुनाव में माकपा को मात्र 19.7फीसदी वोट मिले हैं जबकि टीएमसी को 44.9फीसदी वोट मिले हैं।यानी टीएमसी अकेले अपने दम पर समाज के बृहत्तर तबकों के बीचमें अपनी स्वीकृति अर्जित करने में सफल रही है।खासकर अल्पसंख्यकों,एससी,एसटी और ग्रामीणों में उसे व्यापक जन समर्थन तो मिला है, इसके अलावा शहरीजनों में भी वह जनाधार का विस्तार करने में सफल रही है।इसबार के चुनाव से यह भी निष्कर्ष निकलता है कि टीवी चैनलों का जनता पर कोई असर नहीं होता।आज भी निजी जनसंपर्क और परंपरागत संगठन के जरिए किया गया प्रचार कार्य प्रभावी होता है।जो लोग सोचते हैं कि टीवी और सोशलमीडिया से चुनाव जीता जाता है,वे गलतफहमी में हैं।
पश्चिम बंगाल में अधिकांश टीवी चैनलों ने अहर्निश ममता के खिलाफ प्रचार किया,लेकिन आम जनता पर उसका कोई असर नहीं हुआ।इसका प्रधान कारण है ममता का कैडर आधारित संगठन।दूसरी बात यह कि ममता सरकार ने विकासमूलक योजनाओं को नीचे तक लागू करके,स्वयं निरीक्षण और निर्देशन का काम किया,हर जिले में बार-बार दौरा किया,इससे सारी योजनाएं जमीनी स्तर पर लागू करने में वह सफल रही। तीसरा प्रधान कारण है वाम और भाजपा का साखविहीन प्रचार।इन तीन कारणों ने मिलकर ममता की जीत को संभव बनाया।उल्लेखनीय है ममता सरकार के खिलाफ अपराधीकरण, घूसखोरी, पुलिस मशीनरी के दुरूपयोग आदि के सभी आरोप सच हैं,लेकिन आम जनता ने अपनेहित के सामान्य विकासमूलक कार्यों को केन्द्र में रखकर ममता को वोट दिया।वाम की इस मामले में 34 साल की नाकामियां आज भी सबसे बड़ी बाधा बनकर खड़ी हैं।एक छोटे से उदाहरण से समझ सकते हैं।मैं जिस मुहल्ला-गली में रहता हूँ,उसके आसपास कोई पानी की प्याऊ वाम जमाने में नहीं थी,लेकिन ममता के आने के बाद ठंड़े पानी की चार प्याऊ विभिन्न नुक्कड़ों पर इस बीच में बनायी गयीं।इससे नागरिकों को मदद मिली।सफाई के मामले में भी वाम को ममता ने मात दी है,कोलकाता पहले की तुलना में ज्यादा साफ रहता है,सड़कों और गलियों में बहुत रोशनी रहती है।यही रोशनी वाम शासन में कम नजर आती थी।यह स्थिति सारे राज्य की है।इसी तरह कन्याश्री योजना के तहत हर लड़की के बैंक खाते में 25हजार रूपये सरकार ने जमा कराए हैं,गरीबों को 50हजार रूपये तक की घर बनाने के लिए धनराशि गांवों में घर-घर जाकर बांटी है।हर लड़की को साइकिल मिली है,इन सब कार्यों के कारण राज्य का नक्शा बदला है।शिक्षा के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े पैमाने पर निवेश हुआ है।जो कि वाम शासन में नहीं हुआ था। इन सभी पहलुओं पर मैं फेसबुक पर पहले भी लिख चुका हूँ।कहने का तात्पर्य है कि ममता को वोट सकारात्मक कारणों की वजह से मिला है और इसके कारण ममता की गड़बड़ियों को जनता ने नजरअंदाज किया है।
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