शुक्रवार, 6 मई 2016

मोदी-ईरानी निराश न हों! डिग्रियां ही डिग्रियां!


         जब देश में प्रधानमंत्री और मानव संसाधन मंत्री की डिग्रियां फेक हों तो सोचो इनके निशाने पर सबसे पहले कौन होगा ॽ जाहिरा तौर पर शिक्षा क्षेत्र होगा।विश्वविद्यालय होंगे,दिल्ली विश्वविद्यालय होगा।हमारे सीपीआईएम के शिक्षकनेता खासतौर पर सुन लें कि उनकी यह पहली जिम्मेदारी बनती थी कि वे नरेन्द्र मोदी और स्मृति ईरानी की फेक डिग्री के मामले को उठाते और इन दोनों नेताओं को बेनकाब करते।लेकिन उन्होंने यह काम नहीं किया।जबकि शिक्षक संघ में उनका नेतृत्व है। हम नहीं मानते कि इस मामले में माकपा के नेताओं ने अनजाने चूक की है,बल्कि यह माकपा के शिक्षक नेताओं में बढ़ रही अ-राजनीतिक मनोदशा का परिणाम है।सोचने वाली बात यह भी है कांग्रेस का दमदार नेतृत्व है डीयू में लेकिन उसने भी यह काम नहीं किया,क्योंकि उनको भी मोदीजी से लेन-देन की राजनीति करनी है।

आम आदमी पार्टी को इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि उसने पीएम नरेन्द्र मोदी और मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की फेक डिग्रियों के मसले को राष्ट्रीय प्रश्न बना दिया।ताज्जुब की बात यह है कांग्रेस और माकपा दोनों ने संसद में इन दोनों नेताओं की फेक डिग्री के मसले को आजतक पुरजोर ढ़ंग से नहीं उठाया,एक भी दिन संसद ठप्प नहीं की। इस मसले की इन दोनों दलों द्वारा उपेक्षा अनजाने में नहीं हुई है।बल्कि सुनियोजित समझ का परिणाम है।

संसद में इन दोनों नेताओं पर दबाव डाला जाए कि ये दोनों नेता अपनी वैध डिग्रियां संसद के पटल पर पेश करें,जिससे उनकी वैधता की जांच करायी जा सके।लेकिन सत्ता और विपक्ष में इस मामले में नूरा कुश्ती चल रही है।पूरा विपक्ष मोदीजी और ईरानीजी को घेर सकता था लेकिन घेर नहीं रहा।क्यों नहीं घेर रहा ॽ क्यों अकेले आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने यह फ्रंट संभाला हुआ है ॽ क्या विपक्ष की इस मामले में कोई जिम्मेदारी है या नहीं ॽ

ईरानीजी और मोदीजी की फेक डिग्रियों के प्रसंग में मुझे 1970 के दशक की दिल्ली की दीवारें याद आ रही हैं,उस समय इन दीवारों पर पोस्टर लगे रहते थे-हाईस्कूल फेल निराश न हों,सीधे बी.ए. करें।इसी तरह-बी.ए.फेल निराश न हों सीधे एम.ए. करें।सचदेवा इंस्टीट्यूट के इस तरह पोस्टरों से दिल्ली भरी रहती थी। इन पोस्टरों का मुख्य शीर्षक हुआ करता था,´निराश न हों´,हमें लगता यही है इन दोनों नेताओं ने इस तरह के पोस्टरों से प्रभावित होकर अपनी डिग्री की अभिलाषा को पूरा किया होगा !!

इस तरह के इंस्टीट्यूट उस जमाने में हजारों निराश युवक-युवतियों के लिए आशा की किरण बनकर सामने आए थे।लाखों निराश युवाओं के इनके जरिए घर बसे,डिग्री पाने की अभिलाषा पूरी हुई। वरना यह कैसे संभव है कि आम आदमी पार्टी चीख-चीखकर कह रही है पीएम की डिग्रियां फेक हैं लेकिन पीएम जबाव नहीं दे रहे,ईरानी जबाव नहीं दे रहीं।

आम आदमी पार्टी ने इन दोनों नेताओं की डिग्रियों के बारे में सही ढ़ंग से खोज की है और सारे तथ्य जुटाए हैं और राजनीतिक पहल करके हमला बोला है।इस समय आम आदमी पार्टी के हाथ में इन दोनों नेताओं की गर्दन है।हम भी देखें सच्चाई कब तक सामने आती है। पीएम मोदी और ईरानीजी ने लगातार विभिन्न स्तरों पर अपनी डिग्रियों को लेकर सफेद झूठ बोला है।यदि उनके दावे में जान होती तो ये दोनों नेता अपनी डिग्री को संसद के पटल पर रख देते और सारी बहस खत्म हो जाती।लेकिन पीएम की एमए डिग्री के बारे में गुजरात वि.वि. के उपकुलपति बोले जो कि स्वयं में समस्या खड़ी करके चले गए,उनके बयान में साफ था कि पीएम मोदी की एम.ए.डिग्री ऊपर के दवाब में आनन-फानन में तैयार की गयी है।वरना सभी सूचनाएं एक साथ सामने रखी जानी चाहिए।



हम मांग करते हैं पीएम मोदी और मानव संसाधन मंत्री ईरानीजी अपनी सारी डिग्रियां संसद के पटल पर रखें जिससे सच्चाई सामने आ सके।यदि इन्होंने झूठ बोला है तो इनको पद छोड़ना चाहिए।मोदी सरकार को इस्तीफा देना चाहिए।मुखिया के नाते राजनीतिक तौरपर वे जिम्मेदार हैं और झूठ बोलने के लिए उन्हें दण्डस्वरूप सरकार से इस्तीफा देना चाहिए।

1 टिप्पणी:

  1. कांग्रेस और माकपा में भी कुछ सांसद ऐसी ही डिग्रीवाले हो सकते हैं। शायद, इसी डर से वे चीख-चिल्ला नहीं रहे। कुछ तो ज़रूर है, अन्यथा विपक्ष इसे लेकर हंगामा न करे, गले नहीं उतरता। असल में हम, अब ऐसी जगह आ गये हैं, जहाँ हमारे भूतकाल की थोड़ी और छोटी चूक भी हमें डुबा सकती है। पहले तो भूतकाल की भूल को बड़े होने पर स्वीकार लेते थे, जिससे वह भूल न केवल माफ़ हो जाती थी, बल्कि हमारे व्यक्तित्व में चार चाँद भी लगाती थी। आत्मकथाएँ तो ऐसी भूलों से भरी पड़ी हैं। मगर, अब ऐसा नहीं हो सकता। भूतकाल के किये हमारे गुण-दोष हमें वर्तमान में ही संकट में डाल सकते हैं। इस प्रकार हम बचपन से ही दोषहीन-भूलहीन बनने को मजबूर हैं। तभी तो लोग अपने बच्चों को जल्द बड़ा बनाने में लगे हैं। हो सकता है, कल को हमें बच्चेरूप में बूढ़े ही मिलें।

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