(चीन का महाअमीर हुआंग गुआंग्जू )
आईपीएल का नाटक चल रहा है। यह कांग्रेस-भाजपा-वाम मार्का कारपोरेट गुलामी का नग्नतम उदाहरण है। इनमें से किसी भी राजनीतिक दल की कारपोरेट घरानों की कानूनभंजक कार्रवाईयों को रोकने और कारपोरेट अपराधियों को जेल में ड़ालने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
कारपोरेट गुलामी में कांग्रेस मास्टर रही है। यही वजह है कि राष्ट्रीयकृत बैंकों का अरबपतियों -करोड़पतियों पर बकाया अरबों-खरबों रुपया अभी तक वसूला नहीं गया है। किसी भी कारपोरेट अमीर को गिरफ्तार नहीं किया गया है। कारपोरेट घरानों द्वारा इनसाइडर ट्रेडिंग करने, घूस देने आदि के मामलों में आज तक किसी भी अमीर को केन्द्र और राज्य सरकारें जेल के अंदर बंद नहीं कर पायी हैं।
आईपीएल में खुलेआम घूस देने और लेने वालों की चिरौरी की जा रही है। कानूनभंजक अमीरों के सामने राजनीतिज्ञों का यह खुला समर्पण है। इसके विपरीत हमारे सामने अमीरों की कानूनभंजक कार्रवाईयों के खिलाफ सक्रिय कार्रवाई करने का चीन का एक आदर्श उदाहरण उपलब्ध है।
चीन के इलैक्ट्रोनिक महाअमीर हुआंग गुआंग्जू को कुछ अर्सा पहले चीन की पुलिस ने गिरफ्तार किया है, इनके पास 6.3 बिलियन डॉलर की संपत्ति है। सन् 2008 में हुनान के द्वारा जारी चीनी अमीरों की सूची में ये जनाब अव्वल नम्बर पर थे। अभी ये ,इनकी पत्नी और सहयोगियों के खिलाफ कई केस चल रहे हैं और ये सभी जेल में बंद हैं। इन पर सरकारी कर्मचारियों को घूस देने और इनसाइडर ट्रेडिंग का आरोप है। ये जनाब चीन के दूसरे नंबर के इलैक्ट्रोनिक माल निर्माता हैं।
बीबीसी के अनुसार हुआंग गुआंग्जू ने स्कूली शिक्षा बीच में छोड़ दी थी,स्कूल ड्रॉप आउट के रुप में चर्चित इस महाअमीर के पास आरंभ में एक भी पैसा नहीं था। लेकिन मात्र 30 साल में उसने बेशुमार दौलत कमायी है। आज उसके चीन में 1300 स्टोर हैं। सन् 2008 में इस व्यक्ति को जब चीन के महाधनी के रुप में रेखांकित किया गया उसके कुछ ही समय बाद चीन की पुलिस ने पकड़कर जेल में बंद कर दिया। तब से ये अमीर,इसकी बीबी और सहयोगी जेल की हवा खा रहे हैं। काश भारत में घूसखोर अमीरों को पुलिस पकड़ पाती ! हमारे यहां इनसाइडर ट्रेडिंग करने वाले,पुलिस और सरकारी कर्मचारियों को घूस देने वाले किसी भी अरबपति को आज तक पुलिस पकड़ ही नहीं पायी है,यहां तक कि अरबों ऱुपये की बैंकों की कर्जराशि हजम कर जाने वाले अरबपति छुट्टा सांड़ की तरह घूम रहे हैं,प्रधानमंत्री के साथ बैठकें कर रहे हैं,यहां तक कि कुछ तो प्रधानमंत्री के विभिन्न रुपों में सलाहकार बने बैठे हैं। क्या हम इस तरह के नपुंसक और कारपोरेट राजनीतिक गुलामों से भारत का मुख उज्ज्वल कर पाएंगे ?
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