( फिलीस्तीनी चित्रकार मोहम्मद सावू का गाजा दमन के खिलाफ बनाया चित्र)
गाजा की इस्राइल द्वारा नाकेबंदी जारी है। हजारों लोग खुले आकाश के नीचे कड़कड़ाती ठंड में ठिठुर रहे हैं , इन लोगों के पास न तो कम्बल हैं, न टैंट हैं, न खाना है, न पीने का साफ पानी है। यह बातें संयुक्तराष्ट्रसंघ मानवीय सहायता दल के संयोजक मैक्सवेल गेलार्ड ने फिलीस्तीनी इलाकों का ङाल ही में निरीक्षण करने के बाद पत्रकारों से कही हैं।
आश्चर्य की बात है भारत सरकार ने अभी तक गाजा की तबाही और इस्राइली नादिरशाही के खिलाफ एक भी बयान तक जारी नहीं किया है। कांग्रेस के नेतृत्व का फिलिस्तीनियों पर इस्राइली सेना के बर्बर अत्याचारों पर चुप्पी लगाए रहना भारत के लिए शर्मिंदगी की बात है। भारत लगातार फिलीस्तीनी जनता के स्वाधीनता संग्राम का समर्थक रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जमाने में विगत 6 सालों से इस्राइल के साथ जिस तरह का राजनीतिक व्यवहार किया जा रहा है और फिलीस्तीनी जनता के ऊपर हो रहे बर्बर हमलों पर जिस तरह की चुप्पी विदेश मंत्रालय ने लगाई हुई है वह भारत सरकार की फिलीस्तीन समर्थक विदेश नीति में आए बदलाव की सूचना है, यह इस बात का भी संकेत है कि कांग्रेस ने इस्राइल के प्रति समर्पण की एनडीए के शासन के दौरान अपनायी गयी नीति को स्वीकार कर लिया है। यह भारत की फिलीस्तीनी जनता के साथ भीतरघात है। भारत की जनता का अपमान है। हम जरा गाजा में झांककर देखें कि वहां क्या हो रहा है।
उल्लेखनीय है पिछले साल दिसम्बर-08 से जनवरी 2009 के बीच गाजा पर की गई भयानक बमबारी के कारण हजारों बिल्डिंगें ,मकान, स्कूल,अस्पताल सड़कें आदि पूरी तरह नष्ट हो गए थे। एक गैर सरकारी संस्था ऑक्सफॉम के अनुसार गाजा को तत्काल 268,000 मीटर कांच खिड़कियों के लिए और 67,000 स्क्वेयर मीटर सोलर वाटर हीटर के लिए चाहिए। इसके अलावा इतना ही कांच 30 फुटबाल पिचों को कवर करने के लिए चाहिए।
गाजा में फिछले साल हुई इस्राइली बमबारी के कारण पानी सप्लाई , पायखाना, बिजली आदि का समूचा ढ़ांचा नष्ट हो गया। सहायता कार्य में लगी संस्थाओं को बड़ी परेशानी हो रही है। उन्हें सीवर लाइन के पाइप,वाटर पंप ,टंकी आदि की मरम्मत के लिए पर्याप्त सामान, पुर्जे,तेल आदि नहीं मिल पा रहे हैं। इसके कारण पीने के साफ पानी का अभाव बना हुआ है। बिजली उत्पादन व्यवस्था के बमबारी के कारण पूरी तरह नष्ट हो जाने का पानी की सप्लाई पर सीधा असर हुआ है।
फिलीस्तीन का दैनन्दिन नजारा यह है कि गाजा के सभी रास्ते इस्राइली सेना ने बंद पर दिए हैं। आए दिन लगातार इस्राइली सैनिक घर -घर घुसकर तलाशी अभियान चला रहे हैं, ऊपर से रॉकेट से बस्तियों पर हमले किए जा रहे हैं। कई नाके वाले इलाकों में इस्राइली सैनिकों और हम्मास के सैनिकों के बीच झड़पें भी हुई हैं। विगत कुछ दिनों में जिस तरह झड़पें हुई हैं और इस्राइल ने हमले तेज किए हैं उससे यह भी कयास लगाए जा रहा है कि इस्राइल के द्वारा गाजा पर बड़े हमले की तैयारी चल रही है।
शांति के नाम पर इस्राइल-अमेरिका मांग कर रहे हैं कि फिलिस्तीनी जनता अपने संघर्ष की सभी योजनाओं को त्याग दे।प्रतिरोध के सभी प्रयास बंद कर दे।इस्राइल के आतंक-उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष बंद कर दे।उल्लेखनीय है इस्राइल के द्वारा फिलिस्तीनियों का उत्पीड़न उनके क्षेत्र में हो रहा है।इस्राइल बृहद इस्राइल के सपने को साकार करने में लगा है।इस प्लान के आने के पहले जिन्नी प्लान,टेनेट प्लान आदि लाए गए किंतु अंतत: इस्राइली विस्तारवाद के आगे सबको ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया।
इस्राइली आतंक ने फिलिस्तीनी बच्चों को सामान्य बच्चों से भिन्न बना दिया है।बच्चों के ऊपर जिस तरह का दबाव पड़ रहा है उसके कारण बच्चों का अपने ऊपर नियंत्रण खत्म होता जा रहा है। उनके अंदर सुरक्षा की भावना खत्म होती जा रही है।दैनंदिन आतंक ने बच्चों को अंतर्विरोधी अनुभूतियों का शिकार बना दिया है। इनमें कुछ सकारात्मक अनुभूतियां हैं तो कुछ नकारात्मक अनुभूतियां हैं।
मसलन् बंदूक से पलायन ही बच्चों में खुशी का कारण बन जाता है।बच्चे परेशान रहते हैं कि स्कूल कब खुलेंगे।बाजार कब खुलेगा।पिता कब लौटकर आएंगे।माता-पिता कब तक घर से दूर रहेंगे।वे दिन-रात इस्राइली सेना के हमले के दुस्वप्न देखते रहते हैं।इस्राइली सेना के प्रक्षेपास्त्र हमलों को लेकर आतंकित रहते हैं।सो नहीं पाते।ज्यादातर बच्चों की पाचन-क्रिया गड़बड़ा गई है। इससे बच्चों का शारीरिक विकास बाधित हो रहा है।
इस्राइली आतंक ने बच्चों के खेलों का चरित्र बदल दिया है।पहले बच्चे जुलूस,सेना और बमबारी का खेल खेलते थे।किंतु अब इसमें मशीनगन और हेलीकॉप्टर भी शामिल हो गए हैं। पहले बच्चे रबड़ की गोलियों,शब्द करने वाले पटाखों,धुँआ छोड़ने वाले या ऑंसू गैस के गोलों और बमों से खेलते थे। किंतु अब बच्चे हवाई जहाज, बमों,टैंक,खुले घरों,बम,और रॉकेट आदि से खेलते हैं।
बच्चों की भाषा में भी बदलाव आया है।अब बच्चे धार्मिक भाषा में बोलने लगे हैं।वे कहते हैं कि 'शरीर मरता नहीं बल्कि स्वर्ग में जीवित है।' राष्ट्रवादी भावनाओं का राष्ट्रीय नारों के तहत प्रसार हो रहा है।वे राष्ट्रीय एकता के नारे लगाते रहते हैं। इन परिवर्तनों से भविष्य के मुक्तिदूत तैयार हो रहे हैं। इस्राइली प्रशासन द्वारा फिलिस्तीनी जनता पर उत्पीड़न की प्रतिदिन अनेक घटनाएं हो रही हैं।किंतु इक्का-दुक्का ही टीवी में दिखती हैं।
हाल ही में गार्जियन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार गाजा में सहायता कार्यों में लगे 80 से ज्यादा एनजीओ संगठनों और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बयान में कहा है कि गाजा की नाकेबंदी के कारण 14 लाख लोगों का स्वास्थ्य दांव पर लगा है। बीमार लोगों में बीस प्रतिशत सख्त मरीज हैं, इन्हें तत्काल इलाज के लिए इस्राइल के अस्पतालों में भर्ती कराने की जरुरत है। गाजा में जिस तरह सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक हालात खराब हुए हैं उसके कारण लोगों की तबियत ज्यादा तेजी से खराब हो रही है।
दूसरी ओर इस्राइली अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के साथ घनघोर अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। फिलीस्तीनी मरीजों को इस्राइल में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है। उल्लेखनीय है गाजा पर सन् 2007 से हम्मास का नियंत्रण स्थापित होने के बाद से इस्राइल ने गाजा की ओर जाने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए हैं, फिलीस्तीन का शेष संसार के साथ संपर्क और संचार के जितने भी रास्ते हैं वे इस्राइल और मिस्र से होकर जाते हैं। इस्राइल की नाकेबंदी का फिलीस्तीन के लिए अर्थ है संसार से समस्त संपर्कों की समाप्ति। नाकेबंदी के कारण पर्याप्त मात्रा में दवा,इलाज की मशीनें ,एक्सरे मशीन आदि की सप्लाई तक में बाधा पड़ी है। यहां हम अपील पेश कर रहे हैं जो हाल ही में गाजा के हालात पर ध्यान खींचने के लिए यहूदियों ने जारी की है।
Rabbis Condemn Israel for War Crimes Committed in Gaza: Open Letter to Judge Goldstone | |
Global Research, April 26, 2010 | |
Jewish Fast for Gaza - 2010-04-21 | |
Dear Judge Goldstone, As rabbis from diverse traditions and locations, we want to extend our warmest mazel tov to you as an elder in our community upon the Bar Mitzvah of your grandson. Bar and Bat Mitzvah is a call to conscience, a call to be responsible for the welfare of others, a call to fulfill the covenant of peace and justice articulated in our tradition. As rabbis, we note the religious implications of the Report you authored. We are reminded of Shimon Ben Gamliel’s quote, “The world stands on three things: justice, truth, and peace as it says ‘Execute the judgment of truth, and justice and peace will be established in your gates’ (Zaccariah 8:16).” We affirm the truth of the report that bears your name. We are deeply saddened by the controversy around the report. We affirm your findings and believe you set up an impeccable standard that presents strong evidence that during the war in Gaza Israel engaged in war crimes that revealed a pattern of continuous and systematic assault against Palestinian people and land that has very little to do with Israel’s claim of security. Your report made clear the intentional targeting of civilian infrastructures such as hospitals, schools, agricultural properties, water and sewage treatment centers and civilians themselves with deadly weapons that are illegal when used in civilian centers. This is the ugly truth that is so hard for many Jewish people to face. Anyone who spends a day in Palestinian territories sees this truth immediately. Judge Goldstone, we want to offer you our deepest thanks for upholding the principles of justice, compassion and truth that are the heart of Jewish religion and without which our claims to Jewishness are empty of meaning. We regret that your findings have led to controversy and caused you not to feel welcome at your own grandson’s Bar Mitzvah. We believe your report is a clarion call to This letter is endorsed by Taanit Tzedek- Jewish Fast for Gaza , Shomer Shalom Institute for Jewish Nonviolence, Tikkun and the Shalom Center. Rabbi Lynn Gottlieb, Shomer Shalom Network for Jewish Nonviolence Rabbi Brant Rosen, Taanit Tzedek –Jewish Fast for Gaza Rabbi Brian Walt, Taanit Tzedek –Jewish Fast for Gaza Rabbi Haim Beliak Rabbi Michael Lerner, Tikkun Community Rabbi Arthur Waskow, The Shalom Center Rabbi Rebecca Alpert Rabbi Phyllis Berman Rabbi Michael Feinberg Rabbi Zev-Hayyim Feyer Rabbi Margaret Holub Rabbi Shai Gluskin Rabbi Douglas Krantz Rabbi Eyal Levinson Rabbi Mordecai Liebling Rabbi David Mivasair Rabbi David Shneyer Rabbi Laurie Zimmerman Rabbi Gershon Steinberg-Caudill Rabbi Erin Hirsh Rabbi Michael Rothbaum Rabbi Benjamin Barnett Rabbi Julie Greenberg Rabbi Linda Holtzman Rabbi Ayelet S.Cohen Rabbi Jeffrey Marker Rabbi Nina H.Mandel Rabbi Victor Reinstein Rabbi Everett Gendler Rabbi Meryl M. Crean Rabbi Sheila Weinberg Rabbi Pamela Frydman Baugh Rabbi Lewis Weiss Rabbi Shaul Magid Rabbi Stephen Booth-Nadav Rabbi Phillip Bentley Rabbi Anna Boswell-Levy Rabbi Chava Bahle This letter is supported by Taanit Tzedek- Jewish Fast for Gaza , Shomer Shalom Institute for Jewish Nonviolence, Tikkun and the If you are a rabbi and would like to add your name to this statement, send an e-mail to Rabbi Lynn Gottlieb (rabbilynn at earthlink dot net). |
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