शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

आत्माभिव्यक्ति का महिमामंडन है ब्लॉगिंग

     ब्लॉग क्या है ? यह सवाल हमारे कई शिक्षक बंधुओं ने पूछा है,वे यह भी जानना चाहते हैं कि ब्लॉग के द्वारा किस तरह की संस्कृति पैदा हो रही है,इस पर भी कुछ रोशनी ड़ाली जाए।
     ब्लॉग सार्वजनिक आत्म अभिव्यक्ति का खुला मंच है। ब्लॉग आत्म की तकनीक है। यह ऐसा मंच है जिस पर आप अभिव्यक्त करने के साथ संवाद और संपर्क भी कर सकते हैं। 
   ब्लॉग आत्माभिव्यक्ति का महिमामंडन है। यह मूलतः व्यक्तिगत संदर्भ में की गई सार्वजनिक अभिव्यक्ति है।  इसमें शैली और अंतर्वस्तु का वैविध्य है। यह डायरी का विलोम है। इसका लेखक विचारों और अनुभवों की आत्मीय अभिव्यक्ति करता है।
      ब्लॉग की दुनिया ने उन लोगों को अभिव्यक्ति का सार्वजनिक मंच दिया है जो व्यक्तिगत कष्ट और पीड़ा की अभिव्यक्ति के लिए तरस रहे थे। निजी पीड़ा की अभिव्यक्ति का यह महासमुद्र है। जो समाज सामंती सोच की सीमाओं का अतिक्रमण कर चुके हैं और सर्वसत्तावादी व्यवस्था में आ चुके हैं वहां पर आज व्यक्तिगत दर्द की अभिव्यक्ति का प्रभावशाली माध्यम है ब्लॉग। ब्लॉग लेखक किस तरह के सांस्कृतिक-राजनीतिक वातावरण में जी रहा है इसे बखूबी ब्लॉग से समझा जा सकता है।
   इंटरनेट के आने के बाद मनुष्य ने अपनी खोई अभिव्यक्ति को प्राप्त किया है। अभिव्यक्ति का सशक्तिकरण हुआ है। ब्लॉग पर जितनी सामग्री बढ़ती जाएगी मनुष्य उतना ही सशक्त होता चला जाएगा।
    ब्लॉग पर सिर्फ सूचना और विचारों का ही आदान-प्रदान नहीं होता बल्कि सामाजिक समूहों में संप्रेषण और गोलबंदी की संभावनाएं बढ़  हैं। दूसरा बढ़ा परिवर्तन यह आता है कि पाठक या नेट यूजर को ब्लॉग शिरकत करने का अवसर देता है। अभी तक निजी अनुभव में सार्वजनिक शिरकत का हमारे पास कोई मीडियम नहीं था,ब्लॉग ने इस अभाव की पूर्ति की है।
     व्यक्ति की अभिव्यक्ति का क्षेत्र सबसे जटिल क्षेत्र रहा है। इसमें विविधता,गांभीर्य और सतहीपन का मिला-जुला खेल चलता रहता है।
    हिन्दी का ब्लॉग जगत शैशवावस्था में है। शैशव का भोलाभाव यहां सहज ही देखा जा सकता है। व्यक्तिगत अनुभवों को लिपिबद्ध करने पर ज्यादा जोर है। विचार ,राजनीति, इंटरनेट तकनीक, कानून,फीचर,ज्योतिष,विज्ञान,साहित्य ,बीमारी आदि विषयों पर ब्लॉग ज्यादा लिखे जा रहे हैं। इन सब विषयों का लेखन देखकर यही कहा जा सकता है कि ब्लॉग लेखन जीवंत बेवाक् लेखन है और चुप्पी के टूटने  का प्रमाण है।  
    वैज्ञानिक यह मानते हैं कि लेखन से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है। यह बात ब्लॉग लेखकों पर भी लागू होती है। इंटरनेट ने यह संभावना पैदा की है कि आप अपने मन को सार्वजनिक तौर पर व्यक्त कर सकते हैं। यह ब्लॉग लेखक को प्रकाशित भी करता है। कल तक अधिकांश ब्लॉगर लेखक के रुप में अदृश्य थे लेकिन आज दृश्य हैं उन्हें देश-विदेश में पढ़ा जाता है। सैकड़ों अनुभव और कहानियां ब्लॉग लेखन के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में शामिल हो रहे हैं।
   इंटरनेट पर पहले ब्लॉग आया और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का व्यापक विस्फोट हुआ। अब सोशल नेटवर्किंग के जरिए साइबर सामाजिक समुदाय बन रहे हैं और अभिव्यक्त कर रहे हैं। यह एक तरह से सामाजिक शिरकत से जुड़ा पहलू है। नए युग के सार्वजनिक और व्यक्तिगत संचार के नए रुप हैं ईमेल,ब्लॉग,वेबसाइट,साइबर संवाद मंच आदि। इनके माध्यम से ही प्रधानतः संचार कर रहे हैं।
  
    
      
     

2 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा विवेचन -यह दुतरफा तत्क्षण संवाद का भी सशक्त जरिया है और अपनी धारणाओं का व्यापक अनुमोदन के तलाश का माध्यम भी !

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया विश्लेषण किया है. उम्दा आलेख.

    जवाब देंहटाएं

विशिष्ट पोस्ट

मेरा बचपन- माँ के दुख और हम

         माँ के सुख से ज्यादा मूल्यवान हैं माँ के दुख।मैंने अपनी आँखों से उन दुखों को देखा है,दुखों में उसे तिल-तिलकर गलते हुए देखा है।वे क...