आज के ‘गार्दियन’ अखबार के अनुसार फेसबुक के मालिकों पर पर्यावरण असंतुलन पैदा करने का गंभीर आरोप लगा है। खासकर ग्रीनपीस संगठन ने आरोप लगाया है कि फेकबुक वाले अपने महाकम्प्यूटरों के लिए जितनी बड़ी मात्रा में कोयले की खपत कर रहे हैं वह अपने आप में चिन्ता की बात है। वे अपने नए डाटा सेंटर को चलाने के लिए बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं और यह बिजली कोयले से पैदा होती है।
एक अनुमान के अनसार फेसबुक के नए डाटा सेंटर को चलाने के लिए सन् 2020 तक 1,963 बिलियन किलोवाट बिजली खर्च होगी। जिससे वह 50 करोड़ यूजरों की सेवा कर पाएंगे। बिजली की इतनी खपत का आंकड़ा मौजूदा समय में फ्रांस,जर्मनी, ब्राजील,कनाडा की कुल बिजली खपत का तिगुना है। क्या फेसबुक वालों पर वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत के उपयोग के लिए दबाब पैदा करने की जरूरत है ? संचार क्रांति का यह जनविरोधी चेहरा है। पूरी खबर देखें- http://www.guardian.co.uk/environment/2010/sep/01/facebook-renewable-energy-c
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