ओबामा ने अपने प्रशासन में बुश प्रशासन के युध्द समर्थक रक्षा सचिव को बरकरार रखा है। फलत: भविष्य में युध्दोन्माद से अमरीकी विदेशनीति मुक्त नहीं हो पाएगी। अफगानिस्तान में ओबामा की दिलचस्पी इसलिए है क्योंकि वहां बड़े पैमाने अफीम की खेती और तस्करी होती है। अफगानिस्तान के संदर्भ में तालिबान, अलकायदा,बिनलादेन से ज्यादा शक्तिशाली है अफीम। सैन्य,आपराधिक और आतंकी ऑपरेशनों के साथ इसका गहरा संबंध है। अफीम,आतंकवाद और सीआईए के कार्यकलापों के बीच गहरासंबंध है।
ओबामा ने कहा '' सिर्फ सत्ता के बल पर हम अपनी रक्षा नहीं कर सकते।'' इसका अर्थ है विचारधारा के धरातल अमरीकी की ओर से भविष्य में नया हमला आने वाला है ? ओबामा ने वायदा किया है इराक के लोगों के हाथों जिम्मेदारी सौंपकर आना चाहते हैं। किंतु अफगानिस्तान के बारे में यह वायदा नहीं किया है।
अफगानिस्तान में अमरीका शांति चाहता है किंतु स्वयं बने रहना चाहता है। साथ ही पाकिस्तान सहयोगी बना रहे।
ओबामा को 'अमरीकी जीवनशैली' पर गर्व है। उल्लेखनीय है 'अमरीकी जीवनशैली' अमरीका के साथ सारी दुनिया के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है। अमरीका ने अपनी जीवनशैली में बदलाव नहीं किया तो संकट से बाहर आने में काफी तकलीफें होंगी। ओबामा ने मुस्लिम देशों के साथ 'साझा हित और समान सम्मान' के साथ संबंध बनाने की बात कही है।
मुस्लिम देशों के साथ वैषम्यपूर्ण संबंधों का स्रोत अमरीका की मध्यपूर्व नीति है। मुस्लिम देशों ने कभी साझा हित और समान सम्मान को अस्वीकार नहीं किया बल्कि अमरीका ने ही असंतुलन पैदा किया है। इजरायल की विस्तारवादी मंशाओं को हवा देने और फिलीस्तीनियों के खिलाफ जुल्म ढ़ाने
में मदद की है। इराक और अफगानिस्तान से अमरीकी सेनाओं की वापसी ,फिलीस्तीनियों के लिए संप्रभु राष्ट्र की घोषणा और इजरायल के कब्जे से फिलीस्तीनियों की जमीन को खाली कराए बिना मध्यपूर्व में शांति नहीं लौटेगी। इसके अलावा विदेशों में विस्थापित की तरह रह रहे चालीस लाख फिलीस्तीनी वापस घर लौटें। इजरायली जेलों में बंद हजारों निर्दोष फिलीस्तीनियों को रिहा किया जाए। इराक,अफगानिस्तान और फिलीस्तीन के युध्दापराधियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई हो। जब तक ऐसा नहीं होता मुस्लिम देशों के साथ साझा हित और समान सम्मान की बातें बोगस हैं। बल्कि कूटनीतिक भाषा में ओबामा ने मुस्लिम देशों को 'साझा हित समान सम्मान' के बहाने धमकी दी है। इसमें अप्रत्यक्ष संदेश है कि मुस्लिम देश फिलीस्तीन,इराक,अफगानिस्तान को भूल जाएं।
में मदद की है। इराक और अफगानिस्तान से अमरीकी सेनाओं की वापसी ,फिलीस्तीनियों के लिए संप्रभु राष्ट्र की घोषणा और इजरायल के कब्जे से फिलीस्तीनियों की जमीन को खाली कराए बिना मध्यपूर्व में शांति नहीं लौटेगी। इसके अलावा विदेशों में विस्थापित की तरह रह रहे चालीस लाख फिलीस्तीनी वापस घर लौटें। इजरायली जेलों में बंद हजारों निर्दोष फिलीस्तीनियों को रिहा किया जाए। इराक,अफगानिस्तान और फिलीस्तीन के युध्दापराधियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई हो। जब तक ऐसा नहीं होता मुस्लिम देशों के साथ साझा हित और समान सम्मान की बातें बोगस हैं। बल्कि कूटनीतिक भाषा में ओबामा ने मुस्लिम देशों को 'साझा हित समान सम्मान' के बहाने धमकी दी है। इसमें अप्रत्यक्ष संदेश है कि मुस्लिम देश फिलीस्तीन,इराक,अफगानिस्तान को भूल जाएं।
ओबामा के सत्ता संभालते ही कुछ परिवर्तन नजर आ रहे हैं। सीनेट की अध्यक्षा ने कहा कि इराक युध्द के संदर्भ में गलती करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी। गुआनतामाओ जेल में बंद कैदियों के खिलाफ अदालती कार्रवाई राष्ट्रपति के आदेश से स्थगित कर दी गई है। ईरान के साथ बिनार् शत्त के बातचीत करने के बारे में ओबामा ने कहा है। कई जनप्रिय आदेश भी दिए गए हैं।
मसलन् ओबामा प्रशासन ने आर्थिकमंदी से उबरने के लिए 825 बिलियन डालर का विशेष सहायता आर्थिक पैकज घोषित किया है। इस पैकेज में 142 बिलियन डालर स्कूली शिक्षा पर खर्च होंगे। यह राशि आगामी दो वर्षों में मुहैयया करायी जाएगी। स्कूलों के लिए मुहैयया करायी गयी राशि स्वास्थ्य ,ऊर्जा और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होने वाली राशि से ज्यादा है। इस घोषणा के बाद कोई भी बच्चा स्कूली शिक्षा के दायरे के बाहर नहीं रह पाएगा।
ओबामा प्रशासन ने अपने भावी कार्यभारों का जो दस्तावेज तैयार किया है। उसमें अन्य चीजों के अलावा परमाणु खतरे को सबसे बड़ा खतरा बताया है। यह भी कहा है अमरीकी जनता के लिए सबसे गंभीर खतरा है परमाणु हथियरों का आतंकवादियों के हाथों पड़ जाना। आतंकियों के हाथों परमाणु सामग्री न पड़े इसके लिए तय किया है कि आगामी चार सालों में असुरक्षित परमाणु सामग्री को जब्त किया जाएगा। साथ ही परमाणु अस्त्रों के प्रयोग और परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने के बारे में भी सुझाव दिए हैं।
गार्जियन (23 जनवरी 2009) के अनुसार ओबामा ने पहले दिन सीआईए के गुप्त यातना शिविरों को तुरंत बंद करने के आदेश दिए। इन शिविरों में आतंक के खिलाफ जंग के नाम पर सारी दुनिया से कैद करके निर्दोष नागरिकों को बंदी बनाकर रखा जाता था और पूछताछ के नाम पर तरह-तरह की यातनाएं दी जाती थीं। इन शिविरों का अलकायदा के खिलाफ कार्रवाई के आदर्श केन्द्र के रूप में बुश प्रशासन ने निर्माण किया था।
ओबामा प्रशासन ने दूसरी महत्वपूर्ण घोषणा यह की है कि 11 सितम्बर 2001 के बाद से अमरीका के न्याय विभाग ने जो उत्पीडन,सजा,कैद आदि के बारे में जितने भी नियम बनाए हैं उन्हें ओबामा प्रशासन नहीं मानेगा। सभी बंदियों का रजिस्ट्रेशन अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस सोसायटी के माध्यम से किया जाएगा। जेनेवा कन्वेंशन का पालन किया जाएगा। इस कदम से सारी दुनिया में अमरीका को नैतिक साहस के साथ खड़े होने का अवसर मिलेगा। प्रशासनिक आदेश के जरिए एक साल के अंदर गुआनतानामा के बंदीघर को बंद करने का आदेश भी दिया है। इस जेल में बंदी कैदियों पर आम अदालतों में मुकदमा चलाया जाए इसके लिए एक कमेटी बनायी गयी है। इन कैदियों के मुकदमों का फैसला 30 दिन के अंदर करना होगा। सीआईए को कहा गया है कि वह जांच-पड़ताल के लिए सेना के मेनुअल का पालन करे।
ओबामा की जीत शालीनता,विविधता और सहिष्णुता की प्रतीकात्मक अभिव्यंजना है। ओबामा के चुनाव में जितने उत्साह से साधारण लोगों ने वोट किया और जिस उत्साह के साथ शपथग्रहण समारोह में लाखों लोग हाजिर हुए उसने ओबामा के प्रति आशा और आकांक्षाओं को नई ऊँचाईयां प्रदान की है। ओबामा के द्वारा शपथ ग्रहण समारोह पर दिया गया भाषण अमरीकी जनता को एकजुट करेगा। किंतु सारी दुनिया में व्यापक विचारधारात्मक विभाजन पैदा करेगा।
ओबामा को मालूम है अमरीकी जनता के सामने टैक्स और मौत के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है अत: उनसे आम जनता को ज्यादा उम्मीदें हैं। इन उम्मीदों को साकार करने में बृहत्तर राजनीतिक मोर्चे की बड़ी भूमिका है। बुश प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर अमरीकी प्रशासन में पारदर्शिता को पूरी तरह खत्म कर दिया था। जिन क्षेत्रों पर सुरक्षा संबंधी दायित्व है वहां पर पारदर्शिता समझ में आती है किंतु जहां पर सुरक्षा दांव पर नहीं लगी है वहां पर पारदर्शिता की जरूरत है। नाइन इलेवन की घटना के बाद अमरीकी प्रशासन ने प्रत्येक क्षेत्र में गोपनीयता और जासूसी आरंभ कर दी थी। आम अमरीकी नागरिक के ऊपर ईर्निश निगरानी चल रही थी। पहले के उपलब्ध प्राइवेसी और मानवाधिकारों को सीमित करके नए कानून बनाए गए। इसके कारण प्रत्येक नागरिक संदेह के घेरे में था। बुश प्रशासन के अलावा सबकी देशभक्ति संदेह के घेरे में थी। इसके कारण बुश का शासन दागी और बदनाम हो गया। कारपोरेट भ्रष्टाचार के दुनिया के सर्वोच्च काले कारनामे इसी दौर में हुए। इराक के भ्रष्टाचार से लेकर एनरॉन तक का भ्रष्टाचार अमरीका के इतिहास के सभी दायरे पार कर चुका है। देखना है नया प्रशासन अमरीका में व्याप्त भयानक कारपोरेट भ्रष्टाचार के प्रति क्या रवैयया अपनाता है। कारपोरेट अपराध और कारपोरेट भ्रष्टाचार को लेकर ओबामा ने न तो चुनाव प्रचार के दौरान कुछ कहर और न शपथग्रहण के मौके पर कुछ कहा। मौजूदा आर्थिकमंदी का कारपोरेट भ्रष्टाचार के साथ गहरा संबंध है। इसकी गंभीरता के साथ जांच की जानी चाहिए।
ओबामा के पीछे साझा मोर्चा काम कर रहा है। इस मोर्चे को यदि सही दिशा नहीं दे पाते तो यह उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक पराजय होगी। साझा मोर्चे को ख्याल में रखकर ही ओबामा ने कहा अमरीका विभिन्न धर्मों के मानने वालों और नास्तिकों का देश है। लिंकन की बाइबिल, लिंकन का स्मारक, और लिंकन के भावबोध पर ओबामा का जोर देना मूलत' साझा मोर्चे को विचारधारात्मक तौर पर बांधे रखने की कोशिश है।
ओबामा जब बोल रहे थे तो पिछले राष्ट्रपति को सबसे कठोरतम शब्दों में विदाई दे रहे थे। ओबामा ने कहा कि कई पीढ़ियों का आर्थिक संकट और विदेशों में खराब हुई इमेज को दुरूस्त करने के लिए अमरीकी जनता एकजुट हो। 'हम दोबारा नेतृत्व के लिए तैयार हैं।'
ओबामा के भाषण में निहित 'आशा' और 'परिवर्तन' के मंत्र की मार्केटिंग रणनीति का सबसे अच्छा परिणाम कहा जा सकता है। ओबामा मार्का वस्तुओं का बाजार में छा जाना। दारू की बोतल से लेकर टी शर्ट तक दैनिक उपभोग में आने वाली प्रत्येक वस्तु ओबामा की छाप के साथ बिक रही है। यह ओबामा की 'आशा' और 'परिवर्तन' की मार्केटिंग रणनीति की सफलता है। इससे वोट जुटाने में मदद मिली ,दूसरी ओर अमरीका के ठंडे बाजार को गर्म करने में भी मदद मिल रही है।
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