सोमवार, 2 अगस्त 2010

आतंकवाद और अमेरिकी खेल

      आतंकवाद राजनीतिक फिनोमिना है।इसका एक आयाम राज्य आतंकवाद है।आमतौर पर राज्य आतंकवाद के संदर्भ में अमरीकी आतकवाद की भूमिका की अनदेखी होती है। अमरीकी आतंकवाद महज राजनीतिक हिंसाचार नहीं है अपितु आतंकवाद का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संगठनकर्त्ता है।यह साम्राज्यवादी हितों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हितों का विस्तार भी है।यह भी कह सकते हैं कि द्वितीय विश्व युद्धोत्तर दौर में आतंकवाद का साम्राज्यवाद के हितों के विस्तार के लिए संगठित ढ़ंग से विकास किया गया और इस कार्य को अमरीका,सीआईए और पेंटागन के जरिए विश्वव्यापी फिनोमिना के तौर पर फैलाया गया।इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में अपराधी गिरोहों,भाड़े के सैनिकों के सैन्य दलों का गठन किया गया।इन कार्यों के लिए अमरीकी सरकार ने पर्याप्त मात्रा मे धन,सैन्य सामग्री और प्रचार माध्यमों की सहायता मुहैयया कराई।साथ ही खुल्लमखुल्ला राजनीतिकसमर्थन भी प्रदान किया और तमाम किस्म के हत्यारों को अपने देश में शरण दी। इस कार्य में राजनीतिक मुद्दे,मकसद और मदद सुनिश्चित करने में अमरीका के विदेश विभाग और विदेश नीति का गहरा हाथ रहा है। 

अमरीकी आतंकवाद के विभिन्न पहलुओं का विश्वव्यापी रहस्योद्धाटन करने में नॉम चोमस्की की अग्रणी भूमिका रही है।हाल ही में 11सितम्बर और उसके बाद के घटनाक्रम पर सबसे ज्यादा सुसंगत ढ़ंग से उन्होंने प्रकाश ड़ाला है।चोमस्की के विचारों में अमरीकी प्रशासन की समग्र नीतियों के प्रति आलोचनात्मक दृष्टिकोण व्यक्त हुआ है।वह विश्व के प्रति अमरीका के समग्र नजरिए की आलोचना करते हुए विकल्प के प्रस्तावों को सामने लाते हैं। 

चोमस्की ने 17 फरवरी के न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित एक लेख के जबाव में 19फरवरी2002 को जेड नेट वेबसाइट को दिए अपने एक साक्षात्कार में कहा कि 11 सितम्बर को अमरीका में आतंकी हमले के बाद बहुराष्ट्रीय प्रचार माध्यमों ने जिस तरह एकायामी ढ़ंग से अमरीकी सरकार के भोंपू का कार्य किया उससे आतंकवाद के बारे में सही समझ बनने की बजाए भ्रम की सृष्टि ज्यादा हुई। मसलन् यह कहा गया कि 11 सितम्बर के हमले के पीछे लादेन का हाथ था। यदि यह सच भी हो तब भी हमें यह जानना चाहिए कि उसके क्या कारण थे ?इससे गरीबों और असहाय लोगों को तो कोई मदद मिलने से रही।यहां तक कि फिलिस्तीनियों को भी इससे कोई मदद मिलने से रही।यदि लादेन ने इसकी योजना बनाई थी तो उसका लक्ष्य क्या था ? इसके जबाव में चोमस्की ने कहा कि हमें इसके प्रति सतर्क होकर सोचना चाहिए। 

रॉबर्ट फिस्क के अनुसार (जिसने लादेन के कई लंबे-लंबे साक्षात्कार लिए थे)इस क्षेत्र की जनता में फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजराइली हिंसाचार और उत्पीड़न को अमरीका द्वारा दिए गए समर्थन के खिलाफ गुस्सा था साथ ही इराक के खिलाफ आर्थिक पाबंदी के नाम पर जो तबाही मचाई गई उसके कारण अमरीका के खिलाफ तीव्र गुस्सा था।इस सबको लादेन महसूस न करता हो इसमें संदेह है। 

अनेक लोग यह भी मानते हैं कि अफगानिस्तान की गुफाओं में रहने वाले लादेन में 11सितम्बर जैसे सुव्यवस्थित और उच्च तकनीकी संपन्न हमला करने की क्षमता नहीं हो सकती।किन्तु उसके नेटवर्क का इसमें हाथ हो सकता है।वह अपने अनुयायियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहा है।इसके बावजूद याद रखें कि इस नेटवर्क का ढ़ांचा विकेन्द्रित रहा है।इसका गैर हायरार्कीकल ढांचा है।इनमें सीमित स्तर पर संचार संबंध हैं।चोमस्की ने कहा कि जब विन लादेन यह कहता है कि उसे 11सितम्बर की घटना के बारे में कुछ भी नहीं मालूम तो संभवत: वह सच बोल रहा हो। क्योंकि वह वाचाल है यदि उसने इस आपरेशन की अनुमति दी होती तो वह जोर-जोर से इसकी घोषणा भी करता। 

चोमस्की ने कहा कि इन सब बातों को छोड़ भी दें तब भी हमे यह ध्यान रखना होगा कि विन लादेन क्या चाहता है इसे लेकर उसका इरादा एकदम साफ है।यह बात वह किसी पश्चिमी से बात करते समय ही ध्यान में नहीं रखता अपितु किसी अरब से बात करते समय भी ध्यान में रखता है।आम लोगों में प्रसारित उसके कैसेट बताते हैं कि वह पश्चिम को बताना चाहता है कि सऊदी अरब और इस क्षेत्र के भ्रष्ट और जुल्मी शासनों के खिलाफ उसके अंदर जबर्दस्त गुस्सा है।इनमें से कोई भी सच्चा ''इस्लामिक''नहीं है। वह और उसका नेटवर्क मुसलमानों का गैर मुसलमानों के खिलाफ समर्थन करता रहा है।चेचेन्या,बोसनिया,श्मीर,पश्चिमी चीन,दक्षिण-पूर्व एशिया,उत्तरी अफ्रीका आदि स्थानों पर वह मुसलमानों का समर्थन करता रहा है।उन्हें मुस्लिम अफगानिस्तान से सोवियत संघ (उनके अनुसार यूरोपीय)को खदेड़ देने और युध्द जीतने का मौका मिला।वे अमरीका को सऊदी अरब से निकाल बाहर करने के प्रति और भी ज्यादा उत्साही थे।इससे भी बड़ी बात यह कि वे सऊदी अरब एक पवित्र देश है और इससे अमरीका को बाहर किया जाए।साथ ही वे सऊदी अरब के बर्बर, भ्रष्ट और गिरोहवाज शासकों को उखाड़ देना चाहता था।यह भी सच है कि लादेन के अपराध इस क्षेत्र के गरीबों और सबसे ज्यादा शोषितों के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदेह हैं।उसका ताजा हमला फिलिस्तीनियों के लिए सबसे क्षतिकारक है।लेकिन दूर से देखने पर ऐसा नहीं लगता। जो साहस के साथ उत्पीड़को के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं उन्हें यह वास्तव में हीरो लगता होगा। किंतु बहुसंख्यक गरीबों के लिए उसके एक्शन क्षतिकारक हैं।यदि अमरीका उसको मारने में सफल हो जाता है तब वह और भी बड़ा शहीद हो जाएगा और उसके कैसेट और भी ज्यादा सुनाई देंगे।वह प्रतीक है।वस्तुगत शक्ति है।खासकर अमेरिका और इस क्षेत्र की बहुसंख्यक जनता के लिए। 

प्रत्येक दृष्टि से वह जो कह रहा है उस पर ध्यान देना चाहिए।इसके अपराध सीआई के लिए शायद आश्चर्यजनक हों।क्योंकि इस्लामिक तत्ववादियों को संगठित करने और हथियारबंद करने में अमेरिका-मिस्र-फ्रांस-पाकिस्तान की सक्रिय भूमिका रही है। 





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