अफगानिस्तान के तालिबान आतंकी गिरोह ने अमेरिका से लड़ने के लिए बंदरों को आतंकी प्रशिक्षण देना आरंभ कर दिया है। इस तरह की रिपोर्ट चीन,अमेरिका और ब्रिटिश मीडिया में छपी हैं। कुछ पत्रकारों ने बंदरों की एके 47 के साथ तस्वीरें भी खींची हैं। तालिबान के आतंकी बंदरों को पाक-अफगान सीमा पर वजीरिस्तान पर लगाया गया है। अमेरिकी सैन्य अधिकारी इन्हें आतंकी बंदर के नाम से पुकारते हैं।
बंदर को ढाल की तरह इस्तेमाल करते हुए तालिबान दो लक्ष्य हासिल करना चाहता है, पहला , अमेरिकी सैनिकों पर हमला, दूसरा, पश्चिम की पशु प्रेमी जनता को अमेरिका के खिलाफ भड़काना चाहता है ,तालिबान बताना चाहता है कि अमेरिकी के द्वारा निर्दोष पशुओं का वध किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है सीआईए ने 1960 और 1970 के दशक में बड़े पैमाने पर वियतनाम युद्ध के समय बंदरसैनिकों को प्रशिक्षित करके तैयार किया था। इनके जरिए वियतनाम के बीहड़ जंगलों में छिपे वियतनामी सैनिकों को निशाना बनाया गया था। तालिबान ने बंदरों को सैनिक बनाने की कला अमेरिका से ही सीखी है और अब उन्हीं पर इसका प्रयोग कर रहा है। यह तो मियां की जूती मियां के सिर वाली कहावत को सच करने वाली खबर है। यह खबर सबसे पहले चीन के अखबार पीपुल्स डेली ने हाल ही में छापी थी।
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