विगत पच्चीस वर्षों में जिस तरह कम्प्यूटर नेटवर्क का प्रसार हुआ है उसके कारण कम्प्यूटर और स्त्री के अन्तस्संबंध से जुड़े सवालों ध्यान गया है। इस प्रसंग में मुख्य सवाल यह है कि कम्प्यूटर साइंस और नेटवर्किंग में औरतों की हिस्सेदारी का स्वरूप क्या है ? सामाजिक संपर्क में स्त्री की क्या भूमिका है ? पोर्नोग्राफी में स्त्री की क्या भूमिका है ?
सामान्यत: कम्प्यूटर साइंस के नेटवर्क से औरतों का अच्छा-खासा हिस्सा जुड़ा है। किन्तु शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी कम लड़कियां कम्प्यूटर साइंस पढ़ रही हैं। कम्प्यूटर नेटवर्क के कामकाज में लगी औरतों को आए दिन अनेक किस्म के शारीरिक उत्पीड़न और परेशानियों से गुजरना पड़ता है। खासकर सेक्सुअल उत्पीडन उसमें प्रमुख है।
इंटरनेट ने सामाजिक संपर्क और संबंध की एक नई दुनिया का उद्धाटन किया है। इससे कम्प्यूटिंग में भी मूलगामी बदलाव पैदा किया है , शिक्षा और सामाजिक संपर्क में मूलगामी परिवर्तनों की शुरूआत की है।
अमेरिका में जहां सूचना क्रांति का श्रीगणेश हुआ,वहां पर कम्प्यूटर साइंस पढ़ने वालों में लड़कियों की संख्या नगण्य है। जेनेट कॉटरेल के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में 97 फीसदी फैकल्टी सदस्य (कम्प्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग) मर्द हैं। दो-तिहाई विभाग ऐसे हैं जहां एक भी औरत काम नहीं करती। अमेरिकी समाज में इस तरह के आंकड़े चौंकाने वाली बात नहीं है। बल्कि यह स्वाभाविक लगता है खासकर बच्चों में खिलौनों के प्रयोग के पीछे छिपे लिंगभेद को देखें तो बात समझ में आ जाएगी।
अमेरिका में लड़कों में गणित के खिलौने और लड़कियों में बारवी डॉल का चलन है। इसके कारण बच्चों की मानसिकता बनाने में बड़े पैमाने पर मदद मिली है। वीडियोगेम और शिक्षा संबंधी सॉफ्टवेयर में आक्रामक खिलौनों जैसे बंदूक, मशीनगन, सैटेलाइट,मिसाइल,स्पेशशिप आदि को लड़कियां पसंद नहीं करतीं।
लड़कियां कम्प्यूटर के एयरकंडिशंन लॉकरनुमा बंद कमरे का माहौल देखकर भी इस पेशे को नहीं अपनातीं। क्योंकि लॉकरनुमा बंद कमरा मूलत: मर्दवादी प्रकृति को व्यक्त करता है। यही वजह है कि कम्प्यूटर साइंस के माहौल को औरतों के स्वागतयोग्य बनाने,अनुकूल बनाने, स्त्री के लिए शारीरिक तौर पर सुरक्षित बनाने, कम्प्यूटर वाले कमरे में या स्क्रीन पर पोर्न के दृश्यों को न लगाने,औरतों के प्रशिक्षण की अलग से व्यवस्था करने पर खास तौर पर ध्यान देने की जरूरत है।
कम्प्यूटराइज संपर्क खासकर चित्रमय संपर्क बेहद खतरनाक है। इसका कभी भी दुरूपयोग हो सकता है। शिक्षा के मकसद से किया गया संपर्क जिसमें पाठ की भूमिका हो वह उपयोगी है। किन्तु चित्र के माध्यम से किया गया संपर्क कभी भी खतरा पैदा कर सकता है।
कम्प्यूटर और इंटरनेट में पोर्न का इस्तेमाल नैतिक रूप से सही है या गलत है,यह सवाल अभी तक हल नहीं हो पाया है। पोर्न का अबाध प्रसारण जारी है। यह जानते हुए भी कि पोर्न सामाजिक तौर पर और खासकर स्त्री के लिए घातक है,सारी दुनिया के देश इसका प्रसारण कर रहे हैं। पोर्न क्या है ? क्या पोर्न समाज के लिए घातक है ? पोर्न के संदर्भ में अभिव्यक्ति की आजादी और सेंसरशिप का अर्थ क्या है ? कम्प्यूटर पोर्नोग्राफी,कामुक उत्पीडन, कामुक हिंसाचार के बीच किस तरह का संबंध होता है ? इत्यादि सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं।
औरतों के संदर्भ में इतनी परेशानियों के बावजूद औरतें बड़ी तादाद में कम्प्यूटर और इंटरनेट का प्रयोग कर रही हैं। क्योंकि यह तकनीक मूलत: औरतों के अनुकूल माहौल बनाती है। आज औरतों के लिए सबसे अच्छे संसाधन नेट पर उपलब्ध हैं। औरतों की समस्याओं पर काम करने वाले संगठनों की सामग्री और संपर्क उपलब्ध हैं। इसके कारण महिला सशक्तिकरण की दिशा में समाज आगे गया है। जरूरत इस बात की है कि औरतों को ज्यादा से ज्यादा नेट का उपयोग करना सिखाया जाए। यह सच है कि अभी भी नेट का पूरा माहौल मर्दवादी है,किन्तु यह स्थिति बदलनी चाहिए,इसके लिए स्त्रियों को आगे आना होगा, समाज के बाकी हिस्सों को उनमें साहस का संचार करना होगा।
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