शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

जय आजतक ! जय ऑक्टोपस ! जय तोता ! जय बैल !

      इन दिनों सारी दुनिया फुटबाल के नशे में डूबी है। कई अरब लोग एक साथ लाइव मैच देख रहे हैं। ऐसे में दुनिया में अधविश्वास उद्योग चलाने वाले कारपोरेट घराने चांस खोना नहीं चाहते। उन्होंने फुटबाल की जनप्रियता के साथ अंधविश्वास का घालमेल करके अंधविश्वास को नई बुलंदियों पर पहुँचा दिया है।
      टीवी चैनलों में ऑक्टोपस की फुटबाल भविष्यवाणी को लेकर विशेष कार्यक्रम दिखाए जा रहे हैं। ऑक्टोपस की सही भविष्यवाणियों का इतिहास बताया जा रहा है और कहा जा रहा है ऑक्टोपस में भविष्य बताने की क्षमता होती है। यह तो वैसे ही हुआ जैसे भारत के छोटे शहरों में सड़क किनारे बैठे हुए ज्योतिषी तोते के जरिए और जोगी -संयासी बैल के जरिए सड़कों पर मज़मा लगाकर भविष्यवाणियां करते हैं।
     आजतक वालों ने बताया कि ऑक्टोपस में भविष्यवाणी की क्षमता है। यदि ऐसा है तो मानना पड़ेगा जीव-जन्तुओं से मनुष्य अभी बहुत पीछे है। भारत के ज्योतिषियों को अपने फलादेश संबंधी पिछड़ेपन का भी इससे एहसास हुआ होगा। भारत के किसी ज्योतिषी ने फुटबाल में जर्मनी की पराजय की भविष्यवाणी ऑक्टोपस से पहले क्यों नहीं की ? शर्म और लज्जा की बात है हमारे तोता और बैल ज्योतिषी यह काम नहीं कर पाए जो ऑक्टोपस ने कर दिखाया।
      धन्य हैं आजतक टीवी चैनल वाले जिन्हें ऑक्टोपस की भविष्यवाणी पर पूरा कार्यक्रम बनाने की इच्छा हुई। यह आजतक के ज्योतिष प्रेम और अंधविश्वासों में गहरी आस्था का सुंदर प्रमाण है। इससे हम पक्के हिन्दू लग रहे हैं। हम चाहेंगे कि आजतक वाले भारत के तोता और बैलों के भविष्यकथन पर भी ऐसे ही सुंदर कार्यक्रम नियमित और बारी-बारी से रियलिटी टीवी शो के रूप दिखाएंगे। हम वादा करते हैं प्रायोजकों की कमी नहीं होगी। देश के सभी ज्योतिषी उनके लिए प्रयास करेंगे। तोता और बैल को टीवी पर लाइव प्रसारण के लिए लाने से अभागे लोगों का बड़ा भला होगा। वे अपना भविष्य जान सकेंगे  ? हम तोता और बैल ज्योतिषी से पूछेंगे कि आजतक चैनल दुनिया का सबसे ज्यादा देखे जाने वाला चैनल कब बनेगा ? जय ऑक्टोपस,जय तोता, जय बैल।



10 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  7. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  8. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  9. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  10. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

विशिष्ट पोस्ट

मेरा बचपन- माँ के दुख और हम

         माँ के सुख से ज्यादा मूल्यवान हैं माँ के दुख।मैंने अपनी आँखों से उन दुखों को देखा है,दुखों में उसे तिल-तिलकर गलते हुए देखा है।वे क...