मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

फेसबुक पर गालियों पर ऐसे चली बहस

 जगदीश्वर चतुर्वेदी-आम तौर पर हिन्दी में पढ़े लिखे लोग गालियों का खूब प्रयोग करते हैं। हम उसे तरह-तरह से वैध बनाने की कोशिश भी करते हैं। लेकिन कायदे से हमें अश्लील भाषा के खिलाफ दृढ़ और अनवरत संघर्ष आरंभ करना चाहिए। यह काम सौंदर्यबोध के साथ शैक्षिक दृष्टि से भी जरूरी है।इससे हम भावी पीढ़ी को बचा सकेंगे। आपकी क्या राय है ।
9 hours ago ·  · 
    • Deepak Bajpai bilkul sahi kaha. pryas to aaj say hi karna chiya.
      9 hours ago · 
    • Jagadishwar Chaturvedi देखिए हमें इन सवालों पर खुली बहस चलानी चाहिए। बगैर बहस के गालियां पीछा नहीं छोड़ने वालीं।
      9 hours ago · 
    • Deepak Bajpai par bahas hi galiyo ki vajah hai. isliya apnay app ko sudarna hoga. har vykti ko ya baat socni chiya.
      9 hours ago · 
    • Jagadishwar Chaturvedi बहस करके करो यह काम। बहस से दिमाग की विभिन्न परतों की धुलाई करने की जरूरत है।
      9 hours ago ·  ·  1 person
    • Deepak Bajpai sahi baat khi apnay.
      9 hours ago · 
    • Jagadishwar Chaturvedi एक बात और वह यह कि गालियां मिथ्या साहस की अभिव्यक्ति हैं।
      9 hours ago ·  ·  3 people
    • Ajay Gathala baat sahi hai...vaise angrezi mein apshabdon ka prayog hindi se jyada hota hai(bolchal mein)
      9 hours ago via Facebook Mobile · 
    • Jagadishwar Chaturvedi गाली एक सस्ती,घृणित और नीच अश्लीलता है।
      9 hours ago ·  ·  1 person
    • Abinash 'Kafir' Mishra आपके इस बात से मैं पूर्णत; सहमत हूँ।
      9 hours ago via Facebook Mobile · 
    • Jai Prakash Pathak नमस्कार!
      गालियाँ हिन्दी वाले भी देते हैं और अंग्रेजी वालेभी . काश हमारे नौजवान भाषा संस्कार कापालन करते और अपने प्रिय मित्रों को प्रिय संबोधन करते. नमस्कार.
      9 hours ago · 
    • Vijay Sharma 
      भाषा बहुत जटिल पद्धति से हमारे पास आती है। इसमें पाठ्यपुस्तक-स्कूल -कॉलेज का योगदान कुछ खास नहीं,उलटे यह भाषा को नुकसान ही पहुंचाती है।किसी शब्द का कोई पर्यायवाची नहीं हो सकता,इसी लिये अंग्रेजी में सिनॉनमस कहते हैं। जो जिस शब्दावली दे परिचि...See More
      8 hours ago ·  ·  2 people
    • Jagadishwar Chaturvedi विजय जी,गालियां देकर और लिखकर आपने ठीक नहीं किया।
      8 hours ago · 
    • Jaikumar Jha गाली एक विरोध के भावना को दर्शाता है जो भ्रष्ट मंत्रियों और कुकर्मी उद्योगपतियों के खिलाप हर घर के दरवाजे पे आज लिखे जाने की जरूरत है.......जैसे रतन टाटा हरामी तथा इस देश व समाज का गद्दार है.....शरद पवार जैसा कुत्ता एक सौ हरामी के मरने के बाद पैदा होता है....ऐ रजा जैसे साले हरामियों को सरे आम फांसी दिया जाना चाहिए.....
      8 hours ago ·  ·  1 person
    • Abinash 'Kafir' Mishra ‎@झा जी: गाली कमजोरों का अप्रभावी अस्त्र है। अगर आप हार चुके हैं तो अपनी संतुष्टि के लिये इसका प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन यह समस्या का समाधान नहीं कर सकता है वर्‌न बढाने के।
      8 hours ago via Facebook Mobile ·  ·  1 person
    • Abinash 'Kafir' Mishra बुद्धिजीवियों के लिये गाली का प्रयोग करना उनके अधूरे ज्ञान को दर्शाता है।
      8 hours ago via Facebook Mobile ·  ·  1 person
    • Vijay Sharma जयकुमार जी मैं ऐसी गालियों के पक्ष में नहीं हूं,जगदीश्वर जी से ज्यादा मुत्तासिर हूं। मैंने तो रसभरी,खिलवाड़ी,कर्णप्रिय,काव्यात्मक कूट भाषा के बारे में लिखा है। जगदीश्वर जी ,आप मुझे टपोरी भाषा का समर्थक न मानें,। यह तो लेखक की कमजोरी दिखाती है। मैं गुलेरी जी ,बिज्जी की भाषा सामर्थ्य का कायल हूं।
      8 hours ago ·  ·  1 person
    • Jaikumar Jha 
      ‎@Abinash 'Kafir' Mishra जी
      मैं भारत का आम नागरिक हूँ और ईमानदारी तथा इंसानियत की भयंकर बीमारी से पीड़ित भी हूँ.......और भारत में मेरे जैसा व्यक्ति कभी मजबूत और कामयाब नहीं रहा ...इस देश में हमेशा गद्दार,चोर,उचक्के और गिरगिट की तरह रंग बदलने...See More
      8 hours ago ·  ·  1 person
    • Parshuram Tiwari मैं जगदीश्वर जी से सहमत हूँ ...!
      8 hours ago · 
    • Jagadishwar Chaturvedi विजय जी की बहसशैली मुझे अपील करती है। वे सुलझे बुद्धिजीवी भी हैं। मैं एक अन्य पहलू की ओर ध्यान दिलाना चाहता हूँ गालियां महज यांत्रिक आघात नहीं करतीं। इनसे न तो सेक्सी बिम्ब उभरते हैं और न कामुक अनुभूतियां ही पैदा होती हैं।
      7 hours ago ·  ·  1 person
    • Jagadishwar Chaturvedi सेक्सी गालियां हमारी अरूचिकर और अस्वास्थ्यकर संवेदनशीलता की अभिव्यक्ति हैं।
      7 hours ago ·  ·  2 people
    • Parshuram Tiwari गलियां असभ्यता की निशानी हैं ...!
      7 hours ago ·  ·  1 person
    • Uttamrao Kshirsagar गालि‍यॉं स्‍वीकार्य नहीं होती...गालि‍यों से भाषा समृद्ध नहीं होती....
      7 hours ago ·  ·  1 person
    • Jagadishwar Chaturvedi गाली हमारी चेतना में बैठी आदिमचेतना की अभिव्यक्ति हैं।ये औरतों के लिए अपमानजनक हैं और बच्चों के लिए हानिकारक।भाषा में गालियों के महत्व का खत्म हो जाना इस बात का संकेत है कि गालियां सभ्यता के दायरे के परे हैं।
      7 hours ago · 
    • Jagadishwar Chaturvedi बंधुवर, अश्लील गालियां, अश्लील मजाक के जरिए परपीड़न होता है।गंदे किस्से,चुटकुले,चालू अश्लील शब्द मानवीयसौंदर्य की गरिमा को कम करते हैं।
      7 hours ago ·  ·  1 person
    • Ashok Kumar Pandey बिल्कुल ठीक बात है। सारी गालियाँ दलित और स्त्रियों के ख़िलाफ़ हैं।
      7 hours ago ·  ·  2 people
    • Vijay Sharma साथियों 'गाली' से मेरा आशय उसने कहा था कि शुरुआत से है,बिज्जी के गद्य से है,या फिर कृशनचंदर के आधे घंटे का खुदा से है। ये रामगोपाल वर्मा-सौरभ शुक्ला वाली बम्बईय्या फिल्मी गाली तो कोई भाषा ही नहीं है। कमसकम गुरुदत्त की शुरुआती या अबरार अल्वी की बात करें। बंगला में इसे कांचा(कच्ची) 'खिश्ती' कहते है। यह तो जबान पे आ जाये तो मुंह फिनाईल से धोना चाहिये-फिर उबला नीम हलक में उतारना चाहिये,फिर बालू की रोट बना कर खाकर सोयें ,दूसरे दिन शायद शरीर स्वच्छ हो..
      7 hours ago ·  ·  1 person
    • Jagadishwar Chaturvedi अशोक जी, मानव इतिहास आदिम शरीरक्रियात्मक मानकों को कूड़े के ढ़ेर पर फेंक चुका है। लेकिन अभी भी हमारे अनेक मित्र गालियों की हिमायत कर रहे हैं।
      7 hours ago ·  ·  1 person
    • Girish Mishra हिंदी एक बहुआयामी भाषा है, जहा पर मामा, काका, नाना, और दादा का फर्क सिर्फ संबोधन से समझ में आ जाता है, गलियों की कोई भाषा नहीं होती, गलिया सभी भाषाओं में उतनी ही सडांध रखती है जितनी शायद हिंदी रखती हो लेकिन साहब खतरा हिंदी से नहीं है खतरा अंग्रेजी के गानों और उनके सिनेमा से है हो यदि आप अनुवाद करे तो शायद बोल भी न पाए. भावी पीढ़ी को यदि बचाना है तो रचनात्मक हिंदी का प्रयोग पहले हम सब घर पर करे और गालियों का प्रयोग बंद करे, बच्चा वो ही सीखता है जो उसे उसका माहोल सिखाता है
      7 hours ago ·  ·  5 people
    • Jagadishwar Chaturvedi विजयजी, मुझे आपकी बात पर प्रसिद्ध रूसी शिक्षाशास्त्री अन्तोन माकारेंको याद आ रहे हैं उनकी शानदार किताब है 'एक पुस्तक माता-पिता के लिए' में लिखा- पुराने जमाने में शायद गाली-गलौज की गंदी भाषा कमजोर शब्दावली तथा मूक-निरक्षरता के लिए सहायक की तरह अपने ही ढ़ंग से काम आतीथीं। स्टैंडर्ड गाली की सहायता से आद्य-भावों को अभिव्यक्त किया जा सकता था, जैसे क्रोध,प्रसन्नता, आश्चर्य,निंदा और ईर्ष्या । लेकिन अधिकांशतः यह किसी भी भावना को व्यक्त नहीं करती थी,बल्कि असम्बद्ध ,मुहावरों और विचारों को जोड़ने के साधन का काम देती थी।
      7 hours ago ·  ·  1 person
    • Jagadishwar Chaturvedi बंधुवर हमें इस सवाल पर भी सोचना चाहिए कि हिन्दी में गालियां कहां से आ रही हैं।गालियों के मामले में हम लोकल और ग्लेबल एक ही साथ होते जा रहे हैं। जाने-अनजाने असभ्यता का विश्व विनिमय कर रहे हैं।
      7 hours ago · 
    • Muneer Ahamed Momin आपने सही कहा जगदीश्वर जी, शब्दों के मामलों में कबीर के इस दोहे को चरितार्थ करने की आवश्यकता है कि -
      शब्द-शब्द सब कोय कहै, शब्द का करो विचार |
      एक शब्द शीतल करै, एक शब्द दे जार ||
      7 hours ago · 
    • Santbetra Ashoka Sehmat hai Sir.

      Santbetra Ashoka
      7 hours ago · 
    • Musafir Baitha galiyon ka ek apna manovigyan hota hai,galiyan sabhya-asabhya hone ki nishani nhin hai.itihas ya vartman ke adhikansh tathakthit sabhya bhi galiyon ki sewa kabhi na kabhi kisi na kisi vidhi le chuke hain/hote hain. is manovigyan ka ek bda hissa dalito-striyo (as above indicated by ashok ji) jaise smaj ke kamjor hisson ke hisse aaye hain.
      6 hours ago · 
    • Arman Neyazi Bahut sahi Janab. Adab wohi hai jismein be adbi nahin.. ek sanghursh chediye main aap ke saath hoon
      6 hours ago · 
    • Musafir Baitha 
      ‎...aur kabir ne hi yh bhi kaha hai (ise aap pta nhin,gali manenge ki kya)-



      pahn pujai to hari mile to main puju pahad,
      ...See More
      6 hours ago · 
    • Vijay Sharma यह भी देखें कि जो पिछड़े और स्त्री गालियों के शिकार है,वे भी खूब गाली देते हैं। कल लक्ष्मण जी कोट कर रहे थे 'जी भर कर गालियां दो,पेट भर कर बद्दुआ...'दुष्यंत। जगदीश्वर जी गाली पूरब आते-आते जैसी होती जाती है,वैसी दिल्ली के पशिचम में नहीं। खासकर बृज की गाली,राजस्थान की गाली,खासकर बीकानेर की गाली। यह भी कहते हैं कि गाली न दें तो क्या सुवाली दें। गोया सुवाली नमकीन होती है,गाली मीठी। ....ललित निबंध
      5 hours ago · 
    • Raakesh Manjul गालियों और अश्लीलता के बीच सीधा सम्बन्ध नहीं है. पर यह भी सही है कि हिन्दी वाले अब वैधानिक तरह से रचनाओ में गलियों का प्रयोग करने लगे है .वह सिनेमा हो या साहित्य अक्सर इन गालियों का प्रयोग मात्र आकर्षित करने के लिए होता है . गालियाँ तो राग दरबारी में भी है ,पर अश्लील नहीं लगती .
      5 hours ago ·  ·  2 people
    • Sagar Jnu bahut zaroori hai sir in gaaliyon k khilaaf aandolan krna...
      5 hours ago · 


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