अब हम संचार क्रांति के अंतिम चरण में दाखिल हो चुके हैं। कम्प्यूटर-इंटरनेट और उपग्रह संचार ने जिस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को जन्म दिया था उसके साथ सत्ता और खासकर अमेरिकी साम्राज्यवाद के साथ टकराव घनीभूत होता जा रहा है। इंटरनेट और सत्ता के अन्तर्विरोधों को नियंत्रित करने के लिए ही इन दिनों साइबर निगरानी पर तेजी से काम हो रहा है,इस तरह के साइबर कानूनों को बनाया जा रहा है जिससे इंटरनेट पर मुक्त अभिव्यक्ति को बाधित किया जाए। इस काम में इंटरनेट सर्विस प्रदाता कंपनियां चौकीदार की भूमिका अदा कर रही हैं। वे रीयलटाइम में ऑनलाइन पर आने वाले लाखों संदेशों को विश्लेषित करके साथ ही साथ सत्ताकेन्द्रों को संप्रेषित कर रहे हैं। पहले किसी को यह समझ में नहीं आया था कि इंटरनेट को कैसे नियंत्रित किया जाएगा लेकिन बाद में इसका भी रास्ता निकाल लिया गया और अब इंटरनेट सर्विस प्रदाता कंपनी ही यूजर पर निगरानी करने लगी हैं। सभी इंटरनेट सर्विस प्रदाता कंपनियां पेंटागन और सीआईए के सामने समर्पण कर चुकी हैं। अमेरिका किस तरह की दादागिरी कर रहा है इसे सहज ही विकीलीक मामले में अमाजॉन कंपनी के बदले रूख से समझ सकते हैं। अमाजॉन कंपनी ने विकीलीक को अपनी सेवाएं देनी बंद कर दी हैं और कहा है विकीलीक ने समझौते के नियमों को तोड़ा है।
अब निगरानी का एक नया फार्मूला इजाद किया गया है,नये फार्मूले के अनुसार गुमनाम टिप्पणी लिखना अपराध घोषित होने जा रहा है। अमेरिकी प्रशासन यह चाहता है कि इंटरनेट पर सही नाम से लिखा जाए। ऑनलाइन गुमनामी को खत्म करने के साथ ही इंटरनेट कंपनियों ने एक नया सिस्टम इजाद किया है जिस पर कनाडा की प्राइवेसी वाचडाग संस्था DeepPacketInspection.ca ने लिखा है कि गुमनामी खत्म होते ही प्रत्येक आदमी की 24 घंटे निगरानी करने में मदद मिलेगी। इसके लिए एक विकसित तकनीक deep packet inspection के नाम से बनायी गयी है जो हर समय नजरदारी करेगी। http://antifascist-calling.blogspot.com/ ने लिखा है -
"all data traffic that courses across the 'net is contained in individual packets that have header (i.e. addressing) information and payload (i.e. content) information. We can think of this as the address on a postcard and the written and visual content of a postcard." All of which is there for the taking, "criminal evidence, ready for use in a trial," Cryptohippie chillingly informs. Still the illusion persists that communication technologies are somehow "neutral." Neither good nor bad but rather, much like a smart phone loaded with geolocation tracking chips or the surveillance-ready internet itself, simply there for all to use.’’ आगे लिखा है- ‘‘According to Ars Technica, the lawsuit charged the firm and ISPs "Bresnan Communications, Cable One, CenturyTel, Embarq, Knology, and WOW! of all being involved in the interception, copying, transmission, collection, storage, usage, and altering of private data from users."
‘‘NebuAd was accused by plaintiffs of exploiting "normal browser platform security behaviors by forging IP packets, allowing their own JavaScript code to be written into source code trusted by the web browser," the complaint reads. "NebuAd and ISPs together cooperate in this attack against the intentions of the consumers, the designers of their software, and the owners of the servers they visit," attorneys charged.’’
Web inventor Tim Berners-Lee told New Scientist in 2009 that the "ever-increasing power of computers that is helping the internet to grow is also threatening its future."
Berners-Lee "likened DPI to wiretapping, and pointed out that companies could use it to learn a huge amount about our 'lives, hates and fears'."
Information I might add, that is portable and readily exploitable by our political minders and the corporate grifters they so lovingly serve.
And with a national security state already monitoring huge volumes of data collected from the internet and other electronic communications' platforms, The Guardian warns that Britain and other managed Western democracies are "sleepwalking into a surveillance society."
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