बुधवार, 29 दिसंबर 2010

विनायकसेन की मुक्ति के लिए फेसबुक वाले एकजुट



जगदीश्वर चतुर्वेदी-  विनायक सेन को आजन्म कैद की सजा सुनाकर जज महोदय ने क्या आधुनिक न्याय विवेक का परिचय दिया है ? मानवाधिकार की न्याय ने एक नयी परिभाषा गढ़ी है और भविष्य में आने वाले खतरों की चेतावनी भी दी है । आपकी क्या राय है ।
10 hours ago ·  · 

    • Abinash 'Kafir' Mishra मानवाधिकार की ताक पर कानून-व्यस्था को लचीला बनाना क्या भविष्य के खतरोँ को रोकने का सही तरीका है? दंड का आकलन अपराध पर होना चाहिये न कि मानवाधिकार पर, अन्यथा सुव्यस्थित समाज का निर्माण करना कठिन हो जायेगा।
      10 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Jagadishwar Chaturvedi जी नहीं,न्याय को मानवाधिकारों के नजरिए से ही देखा जाना चाहिए।
      न्याय का दायरा मानवाधिकारों के तहत है।

      10 hours ago ·  ·  1 person

    • Jagadishwar Chaturvedi अभी जो अव्यवस्था है समाज से लेकर न्याय तक,उसकी धुरी है मानवाधिकारों की चेतना का अभाव।
      10 hours ago · 

    • Abinash 'Kafir' Mishra शायद यही वजह है कि आज अपराध अपना साम्राज्य निडरता से फैला रहा है।
      10 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Abinash 'Kafir' Mishra मानवाधिकार के आड में अपराधिक जगत फल फूल रहा है। इस पर नकेल कसने का एक ही जरिया है, कठोर दंड विधान।
      10 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Jagadishwar Chaturvedi ऐसा नहीं है। गरीबों के लिए भोजन,काम,पानी आदि की मांग करना अपराध नहीं है। लेकिन यदि कोई इन्हें लेकर संघर्ष करता है तो न्यायाधीश सामने आ जाते है। 144 लेकर।यह नहीं होना चाहिए।
      10 hours ago ·  ·  1 person

    • Deepti Singh दंड का नजरिया सुधारात्मक प्रक्रिया से जुड़ा होना चाहिए दंड मे प्रतिकार कि भावना औए सच को कुचलने की ज़बर्दुस्त कोशिश उसे न्याय और विकास से तो दूर ले ही जाती है लोगो कि आस्था और विश्वास को भी डगमगा देती है
      10 hours ago · 

    • Abinash 'Kafir' Mishra ‎'कागजी बकवास' करना आसान होता है। इतिहास गवाह है कि कोई प्रणाली बिना सहयोग के सफल नहीं हो सकती। भारत जैसे देश में 'स्वंय हिताय, स्वंय बचाव' के अलावा मानवाधिकार और कुछ नहीं है। इसका सफल प्रयोग सामंत और नेता बखुबी कर रहे हैं।
      10 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Jagadishwar Chaturvedi समाज की रक्षा के सामूहिकबोध को केन्द्र में लाना होगा। निजता के परे जाकर ही यह काम संभव है।मानवाधिकार निजी रक्षा की चीज नहीं है यह सामाजिक रक्षा की चीज है।
      10 hours ago ·  ·  1 person

    • Abinash 'Kafir' Mishra इसे आमलोगोँ से दूर रखना अधिक सही होगा नहीं तो इसका दोहन वहाँ भी होगा।
      10 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Jagadishwar Chaturvedi बंधुवर, मानवाधिकार आम लोगों की चीज है। अमीरों की नहीं,उनके पास तो हक हैं।
      10 hours ago · 

    • Abinash 'Kafir' Mishra जी, लेकिन राम-राज्य संभव नहीं है
      10 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Deepti Singh 
      मैं दहशत गर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है
      हुकूमत के इशारे पे तो मुर्दा बोल सकता है
      बहुत से कुर्सियां इस मुल्क मै लाशो पे रखी है
      ये वो सच है जिसे झूठे से झूठा बोल सकता है
      सियासत कि कसौटी पे परखिये मत वफादारी
      किसी दिन इन्त्कामन कोई गूंगा बोल सकता है

      10 hours ago ·  ·  1 person

    • Jagadishwar Chaturvedi राम राज्य नहीं विवेकपूर्ण राज्य की बात हो रही है।रामराज्य किसी को नहीं चाहिए।
      10 hours ago · 

    • K Lal Hindustani NO COMMENT ON JUDICIARY,HE CAN APPEAL TO A HIGHER COURT
      10 hours ago · 

    • Abinash 'Kafir' Mishra अगर मानवाधिकार को कानुन से उपर रख देंगे तो उससे पैदा होने वाले संकट पर नकेल कोन कसेगा?
      9 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Jagadishwar Chaturvedi बंधुवर,न्याय की समीक्षा तो होनी ही चाहिए। वह ऊपर का न्याय हो या निचली अदालत का।
      9 hours ago · 

    • Deepti Singh isse neechli adalto ki jammedaariyan kam nahi hoti....justice delayed is justice denied
      9 hours ago · 

    • Abinash 'Kafir' Mishra तो क्या अपराधी को वरियता प्रदान करना सही है?
      9 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Jagadishwar Chaturvedi एक और बात है कि न्याय मिले,समय पर मिले, देर से भी मिले कम से कम न्याय तो मिले।देर से भी अधिकांश मामलों में न्याय नहीं मिलता।
      9 hours ago · 

    • Jagadishwar Chaturvedi बंधु, मानवाधिकार की मांग अपराध नहीं है। सेन साहब के मामले की यही तो मुश्किल है।
      9 hours ago · 

    • K Lal Hindustani What we can do except to wait for final justice having full faith in it and democracy
      9 hours ago · 

    • Abinash 'Kafir' Mishra क्या दंड के बिना एक विबेकपूर्ण राज्य कायम हो सकता है?
      9 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Jagadishwar Chaturvedi आस्था रहे ,साथ में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए सामाजिक दबाब भी पैदा करें।जिससे जजों के दिमाग की भी धुलाई हो। हम क्यों मान रहे हैं कि जज दूध के धुले हैं। उनमें भी पिछड़े मूल्यों के जज हैं।
      9 hours ago · 

    • Shyam Ji Pathak bahut galat faisla kiya hai, hum sub ko milker iske khilaf apni awaz buland karni chaiye
      9 hours ago · 

    • Ashok Kumar Pandey 
      सुना है हाकिम सारे दीवाने अब ज़िंदां के हवाले होगे


      सारे जिनकी आँख ख़ुली है
      सारे जिनके लब ख़ुलते हैं
      सारे जिनको सच से प्यार
      सारे जिनको मुल्क़ से प्यार
      और वे सारे जिनके हाथों में सपनों के हथियार
      सब ज़िंदां के हवाले होंगे!

      ज़ुर्म को अब जो ज़ुर्म कहेंगे
      देख के सब जो चुप न रहेगें
      जो इस अंधी दौड़ से बाहर
      बिन पैसों के काम करेंगे
      और दिखायेंगे जो पूंजी के चेहरे के पीछे का चेहरा
      सब ज़िंदां के हवाले होंगे

      जिनके सीनों में आग बची है
      जिन होठों में फरियाद बची है
      इन काले घने अंधेरों में भी
      इक उजियारे की आस बची है
      और सभी जिनके ख़्वाबों में इंक़लाब की बात बची है
      सब ज़िंदां के हवाले होंगे

      आओ हाकिम आगे आओ
      पुलिस, फौज, हथियार लिये
      पूंजी की ताक़त ख़ूंखार
      और धर्म की धार लिये
      हम दीवाने तैयार यहां है हर ज़ुर्म तुम्हारा सहने को
      इस ज़िंदां में कितनी जगह है!

      कितने जिंदां हम दीवानों के
      ख़ौफ़ से डरकर बिखर गये
      कितने मुसोलिनी, कितने हिटलर
      देखो तो सारे किधर गये
      और तुम्हें भी जाना वहीं हैं वक़्त भले ही लग जाये
      फिर तुम ही ज़िंदां में होगे

      9 hours ago ·  ·  2 people

    • Abinash 'Kafir' Mishra सही न्याय से ज्यादा गलत न्याय दिलाने में इसकी ज्यादा भूमिका है। यह मात्र सामंतों की हितैसी है।
      9 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Jagadishwar Chaturvedi असल समस्या यह है कि हमारा मध्यवर्ग विवेकपूर्ण और मानवाधिकारपूर्ण चेतना से लैस नहीं है,वरना कोई जज मानवाधिकारों के खिलाफ लिखने का साहस ही नहीं करता।
      9 hours ago ·  ·  1 person

    • Jaikumar Jha 
      विनायक सेन साहब को सजा देना बिलकुल गलत है.........आज विनायक सेन साहब जैसे देश और समाज के खम्भे की जरूरत है जिससे सभी खम्भों के सड़ जाने के बाद भी ये गणतंत्र जिन्दा रहे ..इन साले भ्रष्ट कुकर्मी मंत्री और उद्योगपतियों को विनायक सेन साहब जैसे लोग ही ठीक कर सकते हैं.........इस देश में भ्रष्ट मंत्रियों और कुकर्मी उद्योगपतियों को सरे आम गोली मारने वाले के लिए इनाम और सम्मान की व्यवस्था किये जाने की जरूरत है...क्योकि इन कुकर्मियों के वजह से न सिर्फ मानवाधिकार बल्कि समूची मानव जाती खतरे में है.....सामाजिक कार्यकर्ताओं को सजा तय करते वक्त जाँच अधिकारी तथा सजा सुनाने वाले जजों की संपत्ति और चरित्र की भी सूक्ष्म जाँच की भी आवश्यकता है....आज न्याय पालिका अच्छे,सच्चे,देशभक्त और इमानदार लोगों के फायदे के लिए कम बल्कि अपराधियों और भ्रष्ट कुकर्मियों के फायदे के लिए ज्यादा काम कर रही है....

      9 hours ago · 

    • Abinash 'Kafir' Mishra भ्रष्टता को रोकने के लिये भ्रष्टता का सहारा क्योँ? खिलवाड संविधान के साथ भी हो रहा है उसका क्या
      9 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Jagadishwar Chaturvedi यह ठीक कहा आपने
      9 hours ago · 

    • Abinash 'Kafir' Mishra सही गलत का फैसला किस आधार पर?
      9 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Jagadishwar Chaturvedi न्याय बुद्धिऔर समानता के आधार पर।
      9 hours ago · 

    • Hitendra Patel यह दुर्भाग्यपूर्ण है. अगर कानूनी हिसाब से सजा देना मुनासिब भी होता हो तो भी इस प्रकार का दण्ड दिया जाना अंग्रेजी राज की तरह का "न्याय" है.
      9 hours ago ·  ·  1 person

    • Abinash 'Kafir' Mishra हम अपने अधिकारों द्वारा किसी का चुनाव करते हैं लेकिन क्या मैंने अपने अधिकारों का सही प्रयोग किया है? अगर नहीं तो उसके दुष्परिणामों से कौंन बचायेगा? निश्चय ही कानुन।
      9 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Abinash 'Kafir' Mishra तो फिर क्यों जेलों में व्यस्था समानता के आधार पर नहीं होता? उसका जिम्मेदार अधिकार ही है जो पैसे और ताकत पर बिक जाता है।
      9 hours ago via Facebook Mobile · 

    • Jagadishwar Chaturvedi सही कहा।
      9 hours ago · 

    • Madan Agrawal डॉ.विनायक सेन जेसे व्यक्ति को राजद्रोह के आरोप में उम्र केद देकर भ्रष्ट राजनेताओ एवम न्यायपालिका ने वही किया /जो अब तक करते आ रहे एवम हमेशा सफल भी हे /तभी तो असली देश गद्दार मंचो पर विराजमान मिलते /आम आदमी की हिम्मत नही होती आवाज उठाने की
      9 hours ago · 

    • Kr Ashok S Rajput 
      Why DR ABC or D should made FREE from the jail….....Our we a free nation?? Yes I can say with proud that we live in a free and democratic nation…no doubt foa any one.. A session court in trial held Dr Vinayak guilty for sedition and announced LIFE IMPRISONMENT…..what wrong... Maoist, naxalism sympathiser and so called progressive news channels starts campaign to criticise court judgment, I feel shame for all of them on name of democracy and independence.....Best way to them is that in places of making hue and cry over pronounced court judgment, in a salient manner they appeal in country's higher court for further relief…But reality is that for smooth function for corporate or government office, an state headed by the Congress, BJP or a left.... or own home requires foa a unique Dandaman…. shouting slogan to make free XYZ…an waste exercise…

      8 hours ago ·  ·  1 person

    • Vijay Sharma 
      कल कोलकाता में एक प्रोटेस्ट सभा हूई। जिसे अपर्णा सेन ,मेधा पाटकर सहित कई लोगों ने सम्बोधित किया। फिर एक मौन जूलुस निकला जो मेट्रो चैनल तक गया। कुछ तथ्य: 1. ये आजीवन कैद 14या 20 साल की नहीं है,सचमुच आजीवन है।2. जिस जज ने ये फैसला सुनाया वे रेगुलर जज नहीं हैं,किसी के छुट्टी पर चले जाने की वजह से यहां थे।3. जिस चिरकुट पर दस्तखत करके आप किसी विचारधीन कैदी से मिलने की इजाजत पाते हैं-उस पर दो प्रावधान होते है,या तो कहिये कि आप उसके मित्र हैं या रिश्तेदार्। नारायण सान्याल से मिलने वाले विनायक 'मित्र' लिखते थे। इस आधार पर उन्हें अदालत ने जुर्म में शरीक पाया।4.उन्हें ठीक कहां से किन परिसिथतियों में गिरफतार किया गया,यह पुलिस नहीं बता पा रही। केवल संदेह पर यह हुआ।5.उनकी जेब में एक चिरकुट मिला,बगैर दस्तखत के ,इसे पुलिस साक्ष्य रुप में पेश कर रही है,जो कि गैरकानूनी है। 6.एक राहगीर ,अनिल सिंह से विटनेस करवाया गया,उसकी 'ओवरहियरिंग' के ब्यान के आधार पर यह सब हुआ। इस तरह की तमाम असंगतियों पर 'न्याय' हुआ।
      मुझे लगता है यह फैसला तो उच्च अदालत में टिक नहीं पायेगा लेकिन सरकार एक मेसेज देना चाह रही है,चेतावनी। हमारे लिये मौका है कि हम अगले हमले के पहले तैय्यारी में जुट जायें।

      8 hours ago · 

    • Jagadishwar Chaturvedi सही लिखा है आपने।
      8 hours ago · 

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