आत्महत्या व्यक्ति का कृत्य है और इससे व्यक्ति ही प्रभावित होता है। अत: वह पूरी तरह से वैयक्तिक तत्वों पर ही आश्रित रहना चाहिए जिनका ताल्लुक केवल मनोविज्ञान से है। लेकिन क्या आत्महंता के संकल्प में उसके मिजाज, चरित्र, पूर्ववृत्त और निजी इतिहास की कोई भूमिका नहीं है?
आत्महत्याओं का इस तरह से युक्तियुक्त अध्ययन किस डिग्री और अवस्थाओं में किया जा सकता है, इस पर फिलहाल विचार करने की जरूरत नहीं है। लेकिन यह बात निश्चित है कि उन्हें एक अलग आलोक में देखा जा सकता है। यदि आत्महत्याओं को अलग-अलग अध्ययन के योग्य अलग-थलग और असंबध्द घटनाओं के रूप में देखने के बजाए एक निश्चित काल के दौरान एक निश्चित समाज में उनकी संपूर्णता में देखा जाए तो पता चलेगा कि यह संपूर्णता स्वतंत्र इकाइयों का जोड़ मात्र नहीं है। यह अपने आप में एक अद्वितीय तथ्य है जिसकी अपनी अन्विति, वैयक्तिक और अपना स्वरूप हैएक स्वरूप जो कि प्रमुख रूप में सामाजिक है। यदि बहुत लंबी अवधि को न लिया जाए तो, जैसा कि तालिका ढ्ढ (देखें पृष्ठ 45)से स्पष्ट है, उसी समाज के आंकड़े लगभग एक जैसे हैं। यह इसलिए है क्योंकि आवामों के जीवन से जुड़ी पर्यावरण परिस्थितियां वर्ष दर वर्ष अपेक्षाकृत अपरिवर्तित रहती हैं। यह सही है कि अधिक विचारणीय परिवर्तन कभी-कभार होते हैं। लेकिन वे अपवाद स्वरूप होते हैं। साथ ही वे स्पष्ट रूप में हमेशा सामाजिक अवस्था को प्रभावित करने वाले अस्थायी संकट के साथ आते हैं। 1948 में वे यूरोपीय देशों में अचानक गिरावट के रूप में आए।
यदि एक लंबी अवधि को लिया जाए तो अधिक गंभीर परिवर्तन नजर आएंगे। इसके बाद वे चिरकालिक बन जाते हैं। इससे केवल यही सिध्द होता है कि समाज की संरचनात्मक विशेषताओं में भी इसके साथ ही गंभीर बदलाव आए हैं। दिलचस्प बात यह है कि वे अत्यधिक धीमी गति से प्रकट नहीं होते जैसा कि बहुत से प्रेक्षकों का मानना है। वे अकस्मात और प्रगतिशील होते हैं। कुछ वर्षों, जिनके दौरान इन आंकड़ों में बहुत कम उतार-चढ़ाव होता है, के बाद इनमें अचानक वृध्दि होती है जो बार-बार दोलन के बाद स्थिर हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सामाजिक संतुलन में गड़बड़ी अचानक आई लगती है, लेकिन इसके सभी परिणामों के सामने आने में समय लगता है। आत्महत्या का क्रम-विकास अलग और निरंतर तरंगित हलचलों के रूप में होता है जो कि अनियमित होती है और कुछ समय तक विकसित होकर थम जाती है और फिर शुरू हो जाती है। तालिका-1- के अनुसार इस तरह की तरंग पूरे यूरोप में 1848
तालिका -1-
प्रमुख यूरोपीय देशों में आत्महत्या की स्थिरता (पूर्ण आंकड़े)
वर्ष फ्रांस एशिया इंगलैंड सेक्सोनी बावरिया डेनमार्क
1841 2,814 1,630 290 377
1842 2,866 1,598 318 317
1843 3,020 1,720 420 301
1844 2,973 1,575 335 244 285
1845 3,082 1,700 338 250 290
1846 3,102 1,707 373 220 376
1847 (3,647) (1,852) 377 217 345
1848 (3,301) (1,649) 398 215 (305)
1849 3,583 (1,527) (328) (189) 337
1850 3,596 1,736 390 250 340
1851 3.598 1,809 402 260 401
1852 3,676 2,073 530 226 426
1853 3.415 1,942 431 263 419
1854 3,700 2,198 547 318 363
1855 3,810 2,351 568 307 399
1856 4,189 2,377 550 318 426
1857 3,967 2,038 1,349 485 286 427
1858 3,903 2,126 1,275 491 329 457
1859 3,899 2,146 1,248 507 387 451
1860 4,050 2,105 1.365 548 339 468
1861 4,454 2,185 1,347 (643)
1862 4,770 2,112 1,317 557
1863 4,613 2,374 1,315 643
1864 4,521 2,203 1,240 (545) 411
1865 4,946 2,361 1,392 619 451
1866 5,119 2,485 1,329 704 410 443
1867 5,011 3,625 1,316 752 471 469
1868 (5,547) 3,658 1,508 800 453 498
1869 5,114 3,544 1,588 710 425 462
1870 3,270 1,554 486
1871 3,135 1,495
1872 3,467 1,514
के घटनाक्रम के बाद या देशों के अनुसार 1850-1853 के दौरान आई। एक अन्य तरंग 1866 के युध्द के बाद जर्मनी में आई। फ्रांस में यह साम्राज्यवादी सरकार के शिखर पर पहुंचने के समय 1860 के आसपास आई, इंगलैंड में 1868 के आसपास या समकालीन वाणिज्यिक संधियों से उत्पन्न वाणिज्यिक क्रांति के बाद। शायद इसी कारण से 1865 के आसपास यह तरंग 1865 में इंगलैंड में फिर आई। अंत में 1870 के युध्द के बाद फिर आगे बढ़ी जो कि अभी भी और कमोबेश पूरे यूरोप में नजर आ रही है।
अपने इतिहास के प्रत्येक क्षण में प्रत्येक समाज में आत्महत्या के प्रति एक निश्चित रुझान रहता है। इस रुझान की तीव्रता स्वैच्छिक मृत्यु की संख्या और प्रत्येक आयु और लिंग की जनसंख्या के अनुपात द्वारा मापी जाती है। इस संख्यात्मक आधार को हम आत्महत्या के जरिए मृत्युदर, विचाराधीन समाज की विशेषता कहेंगे। यह प्रत्येक दस लाख निवासियों में इनकी संख्या द्वारा परिकलित की जाती है।
यह दर न केवल काफी लंबे समय तक स्थिर बनी रहती है बल्कि इसकी स्थिरता महत्वपूर्ण जनसंख्या आंकड़ों की स्थिरता से भी अधिक है। सामान्य मृत्युएं वर्ष दर वर्ष अधिक बार बदलती हैं और यह बदलाव कहीं अधिक होता है। यह बात विभिन्न अवधियों में दोनों तत्वों में परिवर्तन की तुलना करके दर्शाई जा सकती है। यह कार्य हमने तालिका ढ्ढढ्ढ में किया है। इनमें संबंध को दर्शाने के लिए प्रत्येक वर्ष में मृत्यु और आत्महत्या दोनों की दरों को उस अवधि की औसत दर के अनुपात के रूप में प्रतिशत में दर्शाया गया है। एक वर्ष से दूसरे वर्ष के अंतरों या औसत दर से अंतरों को दो कालमों में तुलनीय बनाया गया है। इस तुलना से ऐसा लगता है कि प्रत्येक अवधि में आत्महत्या के मुकाबले सामान्य मृत्यु के मामले में परिवर्तन मात्रा बहुत अधिक है। औसतन यह दुगुनी है। पिछली दो अवधियों में लगातार दो वर्षों में केवल न्यूनतम अंतर प्रत्येक मामले में स्पष्ट रूप से समान है। लेकिन मृत्यु के कालम में यह न्यूनता अपवाद रूप में कम है, जबकि आत्महत्याओं में वार्षिक परिवर्तन इससे कभी-कभार ही भिन्न है। यह औसत अंतरों में तुलना करके देखा जा सकता है।
एक निश्चित बात यह है कि यदि हम एक अवधि के लगातार वर्षों में तुलना करने के बजाए विभिन्न अवधियों के औसतों की तुलना करें तो मृत्युदर में परिवर्तन लगभग नगण्य नजर आएगा। यदि अधिक लंबी अवधि का परिकलन किया जाए तो अस्थायी या दुर्घटना कारणों से वर्ष दर वर्ष एक या दूसरी दिशा में परिवर्तन एक दूसरे को निष्प्रमाणित कर देते हैं; ये परिवर्तन औसत आंकड़ों में नहीं झलकते जिसकी वजह से उनमें अपरिवर्तनीयता और अधिक नजर आती है। उदाहरण के लिए, फ्रांस में 1841 से 1870 की अवधि में लगातार प्रत्येक दस वर्ष में यह 23.18; 23.72; 22.87 थी। लेकिन सबसे पहले तो यह उल्लेखनीय है कि एक वर्ष से अगले वर्ष में आत्महत्याएं
तालिका -2-
आत्महत्या मृत्युदर और सामान्य मृत्युदर में तुलनात्मक भिन्नता
क. पूर्ण आंकड़े
अवधि प्रति प्रति अवधि प्रति प्रति अवधि प्रति प्रति
1841- 1,00,000 1,000 1849- 1,00,000 1,000 1856- 1,00,000 1,000
46 आत्महत्या मृत्यु- 55 आत्महत्या मृत्यु- 60 आत्महत्या मृत्यु-
दर दर दर दर दर दर
1841 8.2 23.2 1849 10.0 27.3 1856 11.6 23.1
1842 8.3 24.0 1850 10.1 21.4 1857 10.9 23.7
1843 8.7 23.1 1851 10.0 22.3 1858 10.7 24.1
1844 8.5 22.1 1852 10.5 22.5 1859 11.1 26.8
1845 8.8 21.2 1853 9.4 22.0 1860 11.9 21.4
1846 8.7 23.2 1854 10.2 27.4
1855 10.5 25.9
औसत 8.5 22.8 औसत 10.1 24.1 औसत 11.2 23.8
ख. औसत से संबंधित वार्षिक दर प्रतिशत में
1841 96 101.7 1849 98.9 113.2 1856 103.5 97
1842 97 105.2 1850 100 88.7 1857 97.3 99.3
1843 102 101.3 1851 98.9 92.5 1858 95.5 101.2
1844 100 96.9 1852 103.8 93.3 1859 99.1 112.6
1845 103.5 92.9 1853 93 91.2 1860 106.0 89.9
1846 102.3 101.7 1854 100.9 113.6
1855 103 107.4
औसत 100 100 औसत 100 100 औसत 100 100
ग. अंतर की मात्रा
दो लगातार वर्षों औसत से नीचे
के बीच और ऊपर
सर्वाधिक न्यूनतम औसत अधिकतम अधिकतम
अंतर अंतर अंतर नीचे ऊपर
प्रतिशत 1841-46
सामान्य मृत्यु 8.8 2.5 4.9 7.1 4.0
आत्महत्या मृत्यु 5.0 1 2.5 4 2.8
प्रतिशत 1849-55
सामान्य मृत्यु 24.5 0.8 10.6 13.6 11.3
आत्महत्या मृत्यु 10.8 1.1 4.48 3.8 7.0
प्रतिशत 1856-60
सामान्य मृत्यु 22.7 1.9 9.57 12.6 10.1
आत्महत्या मृत्यु 6.9 1.8 4.82 6.0 4.5
अवधिवार सामान्य मृत्युओं से अधिक नहीं तो बराबर स्थिर है। इसके अलावा औसत मृत्युदर सामान्य और अव्यक्तिक होकर ही इस तरह की नियमितता प्राप्त करती है। इससे किसी समाज की बहुत अपूर्ण तसवीर ही उभरती है। वास्तव में एक जैसी सभ्यता मात्रा वाले सभी आवामों में यह लगभग एक समान है। यदि अंतर है तो बहुत कम। उदाहरण के लिए, फ्रांस के मामले में जैसा कि हमने अभी देखा 1841 से 1870 के बीच यह प्रति हजार निवासी 23 मृत्यु के आसपास रही। इसी अवधि के दौरान बेल्जियम में यह 23.93, 22.5, 24.04 थी; इंगलैंड में 22.32, 22.21, 22.68; डेनमार्क में 22.65 (1845-49), 20.44 (1855-59), 20.4 (1861-68); रूस, जो कि केवल भौगोलिक दृष्टि से यूरोपीय है, को छोड़कर बड़े यूरोपीय देशों में केवल इटली में मृत्युदर में काफी अंतर है। 1961 और 1867 के बीच यह बढ़कर 30.6 हो गई। ऑस्ट्रिया में यह और भी अधिक (32.52) थी। इसके विपरीत आत्महत्या दर के वार्षिक परिवर्तन तो बहुत कम हुए हैं, लेकिन समाज के अनुसार वह दुगुनी, तिगुनी चौगुनी और उससे भी ज्यादा है (। इस प्रकार मृत्युदर से इसकी मात्रा अधिक है और प्रत्येक सामाजिक समूह, जिसमें इसे विशेषता सूचकांक माना जा सकता है, के मामले में अलग है। यह राष्ट्रीय मिजाज के गहरे तत्व के साथ इतनी घनिष्ठता के साथ संबध्द है कि इस दृष्टि से विभिन्न समाजों का जो क्रम बनाया गया है, वह विभिन्न अवधियों में बना रहता है। यह बात इसी तालिका की जांच से सिध्द हो जाती है। यहां जिन तीन कालों की तुलना की गई है, उन सभी में आत्महत्या बढ़ी है लेकिन इस वृध्दि में सभी आवामों ने एक दूसरे से अपनी दूरी बनाए रखी है। वृध्दि का प्रत्येक का अपना एक गुणांक है।
इस प्रकार आत्महत्या दर एक वास्तविक पध्दति है, एकीकृत और निश्चित। यह बात इसकी स्थिरता और अस्थिरता दोनों से ही स्पष्ट है। यह स्थिरता और कुछ नहीं बल्कि अलग विशेषताओं के समूह का परिणाम है। ये विशेषताएं परस्पर आश्रित हैं और अलग आनुषंगिक परिस्थितियों के बावजूद एक साथ प्रभावी होती हैं। अस्थिरता इन्हीं विशेषताओं के ठोस और वैयक्तिक स्वरूप को सिध्द करती है क्योंकि उनमें समाज के वैयक्तिक स्वरूप के अनुसार परिवर्तन होता है। संक्षेप में ये आंकड़े पूरे समाज को सामूहिक रूप में ग्रसित करने वाली आत्महत्या प्रवृत्ति को अभिव्यक्त करते हैं। इस प्रवृत्ति के वास्तविक स्वरूप को व्यक्त करने की जरूरत नहीं है अर्थात यह सामूहिक मानस की अद्वितीय मनोदशा है जिसकी अपनी वास्तविकता है या यह व्यक्ति मनोदशाओं का जोड़ मात्र है। पहले के विचारों का दूसरी परिकल्पना के साथ संगति बिठाना मुश्किल है। इस बारे में हम इस पुस्तक में आगे चर्चा करेंगे। इस विषय के बारे में किसी का कुछ भी अभिमत क्यों न हो इस तरह की प्रवृत्ति किसी न किसी शीर्षक से जरूर मौजूद रहती है। प्रत्येक समाज में स्वैच्छिक मृत्युओं का एक निश्चित कोटा रहता ही है। यह स्थिति समाजशास्त्र में विशेष अध्ययन का विषय हो सकती है। हम इसी का अध्ययन करना चाहते हैं।
इस प्रकार हम व्यक्ति आत्महत्या के मूल को प्रभावित करने वाली सभी स्थितियों की यथासंभव पूरी सूची नहीं तैयार करना चाहते। हम तो केवल उन स्थितियों की जांच करना चाहते हैं जिन पर यह निश्चित तथ्य, जिसे हमने सामाजिक आत्महत्या दर कहा है, निर्भर करता है। इन दोनों सवालों के बीच चाहे जितना ताल्लुक हो लेकिन ये स्पष्ट रूप में भिन्न हैं। निश्चित रूप में कुछ वैयक्तिक स्थितियां इतनी आम नहीं हैं कि वे कुल स्वैच्छिक मृत्युओं और जनसंख्या के बीच संबंध को प्रभावित कर सकें। ये इस या उस व्यक्ति द्वारा आत्महत्या का कारण बन सकती हैं, लेकिन वे पूरे समाज में आत्महत्या की छोटी या बड़ी प्रवृत्ति नहीं बन सकतीं। चूंकि ये स्थितियां सामाजिक गठन की किसी निश्चित अवस्था पर आश्रित नहीं होतीं इसलिए उनकी कोई सामाजिक प्रतिक्रियाएं भी नहीं होतीं। इस प्रकार उनका ताल्लुक मनोविज्ञानिक से है समाजशास्त्री से नहीं। समाजशास्त्री उन कारणों का अध्ययन करता है जो अलग-अलग व्यक्तियों को नहीं बल्कि समूह को प्रभावित करने में सक्षम हैं। इसलिए उसका ताल्लुक आत्महत्या के केवल उन तत्वों से है जिनका प्रभाव पूरे समाज द्वारा महसूस किया जाता है। आत्महत्या दर इन्हीं तत्वों का परिणाम है। यही कारण है कि हम केवल उन्हीं की ओर ध्यान देंगे।
मौजूदा काम के इस विषय को तीन खंडों में रखा गया है।
स्पष्टीकरण के लिए चुना गया प्रस्तुत तत्व व्यापक सामान्यतया वाले समाजेत्तर कारणों पर निर्भर कर सकता है या स्पष्ट रूप में सामाजिक कारणों पर। पहले हम समाजेत्तर कारणों का अनुसंधान करेंगे और देखेंगे कि या तो इनका कोई अस्तित्व ही नहीं है या फिर बहुत नगण्य।इसके बाद हम सामाजिक कारणों के स्वरूप को तय करेंगे और यह देखेंगे कि विभिन्न प्रकार की आत्महत्याओं से जुड़ी व्यक्ति मनोदशाओं के साथ उनका क्या ताल्लुक है।
इसके बाद ही हम निश्चित रूप से कह पाएंगे कि आत्महत्या के सामाजिक तत्व क्या हैं; अभी हमने जिस सामूहिक प्रवृत्ति की बात की वह क्या है, इसका दूसरे सामाजिक तथ्यों के साथ क्या संबंध है और इसका मुकाबला कौन से साधनों से किया जा सकता है।
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