रविवार, 22 नवंबर 2009

प्रोफेसर कल्‍याणमल लोढ़ा नहीं रहे















प्रोफेसर कल्‍याणमल लोढ़ा का कल रात ढ़ाई बजे के करीब नि‍धन हो गया, वे लंबे समय से जयपुर में अस्‍वस्‍थ चल रहे थे। उनका जन्‍म 28 सि‍तम्‍बर 1921 को हुआ था। उन्‍होंने सन् 1948 से कलकत्‍ता वि‍श्‍ववि‍द्यालय के हि‍न्‍दी वि‍भाग में अल्‍पकालि‍क शि‍क्षक के रूप में पढ़ाना आरंभ कि‍या था,वे कोलकाता आए 5 जुलाई 1945 को। यहां पर आरंभ में उन्‍होंने सेठ आनंदराम जयपुरि‍या कॉलेज में हि‍न्‍दी प्रवक्‍ता के रूप में नौकरी आरंभ की। बाद में सन् 1953 में कलकत्‍ता वि‍.वि‍. के हि‍न्‍दी वि‍भाग में पूर्णकालि‍क शि‍क्षक के पद पर उनकी नि‍युक्‍ति‍ हुई और इसके बाद वे 1986 तक हि‍न्‍दी वि‍भाग में अध्‍यापन कार्य में लगे रहे। मेरा नि‍जी तौर पर उनसे 1989 में इसी वि‍भाग में नौकरी आरंभ करने   के बाद ही परि‍चय हुआ। वे स्‍वभाव से बड़े ही मीठे और चतुर व्‍यक्‍ति‍ थे। कोलकाता उनकी बौद्धि‍क क्षमता का कायल था,देश-वि‍देश के वि‍द्वानों के साथ भी उनके बेहतर संबंध थे। वे पश्‍चि‍म बंगाल के प्रत्‍येक राज्‍यपाल के नि‍कट रहे। वे सन् 1979-80 के बीच जोधपुर वि‍श्‍ववि‍द्यालय के उपकुलपति‍ भी रहे। उनके अंदर पचास से ज्‍यादा पीएचडी हुईं। उन्‍होंने 11 मौलि‍क कि‍ताबें लि‍खीं, 14 कि‍ताबें संपादि‍त कीं। देश-वि‍देश की अनेक संस्‍थाओं ने उन्‍हें सम्‍मानि‍त कि‍या। प्रोफेसर लोढ़ा के मरने के बाद हि‍न्‍दी का एक बड़ा वि‍द्वान हमारे बीच से चला गया है। 'नया जमाना' और मेरी ओर से श्रद्धांजलि‍। 

2 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे पिता जी स्वर्गीय डॉ राजेन्द्र प्रसाद मिश्र ,आचार्य विष्णुकांत शास्त्री के साथ ही हिन्दी के इस युग पुरुष के छात्र थे -कलकत्ता विश्वविद्यालय में ! पिता जी अक्सर चर्चा किया करते थे ! मेरी और पिता जी की ओर से भी विनम्र श्रद्धांजलि(आत्मा वै जायते पुत्रः -इस हैसियत से !) शोक संतप्त हूँ !

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  2. आज कलकत्ते का साहित्यिक परिदृश्य और कलकत्ता विश्वविद्यालय जैसा भी है उसके निर्माता प्रो. कल्याणमल लोढा थे. उनका प्रभाव डा. नगेन्द्र जैसा था. एक समय में वे सबकुछ थे. विद्वान व्यक्ति थे. अध्ययन को महत्त्व देते थे और हिन्दी के सवाल पर स्वाभिमानी भी. उनके बारे में कोलकाता विश्वविद्यालय में पढाया जाना चाहिए. मैंने उन्हें बहुत ही विवेकवान बुद्धिजीवी के रूप में देखा. मेरी पत्रिका शब्दकर्म पर उनका जो पत्र मुझे मिला था उसे मैं कभी नहीं भूल सकता. ईश्वर उनकी स्मृति को दीर्घायु करे.

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