बुधवार, 8 जून 2011

बाबा रामदेव, कांग्रेस और मीडिया

बाबा रामदेव के अनशन पर 4 जून की रात को अचानक 12.30 बजे पुलिस के हजारों सिपाहियों ने घेरा डाल दिया। सोते हुए नागरिकों पर लाठीचार्ज,जबर्दस्ती खदेड़ने ,मारने,आंसू गैस के गोले छोड़ने आदि के कारण अनेक लोग घायल हुए हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मानना है  उनकी सरकार के पास इससे बेहतर कोई विकल्प नहीं था । असल में कांग्रेस को बाबा पर अपनी रणनीति तय करने में वक्त लगा और जब बाबा से मुठभेड़ का फैसला किया तब तक 1 लाख लोग अनशन स्थल के आसपास पहुँच गए थे। इससे यही पता चलता है कि कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक तौर पर फैसले लेने में किस कठिनाई से गुजरना पड़ा होगा। पहले कांग्रेस ने तदर्थभाव से बाबा के अनशन को लिया और टुकड़ो में उसे सिलटाने की सोची थी ,लेकिन राजनीतिक परिस्थितियां तदर्थ में सोचने की कांग्रेस की आदत के अनुकूल नहीं थीं ,अतः कांग्रेस ने बाबा का राजनीतिक मुकाबला करने का फैसला किया और उसी फैसले के तहत अनशन स्थल पर पुलिस एक्शन हुआ। आज 8 जून 2011को अन्ना हजारे इसके प्रतिवाद में अनशन कर रहे हैं, अपनी तदर्थ राजनीतिक समझ के कारण अन्ना हजारे के पहले वाले अनशन को कांग्रेस ठीक से देख ही नहीं पायी लेकिन अब इन दोनों से ही उसने टकराव का रास्ता अपना लिया है।
    बाबा के अनशन का अहर्निश लाइव कवरेज करने वाले चैनलों की पुलिस एक्शन के समय की छवियों के प्रसारण को लेकर जो भूमिका रही है वह चिंता की बात है और उसने कई नए सवालों को जन्म दिया है।
मसलन्, कारपोरेट मीडिया पर मनमोहन सरकार की अघोषित सेंसरशिप है या सेल्फ सेंसरशिप है ?बाबा रामदेव के अनशन स्थल पर टीवी चैनलों ने ढाई घंटे की पुलिस कार्रवाई के बर्बर दृश्यों को सेंसर कर दिया है। कारपोरेट मीडिया की इस तरह सत्य को छिपाने की कोशिश की तीखी आलोचना की जानी चाहिए।इससे कारपोरेट मीडिया की पोल खुलती है ।कि वो किससे के साथ है ? आजतक ने किस दबाब में पुलिस बर्बरता को छिपाया है ? अपने वेब पेज पर पीटीआई की मासूम तस्वीरें दी हैं इनको देखकर नहीं लगता कि बाबा के अनशन स्थल पर कोई पुलिस वाला मार रहा था ? टीवी चैनलों का पूरी नंगई के साथ अनशन पर पुलिस की बर्बरता को छिपाना अभिव्यक्ति की आजादी की हत्या है ?जिस समय बाबा रामदेव के अनशन स्थल पर पुलिस ने घेरा डाला,लाठीचार्ज किया उस समय एकमात्र स्टार न्यूज के संवाददाता दीपक चौरसिया कमेन्ट्री कर रहे थे। बाकी चैनल वाले सोए हुए थे।वे सब बाद में धीरे धीरे पहुँचे।पीटीआई संवाद एजेंसी किस तरह सरकारी एजेंसी की तरह काम करती है और सेंसरशिप का प्रयोग करते हैं,आजतक चैनल की वेबसाइट पर दी तस्वीरें इसका आदर्श प्रमाण हैं। ऐसी अवस्था में लोग किस पर विश्वास करें ? स्टार न्यूज पर दीपक चौरसिया बता रहे थे कि कैसे पुलिस लाठियां बरसा रही है,औरतों को पीट रही है,नृशंसतापूर्ण व्यवहार कर रही है लेकिन तस्वीरों में यह सब गायब था। स्टूडियो में फोटो सेंसर करके सीधे कमेंट्री सुनाई जा रही थी।
एनडीटीवी पर विष्णुसोम आते हैं और वे उन्हीं तस्वीरों को दिखाते हैं जो स्टार न्यूज की थीं लेकिन कमेंट्री अपनी बनाते हैं। बाद में उनकी संवाददाता पहुँचती है लेकिव तस्वीरें नहीं आतीं। आखिर बर्बर लाठीचार्ज की तस्वीरें किसके कहने से सेंसर की गईं ?
टाइम्स नाउ के अर्णव गोस्वामी हरकत में आते हैं। संवाददाताओं को भेजते - खोजते हैं। स्टार न्यूज की इमेजों का प्रक्षेपण जारी रखते हैं। उनके 2 संवाददाता पहलीबार यह बताते हैं कि पुलिस ने दोपहर ही बाबा को नोटिस दिया था कि आपको दी गई परमीशन क्यों न कैंसिल कर दी जाए।बाबा जबाब नहीं देते। मीडिया ने उस समय यह खबर क्यों नहीं दी ?टाइम्सनाउ ने भी नहीं दी।क्यों ?
टीवी चैनलों ने बाबा रामदेव के अनशन पर बर्बर लाठीचार्ज की जो तस्वीरें दी हैं उनमें यह सामान्य पुलिस कार्रवाई लगती है। जबकि उनके बयानों में यह असामान्य कार्रवाई थी। क्या यह रूटिन पुलिस एक्शन था ?बाबा रामदेव से लेकर भारतीय जनता पार्टी के आडवाणी जी तक कह रहे हैं यह जलियांवालाबाग जैसी घटना है। यह तुलना सरासर गलत है।जलियाँबाग की नृशंस घटना के बाद सारे देश में आक्रोश की लहर दौड़ गयी थी। बाबा रामदेव के अनशन पर लाठीजार्ज को जनता ने सामान्य भाव से लिया है। भाजपाके बड़े नेता अपने धरने पर 5हजार की भीड़ भी नहीं जुटा पाए।

बाबा रामदेव ने उस समय दिल्ली की जनता का आह्वान किया था कि वो घरों से आकर प्रतिवाद करें।संभवतः ज्यादातर लोगों ने उसे देखा ही नहीं था। बाबा रामदेव बताएंगे कि कितने लोग घायल हुए ?टीवी चैनल वाले अभी तक संख्या क्यों बता रहे ? उस रात विभिन्न अस्पतालों में कितने अनशनकारी लोगों का इलाज हुआ।किस तरह की चोटें आईं उन्हें ?बाबा रामदेव के कहा है कि उनके पास सभी अनशनकारियों के मोबाइल नम्बर हैं। फिर उन्होंने अभी तक घायल अनशनकारियों के नाम-पते जारी क्यों नहीं किए ? फिर उन लोगों की मीडिया जांच करे ?आस्था चैनल बाबा रामदेव चलाते हैं और उस चैनल के लोग भी कैमरा लेकर 4जून को अनशन स्थल पर थे पुलिस एक्शन के समय के उनके कैमरे में बंद फुटेज आज तक क्यों नहीं दिखाए गए ? बाबा किसका इंतजार कर रहे हैं ? किस मंशा से नहीं दिखाए अभी तक फुटेज ?         
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मसले पर संज्ञान लिया है और संबंधित संस्थानों से जबाव मांगे हैं।मानवाधिकार आयोग ने भी नोटिस जारी किए हैं। कायदे से सुप्रीम कोर्ट को सभी प्रमुख चैनलों कवरेज से असंपादित फुटेज जमा करने के लिए कहना चाहिए ।अनशन स्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे , अदालत को दिल्ली पुलिस को आदेश देना चाहिए कि वह सीसीटीवी कैमरों के जरिए लिए गए सभी चित्रों को अदालत में पेश करे ,इससे पुलिस बर्बरता को समझने में मदद मिलेगी।  




4 टिप्‍पणियां:

  1. आज सात जून नहीं आठ जून है और अन्ना सात जून को नहीं आठ जून को अनशन कर रहे हैं.

    वामपंथ समय के साथ नहीं उससे पीछे चल रहे हैं :)

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  2. उपरोक्त टिप्पणी पर इतना ही कहा जा सकता है कि वे कब समय के साथ चले हैं :)

    ‘प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मानना है उनकी सरकार के पास इससे बेहतर कोई विकल्प नहीं था ।’

    था ना, जलियांवाला बाग की पुनरावृत्ति कर देते तो पंजाब का नाम भी रह जाता और उन्हें सिख होने का गर्व भी मिलता॥

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  3. yahi vo aag hai jisaski aap se asha thi

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  4. yahi vo aag hai jisaski aap se asha thi

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