सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

अफजल गुरु को फांसीःभाजपा की बेचैनी बढ़ी


          
शुक्रवार 8फरवरी को शाम 5बजे अफजल गुरू को सूचना दी गयी कि 9फरवरी को सुबह उसे 8 बजे फांसी दी जाएगी। शुक्रवार शाम को उसे फांसी घर के पास की बैरक में ले जाया गया , जो फांसीघर से करीब 30 कदमों की दूरी पर था। रास्ते में पड़ने वाले बैरकों से कैदियों को हटा दिया गया था, ताकि किसी को इस बात की भनक तक न लग सके।फांसी घर में अफजल का वजन तोला गया।लम्बाई नापी गयी। ताकि फंदे की रस्सी उसका वजन सह सके।  तमाम जरूरी चीजें देख लेने  के बाद अफजल को उसके बैरक में भेज दिया गया। जेल अधिकारियों ने उससे पूछा कि अगर कोई चीज़ चाहिए हो तो बता दे। इस पर अफजल ने कहा कि उसे कुरान चाहिए।फांसी के पहले उसने कुरान पढ़ी। 9फरवरी की सुबह सात बजे उसका रक्तचाप देखा गया और आठ बजे फांसी पर लटका दिया गया ।उसके तत्काल बाद टीवी चैनलों को कहा गया कि अफजल गुरू को फांसी दे दी गयी है। इसी दौरान फांसी घर के सामने ही अफजल के लिए कब्र खोद ली गई  और इस्लामिक रीति-रिवाजों के मुताबिक मौलाना की मौजूदगी में नमाज-ए-जनाजा पढ़ी गई और उसे दफन कर दिया गया।
उल्लेखनीय है अफजल गुरु का मर्सी पिटीशन 3 फरवरी को खारिज हुआ।4फरवरी को गृह मंत्रालय ने मोहर लगायी और अदालत से 9फरवरी को फांसी दिए जाने का आदेश ले लिया गया। इस समूची प्रक्रिया को गोपनीय रखा गया। यहां तक कि फांसी की तिथि को उसके परिवारीजनों से भी छिपाकर रखा गया।  उल्लेखनीय है 12 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को देश की संसद पर सफेद एंबेसडर कार में सवार होकर आए 5 आतंकियों ने हमला किया था।  इन हमलावरों को स्थानीयस्तर पर सभी किस्म की  सुविधाएं मुहैय्या कराने का काम अफजलगुरु ने किया था। वह हमला होने के 5मिनट पहले तक आतंकियों से मोबाइल के जरिए जुड़ा था और लगातार सूचनाएं दे रहा था। उसने कभी अपने किए पर पश्चाताप नहीं किया और अदालत में अपना अपराध स्वीकार किया।
अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के साथ ही आतंकी संगठनों में एक बड़ा संदेश गया है कि भारत उसके लिए ऐशगाह नहीं है। पकडे जाने पर मौत तय है। इस फांसी का एक अर्थ यह भी है मनमोहन सरकार अपनी प्रशासनिक सक्रियता का भी दावा कर सकती है। इससे प्रकारान्तर से भाजपा को थोड़ा विचारधारात्मक धक्का लग सकता है। कसाब और अफजलगुरु को फांसी देकर कांग्रेस ने भाजपा के उन्माद पैदा करने वाले दो आईकॉन छीन लिए हैं। लेकिन इससे मुस्लिम वोटबैंक पर कोई असर नहीं होगा।
अफजलगुरु को फांसी दिए जाने पर सरकार दावा कर रही है कि उसने न्याय प्रक्रिया का पालन किया है।सरकार एक हद तक सही कह रही है।  लेकिन कई सवाल उठ रहे हैं जिनका केन्द्र सरकार को भविष्य में जबाब देना होगा। मसलन् अफजल गुरु की मर्सी पिटीशन खारिज होने के बाद सरकार ने उसकी पत्नी को खबर क्यों नहीं दी ? फांसी दिए जाने से पहले परिवारीजनों को खबर क्यों नहीं दी ? अफजल गुरू का परिवार भारत में रहता है और वे भारत के नागरिक हैं। उसके शरीर को दफनाए जाने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।    
शनिवार की सुबह टीवीवाले कह रहे थे अफजल की फांसी के बारे में किसी को पता नहीं था ।लेकिन यह झूठ है,संबंधित जेल अधिकारियों,गृहमंत्रालय के उच्च अधिकारियों, जम्मू-कश्मीर  राज्य सरकार को पहले बता दिया गया कि अफजल को फांसी किस दिन और किस समय दी जाएगी।
  आतंक के मामले में सरकार को सत्ता और न्याय के वर्चस्व के आधार पर देखना चाहिए।सत्ता और न्यायपालिका ने आतंक के मुकाबले अपना वर्चस्व स्थापित किया है। अफजलगुरू की फांसी के बाद एक दार्शनिक सवाल भी उठा है फांसी देने के बाद अभियुक्त के शरीर का मालिक कौन है ?  व्यक्ति का परिवार मालिक है ? या सरकार मालिक है ? क्या फांसी के बाद आतंकी के शरीर का स्वामित्व सरकार का होगा ?  
अफजल गुरू ने आतंकी गिरोह में शामिल होकर अपने को आतंकी बनाया, लेकिन उसके एक एक्शन ने उसके पूरे परिवार,नाते,रिश्तेदारों आदि का वर्तमान और भविष्य सब कुछ नष्ट कर दिया। वह आतंकी बना और उसने अपने सभी मानवाधिकार खो दिए । साथ ही प्रकारान्तर से अपने रिश्तेदारों के भी मानवाधिकार और सामाजिकता को हमेशा के लिए कलंकित कर दिया।नष्ट कर दिया। एक आतंकी स्वयं को ही नष्ट नहीं करता अपितु पूरे कुनबे के वर्तमान और भविष्य को नष्ट कर देता है।

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